UPSC 2021: जो मां ने नहीं कर पाया वह यूपीएससी ऑल इंडिया टॉपर Shruti Sharma ने कर दिखाया, श्रुति शर्मा ने कुछ ऐसे नानी का किया सपना पूरा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 5, 2022 03:25 PM2022-06-05T15:25:06+5:302022-06-05T15:36:10+5:30
UPSC 2021: आपको बता दें कि UPSC 2021 की टॉपर श्रुति शर्मा के परदादा दयास्वरूप शर्मा और उनके दादा देवेन्द्र दत्त शर्मा अपने क्षेत्र के जाने-माने डॉक्टर रहे थे।
UPSC 2021: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में शीर्ष स्थान हासिल करने वाली श्रुति शर्मा की सूरत और सीरत बहुत मासूम है लेकिन उनमें अपने प्रिय कवियों सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और दुष्यंत कुमार की कविताओं तथा गजलों जितनी ही गहराई है। इंजीनियरों और डॉक्टरों के प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने वाली श्रुति ने अपने जीवन में सक्सेना की एक कविता की इन पंक्तियों को वास्तविकता में उतार दिया है... लीक पर वें चलें जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं, हमें तो जो हमारी यात्रा से बने ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं।
श्रुति शर्मा की पढ़ाई ऐसे हुई थी
अपने दूसरे प्रयास में श्रुति शर्मा के यूपीएससी परीक्षा में अव्वल आने के बाद उनके जीवन से जुड़ी तमाम बातें लोग जानने को उत्सुक हो उठे और अब सभी को यह पता है कि उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक करने के बाद दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से आधुनिक इतिहास में स्नातकोत्तर किया है।
श्रुति शर्मा ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की रेजिडेंशियल कोचिंग एकेडमी से यूपीएससी की तैयारी की है।
UPSC परीक्षा पास करने श्रुति शर्मा की नानी का था सपना
ऐसे में श्रुति शर्मा के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे रोचक पहलू भी हैं जो अभी कम ज्ञात हैं। दरअसल उनकी नानी ने यूपीएससी परीक्षा पास करने का सपना अपनी बेटी यानी श्रुति की मां रचना को लेकर देखा था।
लेकिन उनके रिहायशी ग्रामीण इलाके से कोचिंग सेंटर बहुत अधिक दूर होने के कारण उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। अब श्रुति शर्मा के परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त करने के बाद सबसे ज्यादा खुशी उनकी नानी को हुई है।
क्या करते हैं श्रुति शर्मा के माता पिता
इंजीनियरों और डॉक्टरों के परिवार में जन्मीं श्रुति के पेशे से आर्किटेक्ट पिता सुनील दत्त शर्मा दिल्ली में एक कंस्ट्रक्शन कंसलटेंट फर्म चलाते हैं और इस समय वह उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में स्थित अपने पैतृक गांव बस्ता में बाल ज्ञान निकेतन स्कूल का प्रबंधन भी संभाल रहे हैं। उनकी मां रचना शर्मा स्कूल अध्यापिका रह चुकी हैं।
हालांकि उन्होंने भी इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की है। उनके छोटे भाई क्रिकेट खिलाड़ी हैं और रणजी ट्रॉफी में खेल चुके हैं। अपने परिवार में श्रुति शर्मा पहली लड़की हैं जिन्होंने मानविकी शाखा में इतिहास का अध्ययन किया है। उनके परदादा दयास्वरूप शर्मा और उनके दादा देवेन्द्र दत्त शर्मा अपने क्षेत्र के जाने-माने डॉक्टर रहे थे। उनके चाचा यज्ञ दत्त शर्मा और उनकी चचेरी बहन भी डॉक्टर हैं।
नई भाषाओं को सीखने में दिलचस्पी रखती है श्रुति शर्मा
नई संस्कृतियों, नई भाषाओं को सीखने समझने में गहन दिलचस्पी रखने वाली, बिजनौर के धामपुर कस्बे में पैदा हुईं श्रुति शर्मा स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के मामले में हमेशा सबसे आगे रहती थीं। उन्हें विश्व सिनेमा बहुत भाता है और इस कड़ी में वह ईरानी और हांगकांग सिनेमा को विशेष रूप से पसंद करती हैं।
लड़कियों के लिए क्या दिया नया सन्देश
अपने गृह प्रदेश, उत्तर प्रदेश कैडर में जाकर शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में काम करने की इच्छुक श्रुति को पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण अपने सपने को पूरा करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई लेकिन वह कहती हैं कि हर लड़की सिविल सेवा परीक्षा पास कर सकती है, बस उसे केवल परिवार के समर्थन और अवसर की जरूरत है।
आपको बता दें कि इस साल कुल 685 उम्मीदवारों ने यूपीएससी, सीएसई परीक्षा पास की है जिसमें से 508 पुरुष और 177 महिलाएं हैं। इस बार सबसे रोचक बात यह रही कि शीर्ष तीनों स्थान महिला उम्मीदवारों ने हासिल किए जिनमें दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमश: अंकिता अग्रवाल तथा गामिनी सिंगला ने बाजी मारी है।