यूपी की 22 फीसदी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं महिला नसबंदी, एनएचएम का खुलासा, जनसंख्या नियंत्रण का अभियान पटरी से उतरा
By राजेंद्र कुमार | Updated: April 27, 2025 18:00 IST2025-04-27T17:58:51+5:302025-04-27T18:00:13+5:30
Uttar Pradesh: संभल, संतकबीरनगर, श्रावस्ती, कुशीनगर, सुल्तानपुर, शाहजहांपुर, गोंडा, हमीरपुर, चित्रकूट, ललितपुर, अंबेडकरनगर, हरदोई और मऊ जिले को उच्च रैंक रिपोर्ट में दी गई.

file photo
लखनऊः उत्तर प्रदेश में करीब 974 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हैं. बीते साल इन सीएचसी में 4,79,81,015 लोगों का इलाज हुआ. 84,526 छोटे-बड़े आपरेशन इन सीएचसी में लोगों के किए गए. प्रदेश सरकार बड़े गर्व के यह दावे कर लोगों को यह बताती है कि सूबे में लोगों के इलाज को लेकर सरकार का तंत्र कितना एक्टिव है. लेकिन इन्ही दावों के बीच में यह छिपा लिया जाता है कि राज्य की 22 फीसदी सीएचसी में महिला नसबंदी नहीं की जा रही हैं. यही नहीं कई जिलों की 50 फीसदी सीएचसी में तो नसबंदी का एक केस भी नहीं हुआ हैं. यह खुलासा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की रिपोर्ट में हुआ है. इस रिपोर्ट के सामने आने पर अब जिन सीएचसी में एक भी महिला नसबंदी नहीं हुई है वहां इसके कारणों की पड़ताल करने के निर्देश शासन से दिए गए हैं.
इन 20 जिलों ने कराई फजीहत
प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट में अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक के डाटा के अनुसार, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, उन्नाव, सहारनपुर सहित प्रदेश के 20 जिले परिवार नियोजन के मानकों को अपनाने के मामले में काफी पीछे हैं. इन जिलों की अधिकांश सीएचसी में महिला नसबंदी के एक केस भी नहीं हुआ.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने प्रदेश में महिला नसबंदी, प्रसव के बाद परिवार नियोजन के साधन अपनाने के तरीके, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट में और उससी बड़े अस्पतालों में हुए नसबंदी के केस आदि का आकलन करने के बाद यह दावा किया है. इसके तहत रिपोर्ट में यूपी के 20 जिलों को इस मामले में सबसे फिसड्डी माना गया.
यह 20 जिले हैं, लखनऊ, गोरखपुर, देवरिया, बलिया, वाराणसी, इटावा, मैनपुरी, गाजियाबाद, शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, सिद्धार्थनगर, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, चंदौली, आजमगढ़ और प्रतापगढ़.
इस 20 जिलों को मिली उच्च रैंक
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की इस रिपोर्ट के अनुसार, सूबे के कई जिलों ऐसी तमाम सीएचसी ऐसी भी हैं जीमने एक भी महिला नसबंदी पूरे साल नहीं हुई. ऐसी सीएचसी का ब्यौरा भी रिपोर्ट में है. इसके अनुसार सहारनपुर जिले की 52 फीसदी, प्रतापगढ़ की 47 फीसदी, बालिया की 45 फीसदी, उन्नाव की 41 फीसदी, गाजियाबाद की 38 फीसदी, आजमगढ़ की 36 फीसदी, कौशांबी की 50 फीसदी, मुजफ्फरनगर की 36 फीसदी, देवरिया की 35 फीसदी और फ़तेहपुर की 50 फीसदी सीएचसी में महिला नसबंदी के एक भी केस नहीं हुआ.
इसी तरह से प्रसव के तत्काल बाद परिवार नियोजन के साधन अपनाने के मामले में 11 प्रतिशत सीएचसी तथा उससे उच्च स्तर के अस्पतालों में भी के भी केस दर्ज नहीं हुआ है. इस रिपोर्ट में सूबे के ऐसे 20 जिलों को उल्लेख करते हुए यह दावा किया गया है कि इन जिलों की सीएचसी में परिवार नियोजन के मानकों पालन करते हुए महिला नसबंदी की गई. इस आधार पर संभल, संतकबीरनगर, श्रावस्ती, कुशीनगर, सुल्तानपुर, शाहजहांपुर, गोंडा, हमीरपुर, चित्रकूट, ललितपुर, अंबेडकरनगर, हरदोई और मऊ जिले को उच्च रैंक रिपोर्ट में दी गई.
नसबंदी ना होने के कारण की पड़ताल शुरू
फिलहाल इस रिपोर्ट को चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग मंत्री बृजेश पाठक ने बेहद गंभीरता से लेते हुए प्रदेश के प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन को इस मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इसी के बाद अब जिन जिलों में महिला नसबंदी के एक भी केस नहीं हुआ है , वह अभियान चलाकर परिवार नियोजन के बारे में बताने को कहा गया है. इस साथ ही यह पता लगाया जा रहा है कि इन सीएचसी में क्यों एक भी महिला नसबंदी का केस नहीं हुआ. इसके कारणों की पड़ताल करते हुए जिन सीएचसी में सर्जन अथवा एनेस्थेटिस्ट की तैनाती नहीं हैं वहां आसपास के अस्पतालों से इन्हे सबद्ध करने को कहा गया है ताकि सर्जन आदि की कमी से महिला नसबंदी के मामले बाधित ना हो. और राज्य में पटरी से उतर गए परिवार नियोजन के कार्यक्रम को गति प्रदान की जा सके.