चुनाव रिजल्ट के दिन इस देवी के चरणों में बैंठ गई थीं वसुंधरा राजे, तब तक नहीं उठीं जब तक सीट नहीं बची!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 18, 2018 09:55 AM2018-12-18T09:55:19+5:302018-12-18T09:57:00+5:30
सीएम अशोक गहलोत वागड़ में चुनाव प्रचार के दौरान आए थे और देवी के दरबार में विजय की मनोकामना के साथ पूजा-अर्चना की थी. लेकिन वसुंधरा राजे वहां जाकर बैठ गईं थीं.
राजस्थान विस चुनाव के दौरान वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, दोनों ने सत्ता सुख प्रदान करने वाली देवी त्रिपुरा सुंदरी के दरबार में हाजरी दी थी और दोनों को ही समयचक्र के सापेक्ष देवी त्रिपुरा का आशीर्वाद मिला!
सीएम अशोक गहलोत वागड़ में चुनाव प्रचार के दौरान आए थे और देवी के दरबार में विजय की मनोकामना के साथ पूजा-अर्चना की थी. कांग्रेस ने राजस्थान में विजय प्राप्त की, लेकिन गहलोत के लिए सीएम की कुर्सी तब भी आसान नहीं थी. लेकिन, सत्ता संघर्ष में गहलोत की जीत हुई और वे सीएम बन गए.
उधर, यह तो तय माना जा रहा था कि इस बार भाजपा की सत्ता वापसी मुश्किल होगी, लेकिन अपनों के ही विरोध के चलते वसुंधरा राजे की जीत पर भी प्रश्नचिन्ह लगने लगा था.
उनकी जीत साफ नजर आने लगी तब जा कर राजे जयपुर के लिए रवाना हुई
मतगणना शुरू होने के साथ ही पिछली बार की तरह इस बार भी राजे देवी त्रिपुरा के दरबार में पहुंच गई. जब वे मतगणना के दौरान हजारों वोटों से आगे निकल गई और उनकी जीत साफ नजर आने लगी तब जा कर राजे जयपुर के लिए रवाना हुई.
इस बार का चुनाव भाजपा के लिए ही नहीं, खुद वसुंधरा राजे के लिए भी बड़ा चुनौतीपूर्ण माना जा रहा था. राजे के विरोधी चाहते थे कि वे झालरपाटन से चुनाव हार जाएं और राजस्थान की राजनीति से उनकी विदाई हो जाए. हालांकि, राजे के कई प्रमुख सहयोगी मंत्री इस बार चुनाव हार गए, जबकि वे जीत दर्ज कराने में कामयाब रहीं.
आपातकाल के बाद हुए विस चुनाव में देवी त्रिपुरा सुंदरी के परमभक्त पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी भी इसी तरह हार-जीत के चक्रव्यूह में उलझ गए थे, लेकिन तब भी देवी ने जोशी की रक्षा की थी. तब हरिदेव जोशी एकमात्र कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे जो चुनाव जीते थे.