UPSC Civil Services 2023: किसी के पिता ऑटोरिक्शा चालक, तो कोई बना अध्यापक, कठिनाई के बावजूद पास की परीक्षा, पढ़ें
By आकाश चौरसिया | Published: April 18, 2024 12:19 PM2024-04-18T12:19:40+5:302024-04-18T13:44:05+5:30
UPSC Civil Services 2023: परीक्षा पास करने से पहले इन सभी छात्रों ने कड़े संघर्ष का सामना किया। लेकिन कठिनाई होने के बाद भी कोई पीछे नहीं हटा और इन्होंने परीक्षा पास की।
UPSC Civil Services 2023: मध्य प्रदेश के भोपाल से तीन कैंडिडेट्स ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर ली है, इस एग्जाम के रिजल्ट मंगलवार को जारी हुए थे। नतीजों में नाम आते ही परिवार में खुशी का माहौल रहा और ये तीन अभ्यर्थियों भी खुश हुए।लेकिन, तीनों अभ्यर्थी बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं। इन सभी के माता-पिता के पास इतने संसाधन नहीं थे कि इन्हें पढ़ाया जा सके।फिर भी संघर्ष के साथ इन्होंने सफलता पाई।
संघर्ष के साथ पढ़ाई की शुरुआत
भारती साहू ऑटोरिक्शा ड्राइवर की बेटी हैं और उनकी माता गृहिणी हैं। भारती के भाई ओला कैब चलाते हैं, जबकि उनकी चार बहनों में से एक अध्यापिका हैं। भारती ओबीसी समुदाय से आती हैं और उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी साल 2017 में शुरू की थी। लेकिन उन्हें सफलता 2023 में मिली और उनकी रैंक ऑल इंडिया मे 850 आई।
भारती ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अपने परिवार के संघर्ष को देखा और इसलिए उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू करने की सोचा। जब वो राज्य सरकार की छात्रवृत्ति पर एक साल के लिए दिल्ली में थी, तो पैसे बचाने के लिए भारती ने आधा टिफिन से खाना लिया, क्योंकि पूरे टिफिन की कीमत चुकाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़ाई करने वाली भारती अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, शिक्षकों और दोस्तों को देती हैं। योगा और मेडिटेशन के जरिए उस दबाव को भी कम किया।
सातवें अटेम्प्ट में नीरज ने परीक्षा की पास
नीरज सोनगारा, जिन्होंने ऑल इंडिया UPSC एग्जाम में 964 रैंक हासिल की। नीरज अनुसूचित जनजाति कैटेगरी से आते हैं, नीरज का यह सातवां अटेम्प्ट था। उनके पिता फैक्ट्री में काम करते हैं, जहां स्कूल बैग बनता है, जबकि उनकी माता गृहिणी हैं। कोविड के दिनों उन्हें और परिवार को चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। उस दौरान स्कूल भी बंद हो गए थे, ऐसे में स्कूल बैग की मांग में कम आई और परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हुआ। इस कारण नीरज के पिता की इनकम कम हो गई। लेकिन फिर भी नीरज का हौसला बरकरार रहा।
भोपाल से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आईसेक्ट से बीसीए और इग्नू से इतिहास में एमए किया। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार की छात्रवृत्ति पर एक साल के लिए दिल्ली में एक कोचिंग क्लास में भी भाग लिया। पैसे कमाने के लिए दिल्ली में उन्होंने एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ाया।
स्ट्रैस होने पर कुलदीप ने पिता और दोस्तों से बात की
कुलदीप पटेल जो ओबीसी समुदाय से आते हैं, उन्होंने इस परीक्षा में 181 रैंक हासिल की। वो एमपी के छत्तरपुरे जिले राजौरा गांव से आते हैं, उनके पिता 3.25 हैक्टेयर के मालिक हैं और एक दुकान भी चलाते हैं। नीरज की तीन बहनें और माता गृहिणी हैं। कुलदीप ने 12वीं के बाद कुलदीप पटेल ने राजनीति विज्ञान और दार्शनिक शास्त्र में बीए दिल्ली के हंसराज कॉलेज से पूरा किया। इसके बाद भी वो दिल्ली में रहें और उन्होंने किसी तरह अपने खर्चों में कटौती की।
कुलदीप ने ठाना कि कम बाहर निकलना और कम खाना के कारण वो दिल्ली में रह पाएंगे। फिर, कुलदीप के दिमाग में सिविल सर्विस को ज्वाइन करने की सोचा क्योंकि उन्होंने अपने बाबा के मुख से छत्तरपुर जिलाधिकारी राधेश्याम जुलानिया की तारीफ करते हुए सुना था। उन्होंने अब सफल होने के बाद कहा कि आप जो भी करे बहुत ईमानदारी से करें और बिना संकोच के खूब मेहनत करें। उन्होंने बताया कि जब कभी मन दिमाग में स्ट्रैस होता तो वो अपने पिता और दोस्तों से बात कर संतुलन बनाने में कामयाब हो पाते थे।