विधायी निकायों को कारगर बनाने के लिए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दिए ये सुझाव
By भाषा | Updated: October 30, 2019 06:01 IST2019-10-30T06:01:55+5:302019-10-30T06:01:55+5:30
उपराष्ट्रपति ने संविधान में जरूरत पड़ने पर किए गए संशोधनों का भी हवाला दिया और पिछले दिनों अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने का जिक्र किया।

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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने मंगलवार को सदन की घटती बैठकों, बढ़ते व्यवधानों, बहस के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए विधायी निकायों को कारगर बनाने के लिए सुझाव दिये। उपराष्ट्रपति ने दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आरंभ प्रथम अरूण जेटली स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहा कि एक साथ चुनाव कराने के सुझाव पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है और सभी हितधारकों को चर्चा करनी चाहिए।
उन्होंने अपने संबोधन में संविधान की तारीफ की और कहा कि शुरुआती दिनों में आलोचकों ने इसकी प्रभावी होने पर संदेह जताया लेकिन पिछले सात दशकों में देश में लोकतंत्र मजबूत हुआ है। उपराष्ट्रपति ने संविधान में जरूरत पड़ने पर किए गए संशोधनों का भी हवाला दिया और पिछले दिनों अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने का जिक्र किया।
उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न मुद्दों पर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के सदस्यों के बीच गंभीर मतभेद से परे, दोनों सदनों ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के पक्ष में चर्चा एवं विचार विमर्श किया।’’ नायडू ने कहा कि संसदीय प्रणाली की जड़ें तब मजबूत होती हैं जब लोकतांत्रिक मूल्य मजबूत हों।
उन्होंने कहा, ‘‘और अरुण जेटली एक ऐसे सांसद थे, जिन्होंने लोकतंत्र के साधनों का उपयोग करके व्यवस्था को मजबूत किया, चाहे इस पर बहस हो, सवाल उठाकर या सदन में दूसरे के तर्क सुनकर।’’ उन्होंने अपने संबोधन में चुनाव लड़ने वाले नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए ‘विशेष पीठ’ बनाने की भी पैरवी की।
नायडू ने कहा, ‘‘साल दर साल आपराधिक मामले का सामना करने वाले नेता चुनाव लड़ते रहते हैं। एक तंत्र होना चाहिए, विशेष पीठ ऐसे लंबित मामलों का त्वरित निपटारा कर सकती है। ’’ नायडू ने अपने 50 मिनट के संबोधन में संसदीय लोकतंत्र के कई पहलुओं को छुआ और देश में संसदीय संस्थाओं के कामकाज पर चिंता प्रकट की।
उन्होंने संसदीय संस्थाओं में लोगों का भरोसा बढ़ाने के लिए इन संस्थाओं को आगे और मजबूत बनाने के लिए सुझाव दिए। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी बढ़ाने की जरूरत है जो कि वर्तमान में महज 13 प्रतिशत है।
अरुण जेटली दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र थे। अगस्त में जेटली का निधन हो गया था। व्याख्यान में अरूण जेटली की पत्नी संगीता जेटली और उनके दोनों बच्चे मौजूद थे। इस अवसर अरूण जेटली की जिंदगी पर बना एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया ।