यूपी: स्कूल में अलग रखी जाती थी अनुसूचित जाति के बच्चों की प्लेट, खुद करते थे साफ, मामला सामने आने के बाद हुई कार्रवाई
By विनीत कुमार | Published: September 26, 2021 08:39 AM2021-09-26T08:39:45+5:302021-09-26T08:49:20+5:30
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के एक स्कूल में जाति के नाम पर भेदभाव का मामला सामने आया है। यहां अनुसूचित जाति के बच्चों की खाने की प्लेट अलग रखी जाती थी और उनसे खुद उसे धुलवाया जाता था।
मैनपुरी: देश की आजादी के 75 साल भले ही हो गए हों, कई हिस्सों में छुआछूत आज भी एक कड़वी सच्चाई है। इसकी एक बानगी उत्तर प्रदेश से सामने आई है। सूबे के मैनपुरी जिला के दाउदपुर सरकारी प्राथमिक स्कूल में 80 बच्चे पढ़ते हैं। इसमें 60 अनुसूचित जाति से हैं। ऐसे में इस स्कूल से जो कहानी सामने आई है, वो हैरान करने वाली है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार हाल में एक शिकायत के बाद अधिकारियों को ये पता लगा कि इस स्कूल में अनुसूचित जाति के बच्चे मिड-डे मील के लिए जिन बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं, उसे अलग रखा जाता है। साथ ही इन बर्तनों को भी इन बच्चों को खुद धोना पड़ता है।
बेवार ब्लॉक में जब इस स्कूल के दौरे पर अधिकारी पहुंचे तो शुक्रवार को यहां की प्रधानाध्यापिका गरिम राजपूत को निलंबित कर दिया गया। दो खाना बनाने वालों को भी हटाया गया जिन्होंने कहा था कि वे इन बच्चों के बर्तन नहीं छू सकते हैं।
मैनपुरी बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) कमल सिंह ने कहा कि नवनिर्वाचित सरपंच मंजू देवी के पति द्वारा स्कूल में जातिगत भेदभाव की शिकायत को सही पाया गया है। उन्होंने कहा, 'हमें बुधवार को इस बारे में शिकायत मिली और निरीक्षण के लिए एक टीम को स्कूल भेजा गया था।
उन्होंने आगे बताया, 'अनुसूचित जाति के बच्चों और अन्य बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन अलग-अलग रखे गए थे। प्रखंड विकास पदाधिकारी और अन्य पदाधिकारियों ने विद्यालय का दौरा किया। दौरे के दौरान खाना बनाने वाली सोमवती और लक्ष्मी देवी ने अनुसूचित जाति के छात्रों के बर्तनों को छूने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया तो वे स्कूल में काम नहीं कर सकते। उन्होंने जातिसूचक टिप्पणी भी की।'
सरपंच के पति को मिली थी जानकारी
सरपंच मंजू देवी के पति साहब सिंह ने कहा कि कुछ माता-पिता ने उन्हें 15 सितंबर को स्कूल में हो रहे भेदभाव के बारे में बताया था। उन्होंने कहा, '18 सितंबर को मैं एक बैठक के लिए स्कूल गया था। मैंने देखा कि रसोई गंदी थी और उसमें केवल 10-15 प्लेटें रखी थीं। मैंने रसोइयों से पूछा कि बाकी थालियां कहां हैं, तो उन्होंने कहा कि रसोई में जो थालियां थीं वे पिछड़े और सामान्य वर्ग के छात्रों की थीं, जबकि 50-60 थालियां अलग रखी गई थीं।'
साहब सिंह के अनुसार बातचीत के दौरान उन्हें ये भी पता चला कि अनुसूचित जाति के बच्चों को अपने बर्तन खुद धोने और रखने के लिए मजबूर किया जाता है, क्योंकि कोई दूसरा उन्हें छूने को तैयार नहीं था।
साहब सिंह ने कहा कि गांव की करीब 35 फीसदी आबादी दलित है, वहीं ठाकुरों की संख्या भी इतनी ही है, बाकी पिछड़े वर्ग से हैं।
मैनपुरी समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का गढ़ माना जाता है। सपा समर्थित मैनपुरी जिला पंचायत सीट जीतने वाले शुभम सिंह ने कहा कि उन्होंने गांव का दौरा किया था।
उन्होंने कहा, 'भाजपा दलित उत्थान के बड़े-बड़े दावे करती है। वे समुदाय के कुछ नेताओं को सांकेतिक पद देते हैं, लेकिन यह यूपी की वास्तविकता है... दशकों पहले डॉ बी आर अंबेडकर को भी अपने स्कूल के दिनों में इस तरह के मुद्दों का सामना करना पड़ा था।'