UP: काम के बोझ से दबा यूपी उपभोक्ता परितोष आयोग, 14 हजार मामले लंबित, एक सदस्य के सहारे चल रहा कमीशन

By राजेंद्र कुमार | Updated: June 8, 2025 19:48 IST2025-06-08T19:48:51+5:302025-06-08T19:48:51+5:30

आयोग में 14 हजार से भी अधिक मामले पेंडिंग है. निकट भविष्य में इनकी संख्या में इजाफा ही होना दिखता. इसका कारण है, आयोग के पास मैन पॉवर की कमी होना.

UP: UP Consumer Disputes Commission is burdened with work, 14 thousand cases are pending, commission is running with the help of one member | UP: काम के बोझ से दबा यूपी उपभोक्ता परितोष आयोग, 14 हजार मामले लंबित, एक सदस्य के सहारे चल रहा कमीशन

न्‍यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्‍तव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में क्रेता और विक्रेताओं के बीच उत्पन्न विवादों को हल करने के लिए राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतिपोश आयोग बना हुआ है. सूबे की जनता इस आयोग को उपभोक्ता फोरम बोलती है. उक्त आयोग में दो करोड़ रुपए तक के विवादों के मामलों की सुनवाई कर फैसला किया जाता है. हर माह इस आयोग ने चार सौ से अधिक मामले दर्ज होते हैं. फिलहाल यह आयोग काम के बोझ में दबा हुआ है. 

आयोग में 14 हजार से भी अधिक मामले पेंडिंग है. निकट भविष्य में इनकी संख्या में इजाफा ही होना दिखता. इसका कारण है, आयोग के पास मैन पॉवर की कमी होना. यह कमी आयोग में हर स्तर पर है. वर्तमान में आयोग एक सदस्य के सहारे चल रहा है. आयोग में सदस्य के तीन पद खाली है. इसी तरह से आयोग में 21 कनिष्ठ लिपिक के पदों में से 15 पद खाली है. आयोग की इस हालत को देखते हुए न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव ने योगी सरकार से आयोग के रिक्त पदों को भरने का आग्रह किया है. 

अध्यक्ष और एक सदस्य के भरोसे आयोग :  

न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव ने बीते एक जून की आयोग के  अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण किया है. उनका कहना है कि आयोग में पेंडिंग मामलों को जल्दी और पारदर्शी तरीके से निपटाना उनकी प्रमुख प्राथमिकता हैं, लेकिन इसके लिए उन्हे आयोग में मैनपावर भी चाहिए. मैनपावर के मामले में आयोग की स्थिति काफी दयनीय है. 

आयोग में दायर मामले की सुनवाई के लिए पहले अध्यक्ष और दस सदस्य होते थे. योगी सरकार में इसमें कटौती कर दी. अब आयोग में अध्यक्ष के साथ चार सदस्य हैं जो आयोग में दर्ज होने वाले मामलों की सुनवाई करते हैं. इस वक्त आयोग के चार सदस्यों में से सिर्फ के सदस्य सुधा उपाध्याय ही ज़िम्मेदारी संभाल रही हैं. जबकि आयोग के एक सदस्य राजेंद्र सिंह का कार्यकाल बीते अगस्त में समाप्त हो गया. 

गत मई में आयोग के दूसरे सदस्य विकास सक्सेना रिटायर हो गए और बीते सप्ताह ही आयोग के तीसरे सदस्य सुशील कुमार सिंह ने रिजाइन कर दिया. ऐसे में अब आयोग एक सदस्य के भरोसे चल रहा है. इसके अलावा आयोग ने एक रजिस्टर भी हैं. फिलहाल अध्यक्ष और सदस्य को अगर किसी इमरजेंसी में छुट्टी पार जाना पड़ा तो आयोग का कामकाज ठप्प हो जाएगा. 

इनके पीछे कम संभालने वाला कोई नहीं हैं. इसी प्रकार आयोग में कई अन्य महत्वपूर्ण पद खाली हैं. आयोग में कनिष्ठ लिपिक के 21 पद है, जिनमें से 15 पद खाली हैं. स्टाफ की कमी की वजह से लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है. 

रिक्त पदों को भरने का किया आग्रह : 

इसलिए आयोग के नए अध्यक्ष न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव ने योगी सरकार से आयोग के रिक्त पदों को भरने का आग्रह किया है. उनका कहना है कि मैनपावर की कमी के चलते पेंडिंग मामलों को निस्तारित करने में काफी समय लगेगा. इसलिए इस समस्या के निदान के लिए आयोग में तीन सदस्यों के रिक्त पदों को भरा जाए और आयोग में डिप्टी रजिस्ट्रार तथा डिप्टी चेयरमैन की तैनाती की जाए. ताकि पारदर्शी तरीके से पेंडिंग मामलों का निपटारा किया जाए. 

आयोग के अध्यक्ष का यह भी कहना है कि वर्ष 2007 में आयोग में पेंडिंग मामले बढ़कर 33 हजार के पार पहुंच गए थे. इन पेंडिंग मामलों को कम किया गया था लेकिन अब फिर से मैनपावर की कमी से पेंडिंग मामलों का अंबार आयोग में लग गया है. जिनके निस्तारण के लिए आयोग को रिक्त पदों पर लोगों की तैनाती चाहिए. उम्मीद है योगी सरकार जल्दी ही आयोग के रिक्त पदों को भरने की पहल करेंगी. 

Web Title: UP: UP Consumer Disputes Commission is burdened with work, 14 thousand cases are pending, commission is running with the help of one member

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