योगी सरकार ने ताजमहल पर पहला 'विजन डॉक्यूमेंट' SC को सौंपा, कहा-क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त घोषित करना चाहिए
By स्वाति सिंह | Published: July 24, 2018 01:46 PM2018-07-24T13:46:51+5:302018-07-24T13:46:51+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को बेहद गुस्से में मुगलकालीन स्मारक की अनदेखी करने पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी।
लखनऊ, 24 जुलाई: उत्तर प्रदेश सरकार ने ताज महल की सुरक्षा और संरक्षण के लिए दृष्टिपत्र का पहला मसौदा मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंपा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा ताजमहल के आस पास वाले क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बंद करते हुए क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त घोषित कर देना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ को ताज महल की सुरक्षा और संरक्षण के संबंध में अपना दृष्टिपत्र सौंपा।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को बेहद गुस्से में मुगलकालीन स्मारक की अनदेखी करने पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी। इसके साथ ही सरकार की ओर से पेश हुई वकील ऐश्वर्या भाटी ने पीठ से दृष्टिपत्र पेश करने की अनुमति मांगी। इसपर शीर्ष अदालत ने वकील को मसौदा पेश करने की अनुमति दी। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में कहा कि ताज महल और उसके आसपास के क्षेत्र को ‘नो-प्लास्टिक जोन’ घोषित किया जाना चाहिए और वहां बोतलबंद पानी के इस्तेमाल पर भी रोक होनी चाहिए।
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सरकार ने कहा कि क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बंद कर अधिक पर्यटन हब विकसित किये जाने चाहिए। सरकार ने कोर्ट को बताया कि ताज हेरिटेज क्षेत्र में पैदल यात्रा को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत यातायात प्रबंधन योजना की जरूरत है। मसौदा दृष्टिपत्र के अनुसार, यमुना नदी के किनारे योजनाबद्ध तरीके से सड़कों का निर्माण किया जाना चाहिए ताकि यातायात सीमित रहे और पदयात्रा को बढ़ावा मिले। सरकार का कहना है कि यमुना के डूबक्षेत्र में कोई निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए, नदी तट पर सिर्फ स्थानीय पेड़-पौधे होने चाहिए।
(भाषा इनपुट के साथ)
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