Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति का चुनाव जीतने वाले धनखड़ ने 'जाट समुदाय' को ओबीसी का दर्जा दिलाने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका, जानें उनके अब तक का राजनीतिक करियर
By रुस्तम राणा | Published: August 6, 2022 08:38 PM2022-08-06T20:38:23+5:302022-08-06T20:47:06+5:30
धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था।
Jagdeep Dhankhar Biography: एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने शनिवार को उपराष्ट्रपति पद का चुनाव भारी अंतर से जीत लिया है। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार को 346 मतों के बड़े अंतर से मात दी है। धनखड़ को चुनाव में कुल 725 वोटों में से 528 वोट हासिल हुए तो वहीं अल्वा को 182 वोट ही प्राप्त हो सके। जबकि 15 वोटों को अमान्य घोषित किया गया। वे 11 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। आइए अब जानते हैं उनके जीवन और राजनीतिक सफर के बारे में।
साल 1951 में राजस्थान के झुंझुनू जिले में हुआ था जन्म
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में हुआ था। धनखड़ ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव किठाना में की। बाद में उन्होंने पूरी छात्रवृत्ति पर सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ में प्रवेश लिया।
सैनिक स्कूल से स्नातक होने के बाद, उन्होंने बीएससी (ऑनर्स) भौतिकी पाठ्यक्रम में महाराजा कॉलेज, जयपुर में प्रवेश लिया। भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि ली। धनखड़ ने राजस्थान उच्च न्यायालय और देश के उच्चतम न्यायालय, दोनों में वकालत की।
ऐसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर
अपने समय के अधिकांश जाट नेताओं की तरह धनखड़ भी मूल रूप से देवीलाल से जुड़े हुए थे। तब युवा वकील रहे धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था और धनखड़ ने जीत दर्ज की। उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
चंद्रशेखर की सरकार में बने मंत्री
धनखड़ 1990 में चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। जब पी.वी. नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए। 1993 में वह अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत का प्रभाव बढ़ने पर धनखड़ भाजपा में शामिल हो गए और कहा जाता है कि वह जल्द वसुंधरा राजे के करीबी बन गए।
साल 2019 में नियुक्त हुए थे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल
उपराष्ट्रपति का चुनाव जीतने से पहले जुलाई 2019 में धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और तब से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करने को लेकर वह अक्सर सुर्खियों में रहे हैं। धनखड़ को एक खेल प्रेमी के रूप में भी जाना जाता है और वह राजस्थान ओलंपिक संघ और राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं।