Video: बरसाना डूबा लड्डू होली की खुमार में, जमकर उड़े गुलाल, देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 28, 2023 07:14 AM2023-02-28T07:14:59+5:302023-02-28T07:21:41+5:30

मथुरा में लट्ठमार होली से एक दिन पहले आज से बरसाने में जमकर खेली गई लड्डू होली। इसके लिए देश-विदेश से तमाम श्रद्धालु बरसाना की गलियों में कान्हा-नंदलाल की स्मरण करते हुए लड्डू होली खेलते नजर आये।

Video: Barsana dipped laddus in the excitement of Holi, gulal flew fiercely, devotees arrived from country and abroad | Video: बरसाना डूबा लड्डू होली की खुमार में, जमकर उड़े गुलाल, देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु

फाइल फोटो

Highlightsमथुरा और बरसाना की गलियां होली से पहले हुईं रंग और गुलाल से सराबोरलट्ठमार होली से एक दिन पहले बरसाने में जमकर खेली गई लड्डू होलीदेश-विदेश के तमाम श्रद्धालुओं बरसाना की गलियों में खेली लड्डू होली

मथुरा: फाल्गुन मास में कान्हा की नगरी ब्रज में होली का खुमार भक्तों के सिर चढ़कर बोलने लगा है। वैसे तो होली 8 मार्च को मनाई जाने वाली है लेकिन मथुरा की गलियां अभी से रंग और गुलाल से सराबोर होने लगी हैं। जी हां, कन्हैया के भक्त हर साल की तरह इस साल भी रंगों के उत्सव को यादगार बनाने के लिए मथुरा और बरसाना में पहुंचने लगे हैं और तमाम मंदिरों में खोली गई फूलों की होली।

इसी क्रम में और सालों से चली आ रही परंपरा के मुताबिक लट्ठमार होली से एक दिन पहले बरसाने में जमकर खेली गई लड्डू होली। इसके लिए देश-विदेश से तमाम श्रद्धालु बरसाना की गलियों में कान्हा-नंदलाल की स्मरण करते हुए लड्डू होली खेलते नजर आये।

मथुरा और ब्रज की विश्व प्रसिद्ध होली न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में अपना एक अलग स्थान रखती है। मजे की बात यह है कि यहां रंगों की होली का नंबर सबसे बाद में आता है, उससे पहले लड्डू होली और लट्ठमार होली खेली जाती है। मथुरा और बरसाना में रंगो से पहले लट्ठ से खेली जाती है होली और मान्यता है इस परंपरा की शुरूआत स्वयं कृष्ण और राधा ने रखी थी।

लट्ठमार होली ही एक ऐसी परंपरा है, जिसमें पूरे साल में एक बार महिलाएं परुषों पर जमकर लाठी बरसाती हैं और पुरुष भी खुशी से लाठियों का प्रहार झेलते हुए होली की रस्म अदायगी करते हैं। बरसाना की लट्ठमार होली राधा-कृष्ण के अद्भुत प्रेम का प्रतीक मानी जाती है।

इस पंरपरा के पीछे मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने द्वापरयुग में राधा सहित अन्य गोपियों के साथ लट्ठमार होली खेली थी और तभी से यह परंपरा चल रही है। कहते हैं कि श्रीकृष्ण हर साल नंदगांव से राधा सहित अन्य गोपियों के साथ होली खेलने के लिए बरसाना पहुंचे हैं और बरसाना में राधा और गोपियां लट्ठ से कृष्ण का स्वागत करती हैं। प्रेम की यह अलौकिक प्रथा आज भी मथुरा और बरसाना में जिंदा है और इस प्रथा की शुरूआत लड्डू होली से होती है।

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