कोरोना महामारी से निपटने में उत्तर प्रदेश सरकार हुई नाकाम, मंत्री भी लगा रहे हैं गुहार
By शीलेष शर्मा | Published: May 10, 2021 08:07 PM2021-05-10T20:07:50+5:302021-05-10T20:07:50+5:30
इससे पहले बृजेश पाठक राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर व्यवस्था की खामियों पर अपनी नाराज़गी व्यक्त कर चुके हैं।
कोरोना महामारी को लेकर उत्तर प्रदेश में सरकारी तंत्र पूरी तरह चरमराता नज़र आ रहा है। इस बात की पुष्टि उस समय हुई जब योगी सरकार के मंत्री बृजेश पाठक ने साफ़ किया कि राज्य में कोरोना से लड़ने के लिए तैयार की गयी व्यवस्था चरमरा चुकी है और अधिकारी सुन नहीं रहे हैं।
प्रदेश में बृजेश पाठक अकेले भाजपा नेता नहीं जो कोरोना महामारी को लेकर राज्य सरकार की तैयारियों और उसके क्रियान्वयन से नाराज़ हो। केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने तो मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिख कर उसे सार्वजनिक भी कर दिया जिसमें उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि बरेली में स्वास्थ्य व्यवस्था कोरोना महामारी ने निपटने के लिए पूरी तरह चरमरा चुकी है , अधिकारी और डॉक्टर फ़ोन नहीं उठा रहे हैं , मरीज़ों को न बेड मिल रहे हैं ना दवाइयां और न ही उनकी कोई सुनवाई हो रही है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा के लगभग एक दर्जन से आशिक विधायक मुख्यमत्री को पत्र लिख कर अपने अपने क्षेत्रों में अव्यवस्थाको लेकर नाराज़गी जाता चुके हैं। एक भाजपा विधायक ने तो रोते हुए यहाँ तक आरोप लगा दिया कि वे मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाते रहे लेकिन उनकी पत्नी ने इलाज के आभाव में अस्पताल के बाहर फर्श पर ही दम तोड़ दिया।
फ़िरोज़ाबाद के भाजपा विधायक मनीष असीजा सरकारी तंत्र से इतने दुखी हो चुके हैं कि जनता की सेवा के लिए इस महामारी के दौर में सर पर कफन बाँध कर दिन रात शहर के लोगों से पैसा एकत्रित कर कोरोना सेंटर स्थापित कर रहे हैं ताकि कोरोना मरीज़ों को इलाज मिल सके। उचपदस्थ सूत्रों के अनुसार फ़िरोज़ाबाद के सरकारी अस्पताल में अव्यवस्था का यह आलम है कि पीएम केयर फण्ड से खरीदे गए वेंटीलेटर खोले तक नहीं गए हैं और वे धूल चाट रहे हैं जबकि वेंटीलेटर और ऑक्सीजन के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं।
राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा की बात करें तो अधिकांश अस्पतालों में वैक्सीन की भारी कमी है। अस्पतालों के बाहर 18 वर्ष से ऊपर की लोगों की लम्बी कतारें हैं जो वैक्सीन लेने यहाँ पहुंचे हैं लेकिन अस्पतालों के बाहर लगे बोर्ड बताते हैं कि वैक्सीन न मिल पाने के कारण वैक्सीन देना संभव नहीं हो रहा है।
नोएडा के अस्पतालों में न डॉक्टर हैं , न आशा वर्कर , दवाइयां तो संभव ही नहीं हैं। इस गांव के 70 फीसदी लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। प्रदेश की राजधानी लखनऊ , प्रयागराज , बनारस, सहित तमाम प्रमुख शहरों में कमोवेश ऐसी ही स्थिति है। इलाहबाद उच्च न्यायालय ने सख्ती दिखाते हुए राज्य में लॉक डाउन के आदेश दिए लेकिन राज्य सरकार ने उसे सर्वोच्च न्यायलय में चुनौती देकर राहत ले ली बावजूद इसके अब बिगड़ते हालातों के कारण राज्य सरकार को मजबूरन सत्ता दर सत्ता लॉकडाउन लगाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।