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जल्द ही 100% बायोफ्यूल पर दौड़ेंगे वाहन, सरकार ने शुरू की तैयारी, नए नियम भी तैयार, जानिए फायदे

By नितिन अग्रवाल | Updated: December 28, 2020 14:37 IST

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता वाले सड़क परिवहन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार पूरी तरह एथेनॉल से चलने वाले वाहनों में सुरक्षा संरक्षा के लिए नियम मंत्रालय की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड कमेटी ने बना लिए हैं.

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ठळक मुद्देबायोफ्यूल की मांग बढ़ने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. पेट्रोल के आयात से सरकारी खजाने पर पड़ने वाले बोझ से भी थोड़ी राहत मिलेगी.वाहनों के लिए नियम कायदे भी तैयार कर लिए गए हैं.

नई दिल्लीः जल्द ही सड़कों पर पूरी तरह बायोफ्यूल पर दौड़ती गाडि़यां नजर आ सकती हैं. सरकार ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है. ऐसे वाहनों के लिए नियम कायदे भी तैयार कर लिए गए हैं.

किसानों के जबरदस्त विरोध का सामना कर रही सरकार को उम्मीद है कि बायोफ्यूल की मांग बढ़ने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. पेट्रोल के आयात से सरकारी खजाने पर पड़ने वाले बोझ से भी थोड़ी राहत मिलेगी. नितिन गडकरी की अध्यक्षता वाले सड़क परिवहन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार पूरी तरह एथेनॉल से चलने वाले वाहनों में सुरक्षा संरक्षा के लिए नियम मंत्रालय की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड कमेटी ने बना लिए हैं.

ऐसा वाहन चालकों, सहयात्रियों तथा फ्यूल आउटलेट के कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया है. जानकारों के अनुसार सामान्य पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक एथेनॉल मिलाकर प्रयोग करने के लिए वाहनों के मौजूदा इंजन में किसी प्रकार के बदलाव की दरकार नहीं है. हालांकि एथेनॉल की मात्रा दोगुनी करने के लिए कुछ बदलाव करने होते हैं.

इंजन के साथ-साथ डिजाडन में भी बदलाव करना जरूरी हो जाता है

लेकिन पूरी तरह एथेनॉल से चलने वाले वाहनों में इंजन के साथ-साथ डिजाडन में भी बदलाव करना जरूरी हो जाता है. यदि यह बदलाव नहीं किए जाएं तो चालक, यात्रियों के साथ-साथ वाहन के लिए भी खतरनाक हो सकता है. वाहनों में फ्लेक्स इंजन का प्रयोग नए नियमों के तहत ऐसे वाहनों में सामान्य इंजन की जगह फ्लेक्स इंजन का प्रावधान किया गया है.

इसमें ईंधन में एथेनॉल की मात्रा की पहचान कर ट्यूनिंग खुद ब खुद हो जाती है. इन प्रावधानों के मसौदे को संबंधित हितधारकों के साथ साझाकर उनके सुझाव और आपत्तियां मंगाई गई हैं. वाहनों की होगी खास पहचान नए प्रावधानों में एथेनॉल की अलग-अलग मात्रा पर आधारित वाहनों की पहचान के लिए भी अलग व्यवस्था की गई है.

वाहन में प्रयोग होने वाले ईंधन के अनुसार ई85, ई95 या ई100 का उल्लेख पीले रंग के लेबल से किया जाएगा. इसके अलावा लीकेज डिटेक्शन तथा फायर डिटेक्शन तथा वर्निग सिस्टम भी लगाए जाएंगे, जो ईंधन के रिसने या आग लगने की स्थिति पर काबू पाने में मददगार होंगे.

ईंधन से चलने वाले वाहनों पर काम करना शुरू कर दिया

सरकार ने भले ही 100 प्रतिशत एथेनॉल वाले ईंधन से चलने वाले वाहनों पर काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन जानकार मानते हैं कि 2022 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल वाले इंधन को लागू किया जाएगा. जबकि ई-100 से चलने वाले वाहनों के लिए वाहन निर्माताओं की लागत बेतहाशा बढ़ेगी, जो फिलहाल व्यवहारिक नहीं होगा.

इसके अलावा देश में एथेनॉल की आपूर्ति भी फिलहाल काफी कम है. फायदे का सौदा बायोफ्यूल सस्ता होने के साथ-साथ पर्यावरण अनुकूल होने के चलते सभी के लिए फायदेमंद होगा. इसके अतिरिक्त इससे पेट्रोल पर निर्भरता कम होगी, जिससे तेल के आयात से सरकारी खजाने पर पड़ने वाला बोझ भी कम होगा. जैव ईंधन की मांग बढ़ने से गन्ने तथा बेकार चले जाने वाले अन्य कृषि अवशिष्टों की भी किसानों को अच्छी कीमत मिलेगी.

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