बुलंदशहर मामलाः जुबैद-उर-रहमान ने गौशाला बनाई, नाम रखा मधुसूदन, 65 गायों की सेवा

By भाषा | Published: July 23, 2020 07:50 PM2020-07-23T19:50:32+5:302020-07-23T19:50:32+5:30

बबन मियां ने अपनी गौशाला का नाम भगवान कृष्ण के नाम पर रखा है। वह कहते हैं कि सड़क पर भटकने वाली गाय की सेवा करता हूं। अभी हमारे यहां 65 गाय हैं।

Uttar Pradesh Bulandshahr  Zubaid-ur-Rehman built cowshed named Madhusudan, serving 65 cows | बुलंदशहर मामलाः जुबैद-उर-रहमान ने गौशाला बनाई, नाम रखा मधुसूदन, 65 गायों की सेवा

यह गौशाला उन्होंने बुलंदशहर जिले के चांदयाना गांव में बनाई है और इसका रखरखाव भी खुद करते हैं। (file photo)

Highlightsगायों की सेवा करना उनके परिवार की पहचान बन गई है। उन्होंने इस गौशाला का नाम भगवान कृष्ण के नाम पर रखा है। रहमान 40 एकड़ जमीन के मालिक हैं, जिसपर आम के बाग हैं। साथ में वह रियल स्टेट का काम भी करते हैं और उनकी दिल्ली में बर्तनों की एक फैक्ट्री भी है।करोड़ों रुपये की आमदनी होने के बावजूद रहमान सप्ताहांत पर मधुसूदन गौशाला में 65 गायों की खुद देखभाल करते हैं।

बुलंदशहरः उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में जुबैद-उर-रहमान ने सड़क पर भटकने वाली गायों के लिए एक गौशाला बनाई है, जहां वह खुद इन गायों की सेवा करते हैं।

गायों की सेवा करना उनके परिवार की पहचान बन गई है। उन्होंने इस गौशाला का नाम भगवान कृष्ण के नाम पर रखा है। रहमान 40 एकड़ जमीन के मालिक हैं, जिसपर आम के बाग हैं। साथ में वह रियल स्टेट का काम भी करते हैं और उनकी दिल्ली में बर्तनों की एक फैक्ट्री भी है।

करोड़ों रुपये की आमदनी होने के बावजूद रहमान सप्ताहांत पर मधुसूदन गौशाला में 65 गायों की खुद देखभाल करते हैं। यह गौशाला उन्होंने बुलंदशहर जिले के चांदयाना गांव में बनाई है और इसका रखरखाव भी खुद करते हैं।

वह 'बब्बन मियां' के नाम से लोकप्रिय हैं

वह 'बब्बन मियां' के नाम से लोकप्रिय हैं। उन्होंने अपनी मां हामिदुन्निसा खानम की ख्वाहिश को पूरा किया है। गायों को आसरा देना और संरक्षण करना तथा गंगा नदी को मां कहने का संस्कार उन्हें अपनी मां से मिला है।

रहमान ने पीटीआई-भाषा से कहा, " मेरे हिंदू भाई यह कर सकते हैं तो मुस्लिम ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं। यह ऐसा है जो हमें संतोष देता हैं। यह अंदर से आता है। मेरी मां ने करीब 50 साल पहले यह शुरू किया था और उनके इंतकाल के बाद हमने इसका विस्तार किया। "

उन्होंने कहा, " मेरी मां ने सुनिश्चित किया कि बीमार गायों को इलाज मिले और वह हमेशा पूछती थी कि क्या हम इसे जारी रख पाएंगे। हमें नहीं पता कि उनमें कहां से इसमें दिलचस्पी आई लेकिन हमारे परिवार की पहचान बन गई। "

चांदयाना उन 12 गांवों में से एक है, जिसे बारह बस्सी (12 बस्ती) और पठानों की बस्ती के तौर पर जाना जाता

चांदयाना उन 12 गांवों में से एक है, जिसे बारह बस्सी (12 बस्ती) और पठानों की बस्ती के तौर पर जाना जाता है। यह बुलंदशहर के स्याना तहसील में आती है। शेर शाह सूरी के शासन के दौरान इसा खान नियाजी के साथ कुछ पठान परिवार भारत आए थे और यहां बस गए थे। शेर शाह सूरी ने 16वीं सदी में उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य स्थापित किया था।

रहमान ने बताया, " हम गंगा-जमुना तहज़ीब को मानते हैं। हमने गौशाला का नाम भगवान कृष्ण (मधुसूदन भगवान कृष्ण का एक नाम है) के नाम पर रखा है। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं ऐसा कुछ करता हूं जो हिंदू करते हैं। मुझे कुछ रिश्तेदारों से प्रतिरोध का भी सामना करना पड़ा, लेकिन अधिकतर लोगों ने इसकी तारीफ की।"

उन्होंने कहा, " हमारा यह भी मानना है कि हम गायों की सेवा करते हैं, इसलिए अल्लाह ने हमें सबकुछ दिया। शुरू में 5-10 गाय थी जो 25 हुई और अब 65 गाय हो गई हैं। " उनके एमबीए बेटे उमैर ने कहा कि वे हिंदू मुस्लिम भेद जैसा नहीं सोचते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे घर के पास गंगा के तट पर एक मस्जिद है।

हम गंगा के पानी से वुजु करते हैं और फिर नमाज अदा करते हैं

हम गंगा के पानी से वुजु करते हैं और फिर नमाज अदा करते हैं। रहमान ने कहा, " गौशाला चलाने के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है। एक लाख रुपये तो गाय का दूध बेचकर पूरा हो जाता है, जबकि बाकी पैसा मैं अपनी जेब से देता हूं। मेरे कुछ दोस्तों ने मुझे सलाह दी कि गौशाला में हम कुछ डेयरी गायों को ले आएं ताकि लागत निकल जाए।

पहले यहां सिर्फ सड़क पर भटकने वाली गायें होती थीं। " उन्होंने कहा, " इस्लाम गाय के मांस के सेवन पर रोक नहीं लगाता। मगर हम गाय का दूध पीते हैं, खाने के लिए उसे कैसे मार सकते हैं और इसके खिलाफ कानून भी है और हमें कानून का पालन करना चाहिए। " 

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