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पेगासस बनाने वाली एनएसओ को अमेरिका ने किया ब्लैकलिस्ट, कहा- सरकारों ने जासूसी के लिए इस्तेमाल किया

By विशाल कुमार | Published: November 04, 2021 4:01 PM

अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने कहा कि अमेरिकी सरकार की कार्रवाई अमेरिकी विदेश नीति के केंद्र में मानवाधिकारों को रखने के प्रयासों का हिस्सा है और इसका उद्देश्य नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा में सुधार करना, साइबर खतरों का मुकाबला करना और गैरकानूनी निगरानी को कम करना है.

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ठळक मुद्देअंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने पेगासस से जासूसी किए जाने का किया था खुलासा.पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने दिया था स्वतंत्र जांच का आदेश.

नई दिल्ली: एक वैश्विक जांच में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, विपक्षी नेताओं व अन्य की जासूसी करने में पेगासस स्पायवेयर के इस्तेमाल का खुलासा होने के बाद अमेरिका ने उसका निर्माण करने वाली इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप पर बुधवार को निर्यात प्रतिबंध लगा दिया.

एक बयान में अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने कहा कि एनएसओ ग्रुप और एक अन्य इजरायली कंपनी कंडीरा को इस सबूत के आधार पर सूची में जोड़ा गया है कि इन संस्थाओं ने स्पायवेयर विकसित किया और विदेशी सरकारों को आपूर्ति की थी, जो इन उपकरणों का इस्तेमाल सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों, व्यापारिक लोगों, कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और दूतावास के कर्मचारियों को दुर्भावनापूर्ण रूप से लक्षित करने के लिए करते थे.

विभाग ने कहा कि अमेरिकी सरकार की कार्रवाई अमेरिकी विदेश नीति के केंद्र में मानवाधिकारों को रखने के प्रयासों का हिस्सा है और इसका उद्देश्य नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा में सुधार करना, साइबर खतरों का मुकाबला करना और गैरकानूनी निगरानी को कम करना है.

इसके साथ ही अमेरिका ने रूस और सिंगापुर की भी दो कंपनियों पर इसी तरह के प्रतिबंध लगाए हैं.

बता दें कि, एक हफ्ते पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा की दलीलों को खारिज करते हुए एनएसओ के पेगासस स्पायवेयर से पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, विपक्षी नेताओं व अन्य की जासूसी कराने के मामले में एक स्वतंत्र जांच का आदेश दिया है. जांच की निगरानी शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. वी. रवींद्रन करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक दिन बाद ही भारत में इजरायल के नए राजदूत नाओर गिलोन ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताते हुए कहा था वे पेगासस केवल सरकारी संस्थाओं को बेचने का लाइसेंस देते हैं.

गौरतलब है कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को पेगासस स्पायवेयर के जरिए निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया.

आरोप है कि स्पायवेयर का इस्तेमाल छात्राओं, विद्वानों, पत्रकारों, मानवाधिकार के पैरोकारों, वकीलों और यौन हिंसा पीड़िताओं की निगरानी के लिए किया गया.

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