Uttar Pradesh MLC by-election: समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने वाले दारा सिंह चौहान का इंतजार सोमवार को खत्म हो गया. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने दारा सिंह चौहान को तोहफा देते हुए दिनेश शर्मा के इस्तीफे से खाली हुई विधान परिषद की सीट पर प्रत्याशी बनाए जाने का ऐलान कर दिया.
अब विधानसभा में भाजपा के बहुमत को देखते हुए दारा सिंह चौहान का विधान परिषद उपचुनाव में विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) बनना तय है. कहा जा रहा है बुधवार को दारा सिंह चौहान एमएलसी सीट के लिए नामांकन करेंगे. इस दौरान सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उप मुख्यमंत्री तथा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी भी मौजूद रहेंगे.
दारा सिंह चौहान ने पिछले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर सपा ज्वाइन कर ली थी. सपा के टिकर पर वह घोसी विधानसभा सीट से चुनाव जीते, लेकिन बाद में उन्होने सपा छोड़कर भाजपा में जाने का फैसला किया. इसके बाद वह बीते साल 17 जुलाई को भाजपा में शामिल हो गए.
भाजपा में शामिल होने के पहले उन्होने घोषी सीट से इस्तीफा दिया था. इस रिक्त सीट पर हुए उप चुनाव में भाजपा ने दारा सिंह चौहान को ही चुनाव मैदान में उतार दिया, लेकिन वह सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह से चुनाव हार गए. तब से वह भाजपा से तोहफा पाने के इंतजार में थे. यह तोहफा उन्हे सोमवार को मिल गया.
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने विधान परिषद ही रिक्त सीट पर होने वाले उप चुनाव में पार्टी ने प्रदेश उपाध्यक्ष ब्रज बहादुर उपाध्याय, प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा और संतोष सिंह के बजाए दारा सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाए जाने पर अपनी मोहर लगा दी.
अब कहा जा रहा है कि उनके एमएलसी बनाने के बाद जल्दी ही उन्हेंयोगी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और उसमें दारा सिंह चौहान को मंत्री बनाया जाएगा. विधान परिषद की रिक्त सीट के लिए 18 जनवरी तक नामांकन होना है. 19 जनवरी को नामांकन पत्रों की जांच होगी. 23 जनवरी को नाम वापस लेने का अंतिम दिन है. मतदान 30 जनवरी को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक होगा. इसी दिन शाम को पांच बजे से मतगणना होगी.
पूर्वांचल के बड़े नेता हैं दारा सिंह चौहान
भाजपा में आने के बाद दारा सिंह चौहान भले ही घोसी सीट पर हुए उपचुनाव में हार गए थे, लेकिन पूर्वाचल की राजनीति में उनका खासा दबदबा माना जाता है. उनका राजनीतिक सफर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से शुरू हुआ था. वह वर्ष 1996 में राज्यसभा के सांसद बने.
इसके बाद वह उन्होंने घोसी लोकसभा सीट से वर्ष 2009 में चुनाव लड़ा और जीते. वर्ष 2015 में उन्होने बसपा से नाता तोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली. वर्ष 2017 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और योगी सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री बन गए. फिर वर्ष 2022 में वह सपा में शामिल हो गए थे और बीते साल जुलाई में उन्होंने सपा से भी दूरी बना ली.
ओबीसी में शामिल चौहान समाज में उनकी काफी लोकप्रियता है. ऐसे में लोकसभा चुनावों के ठीक पहले भाजपा ने उन्हे एमएलसी बनाकर पिछड़े वर्ग को लुभाने का दांव चला है. जिसके चलते भाजपा अब दारा सिंह चौहान के जरिए अखिलेश यादव के पीडीए यानि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक फार्मूले को चुनौती देगी.