उप्र: गिरधारी मुठभेड़ मामले में पुलिसकर्मियों को मिली राहत

By भाषा | Updated: December 24, 2021 21:17 IST2021-12-24T21:17:55+5:302021-12-24T21:17:55+5:30

UP: Policemen get relief in Girdhari encounter case | उप्र: गिरधारी मुठभेड़ मामले में पुलिसकर्मियों को मिली राहत

उप्र: गिरधारी मुठभेड़ मामले में पुलिसकर्मियों को मिली राहत

लखनऊ, 24 दिसंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गिरधारी मुठभेड़ मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया था।

न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका को मंजूर करते हुए पुलिसकर्मियों को राहत देने संबंधी आदेश पारित किया।

याचिका पर दलीलों के दौरान अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने जो कार्रवाई की, वह उन्होंने अपने आधिकारिक दायित्व की पूर्ति के दौरान की थी। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने सीआरपीसी की धारा 197 तथा 30 जनवरी 1975 को पारित राज्य सरकार के उस शासनादेश की अनदेखी की, जिसमें सेवा कार्य के दौरान पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाइयों से उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का 25 फरवरी 2021 का आदेश कानून सम्मत नहीं है।

याचिका पर सुनवाई के पश्चात न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि अपर महाधिवक्ता की दलील उचित है, और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को अभियोजन स्वीकृति से संबंधित प्रावधानों पर विचार करने के पश्चात ही आदेश पारित करना चाहिए था किंतु ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इसलिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का आदेश खारिज करने योग्य है।

उल्लेखनीय है कि गिरधारी मुठभेड़ मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ ने मुठभेड़ में शामिल पुलिसवालों के खिलाफ विवेचना करने के बाबत हजरतगंज पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था।

इसी वर्ष 15 फरवरी को पुलिस ने कहा था कि रात ढाई से तीन बजे के बीच आरोपी गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर को पुलिस की टीम हत्या में इस्तेमाल हथियार की बरामदगी के लिए सहारा अस्पताल के पीछे खरगापुर क्रॉसिंग के पास लेकर गयी थी। इसने कहा था कि गाड़ी रोककर आरोपी को नीचे उतारा जा रहा था कि तभी उसने उपनिरीक्षक अख्तर उस्मानी पर हमला कर दिया और उनकी पिस्तौल लेकर भागने लगा जिसके बाद वरिष्ठ उपनिरीक्षक अनिल सिंह ने उसका पीछा किया।

पुलिस के अनुसार, घटना की सूचना पुलिस नियंत्रण कक्ष और पुलिस आपातकालीन नंबर पर दी गई और सूचना मिलते ही पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) और उनकी टीम मौके पर पहुंच गयी।

पुलिस ने कहा था कि पुलिस बल और प्रभारी निरीक्षक चंद्रशेखर सिंह एवं प्रभारी निरीक्षक अतिरिक्त ने झाड़ियों में छिपे गिरधारी को चारों तरफ से घेर लिया और उसे आत्मसमर्पण को कहा, लेकिन गिरधारी छीनी हुई सरकारी पिस्तौल से बार-बार गोलियां चला रहा था। इसके जवाब में पुलिस ने भी गोलियां चलाईं, जिसमें वह घायल हो गया। इसने कहा था कि गिरधारी को तुरंत राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गय, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

पुलिस आयुक्त डी के ठाकुर ने बताया था कि इस मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।

पुलिस ने बताया था कि छह जनवरी की रात विभूतिखंड क्षेत्र में कठौता चौराहे के पास मऊ जिले में गोहना के पूर्व प्रमुख अजीत सिंह और उसके साथी मोहर सिंह पर हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थीं। इसने कहा था कि अजीत सिंह एक कुख्यात अपराधी था और उसके खिलाफ 17 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। इसने कहा था कि गोलीबारी के संबंध में मोहर सिंह की शिकायत पर आजमगढ़ के कुंटू सिंह, अखंड सिंह, गिरधारी समेत छह लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। पुलिस अब तक मामले में चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं, मुख्य शूटर गिरधारी को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

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Web Title: UP: Policemen get relief in Girdhari encounter case

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