कौन हैं बेबी रानी मौर्य, जिनके सहारे भाजपा मायावती के 'जाटव वोटबैंक' में लगाना चाहती है सेंध

By सतीश कुमार सिंह | Published: October 19, 2021 01:52 PM2021-10-19T13:52:02+5:302021-10-19T13:59:18+5:30

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने कांग्रेस, सपा और बसपा ने चुनौती पेश की है। 2017 में भाजपा ने सपा को हराकर प्रदेश पर कब्जा किया था। 

Uttar Pradesh election 2022 Baby Rani Maurya BJP finds Dalit face reach out to Jatavs counter bsp chief Mayawati | कौन हैं बेबी रानी मौर्य, जिनके सहारे भाजपा मायावती के 'जाटव वोटबैंक' में लगाना चाहती है सेंध

2002 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रही हैं।  (file photo)

Highlightsभारतीय जनता पार्टी ने बसपा के जाटव समुदाय में सेंध लगाने की नीति बनाई है। उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को दलित चेहरे के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है।बेबी रानी मौर्य को 1995 से 2000 तक आगरा की पहली महिला मेयर होने का गौरव भी प्राप्त है।

लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में है। भाजपा ने दलित वोटर में अपनी पकड़ मजबूत बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। विधानसभा चुनाव से पहले दलित मतदाताओं को अपनी ओर खींचने के लिए भाजपा ने रैली करने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश में दलित मतदाता 21 फीसदी हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने बसपा के जाटव समुदाय में सेंध लगाने की नीति बनाई है। बसपा प्रमुख मायावती का एक हिस्सा है। सत्तारूढ़ भाजपा ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को दलित चेहरे के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है। दलित मतदाता मायावती के राजनीति आधार रहे हैं। 

दलित मतदाता मायावती के राजनीति आधार रहे हैं

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले भाजपा ने उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। बेबी रानी मौर्य को 1995 से 2000 तक आगरा की पहली महिला मेयर होने का गौरव भी प्राप्त है। वह 2002 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रही हैं। 

लंबे समय से भाजपा से जुडी रही 65 वर्षीय बेबी रानी मौर्य ने 26 अगस्त, 2018 को उत्तराखंड के राज्यपाल पद की शपथ ली थी। उत्तर प्रदेश में दलित मतदाता 21 फीसदी हैं। इसमें से अकेले जाटव वोटर 11 प्रतिशत हैं। भाजपा बेबी रानी मौर्य के माध्यम पर इसमें वोट में सेंध लगाना चाहती है। 

दलित समाज के मतदाताओं को भाजपा के साथ जोड़ना

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के वोट पर भाजपा ने नजर गड़ा दिया है। जाटव पारंपरिक रूप से मायावती के समर्थक रहे हैं। भाजपा पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को दलित चेहरे के रूप पेश कर रही है।पार्टी कार्यक्रमों में उनके उपनाम जाटव को पोस्टर और होर्डिंग्स में दिखाया जा रहा है। इसके पीछे की मंशा दलित समाज के मतदाताओं को पार्टी के साथ जोड़ना है।

आपको बता दें कि 13 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा की अवध क्षेत्र इकाई ने मौर्य को सम्मानित करने के लिए लखनऊ में एक समारोह आयोजित किया। मौर्य ने पहली बार राज्य की राजधानी का दौरा किया था।

बेबी रानी मौर्य ने कार्यक्रम में कहा कि भाजपा ने उनके जैसे साधारण नेता को महापौर, राज्यपाल और अब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है। मौर्य ने कहा कि भाजपा को 2022 में 350 सीट जिताने में मदद कीजिए।मौर्य ने कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि अनुसूचित जाति समुदायों के लोगों को भाजपा में सबसे अधिक सम्मान मिलता है।

एससी समुदाय बीजेपी को उम्मीद की नजर से देख रहे हैं

भाजपा एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राम चंद्र कनौजिया ने कहा कि मौर्य का अभिनंदन अवध, कानपुर और गोरखपुर क्षेत्रों में पहले ही किया जा चुका है। मेरठ के बाद 22 अक्टूबर को वाराणसी (काशी क्षेत्र) और 25 अक्टूबर को आगरा (ब्रज क्षेत्र) में इसी तरह के समारोह आयोजित किए जाएंगे। 

कनौजिया ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एससी समुदाय से हैं लेकिन अक्सर उनके मौर्य उपनाम को ओबीसी समझ लिया जाता है। मौर्य के साथ इस तरह के कार्यक्रम आगे जिला स्तर तक आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने खुद अपने नाम के साथ जाटव लिखने का फैसला किया। 2022 के चुनावों से पहले, एससी समुदाय बीजेपी को उम्मीद की नजर से देख रहे हैं और हमें उनके लिए एक नेतृत्व की जरूरत है। वह जाटव समुदाय की वरिष्ठ नेता हैं।

Web Title: Uttar Pradesh election 2022 Baby Rani Maurya BJP finds Dalit face reach out to Jatavs counter bsp chief Mayawati

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