बच्चे ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से पूछा- प्रधानमंत्री कैसे बनते हैं? मिला ये जवाब...
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 26, 2018 08:59 PM2018-06-26T20:59:40+5:302018-06-26T20:59:40+5:30
महाराष्ट्र और गोआ के विभिन्न ज़िलों से दिल्ली आए 37 बच्चों के लिये 26 जून की शाम एक यादगार शाम बनी। लोकमत के 'संस्कार के मोती' कार्यक्रम के तहत इन बच्चों की मुलाकात उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के से हुई। इस दौरान बच्चों के बीच काफी देर तक बच्चों के सवाल-जवाब का सिललिला चलता रहा।
नई दिल्ली, 26 जून: महाराष्ट्र और गोआ के विभिन्न ज़िलों से दिल्ली आए 37 बच्चों के लिये 26 जून की शाम एक यादगार शाम बनी। लोकमत के 'संस्कार के मोती' कार्यक्रम के तहत इन बच्चों की मुलाकात उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के से हुई। बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। बच्चों के पास सवाल भी थे लेकिन उप राष्ट्रपति जैसे बड़े पद पर आसीन व्यक्ति से मिलने की नर्वसनेस जैसी कोई चीज बच्चों में दिखाई नहीं दे रही थी। बस था तो उत्साह।
उप राष्ट्रपति नायडू ने आते ही बच्चों से सवाल शुरू कर दिये। उन्होंने पूछा बच्चे कहाँ पढ़ते है। क्या वो होस्टल में रहते है, किस तरह के स्कूल-सरकारी या प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं। नायडू ने बच्चों से बातचीत अपने बचपन के बारे में बता कर किया। नायडू ने कहा कि वो रोज़ 3 किलोमीटर चलकर जाते थे स्कूल में पढ़ने। उन दिनों बिजली नही होती थी तो दीये की टिमटिमाती रोशनी में ही पढ़ाई करते थे। इसके बाद शुरू हुआ सवालों का दौर।
चूँकि नायडू स्वयं एक छोटे से गांव से आते हैं, इसलिए उन्होंने बच्चों से अपनी मातृभाषा को महत्व दें और बाकी भाषा सीखें लेकिन मातृभाषा की तिलांजली दिये बिना। इसको समझाने के लिये नायडू ने बहुत ही आसान सा उदाहरण दिया। उन्होंने अपना चश्मा उतारते हुए कहा मातृभाषा मतलब आपकी आँखें।
अब अगर आँखों की रोशनी ठीक करनी हो तो चश्मा मतलब दूसरी भाषा सीखना पड़ेगा। लेकिन आँखें ठीक होने पर ही चश्मा काम आता है। उन्होंने बच्चों को ये भी बताया कि कैसे उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि अगर आपको अपनी बात एक बड़ी संख्या तक पहुंचानी हो तो हिंदी आना आवश्यक है।
नायडू ने बताया कि उनके दादाजी के जीवन से ही उन्हें प्रेरणा मिलती है। उन्होंने बताया कि उनकी माँ की मृत्यु जब वो लगभग 2 वर्ष के थे तभी हो गयी थी। थोड़े समय बाद उनके पिता भी चल बसे। ऐसे में उनके दादा ने ही उन्हें पालपोस कर बड़ा किया। नायडू ने बच्चों से 5M का सफलता का मंत्र भी शेयर किया। ये 5M हैं, माता-पिता, मातृभाषा, जन्मभूमि मातृभूमि और मार्गदर्शक (गुरु)।
इस अवसर पर एक सवाल के जवाब में नायडू ने कहा कि संसद जिस आदर्श तरीक़े से चलना चाहिये वैसे नहीं चल रही है। उन्होंने बच्चों से कहा कि उनका ये मानना है कि संसद में लोगों की समस्याओं के बारे में बात होनी चाहिए। अगर किसी के पास कुछ कहने के लिए नहीं है तो उन्हें वाकआउट करना चाहिए। इसे उन्होंने टॉक ऑउट और वाकआउट का नाम दिया।
पूरा कमरा हँसी से गूंज पड़ा जब नांदेड़ से नीतेश ने नायडू से पूछा कि प्रधानमंत्री कैसे बन सकते हैं। नायडू जो अपनी हाज़िर जवाबी के लिए जाने जानते हैं, कहा अभी नरेंद्र मोदी हैं उनका कार्यकाल और आगे भी चलेगा। उन्होंने नीतेश को समझाया कि कैसे संस्कार और संस्कृति में क्या फर्क है।
नायडू ने बच्चों से उनकी पहली हवाई यात्रा के बारे में भी पूछा। कुल मिलाकर बच्चों के लिये 26 जून निश्चित रूप से एक यादगार दिन रहा और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में बच्चों को जीवन के कई सबक दे डाले।