UP: बरेली में 'लव जिहाद' पर नये कानून के तहत पहली FIR दर्ज, जानिये क्या है पूरा मामला
By धीरज पाल | Published: November 29, 2020 01:41 PM2020-11-29T13:41:09+5:302020-11-29T20:20:15+5:30
बरेली के थाना देवरनिया में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 3/5 की धारा में केस दर्ज किया गया है। आरोपी पर जबरन धर्मांतरण करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया गया है।
हाल ही में यूपी की योगी सरकार ने तकाकथि 'लव जिहाद' की घटनाओं को रोकने के लिए सूबे में 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020' को मंजूरी दी है। इस अध्यादेश को राज्याल से मंजूरी मिलने के बाद बरेली में इसके तहत पहला केस दर्ज किया गया।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि बरेली के थाना देवरनिया में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 3/5 की धारा में केस दर्ज किया गया है। बताया जा रहा है कि आरोपी पर जबरन धर्मांतरण करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया गया है। पुलिस के मुताबिक बरेली के देवरनियां गांव के रहने वाले टीकाराम ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि गांव का ही रहने वाला दूसरे संप्रदाय का एक युवक उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा है।
The first case under Uttar Pradesh Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance, 2020 has been registered at Deorania police station in Bareilly wherein a man is accused of trying to forcibly convert a girl's faith & threaten her: Prashant Kumar ADG (Law & Order) https://t.co/UAHEyfOeoypic.twitter.com/zX4gyJkFFd
— ANI UP (@ANINewsUP) November 29, 2020
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शिकायतकर्ता ने बताया कि शरीफनगर गांव के रहने वाले रफीक अहमद के बेटे उवैस अहमद ने उनकी बेटी के साथ जान-पहचान बढ़ाई और बाद में उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने लगा। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने तथा उनके परिवार ने कई बार उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया था लेकिन वह मानने को राजी नहीं है। बताया जा रहा है कि आरोपी फरार है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एफआईआर दर्ज कर ली।
नये कानून के तहत क्या होगी सजा
इस अध्यादेश के तहत ऐसे धर्म परिवर्तन को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा जो छल, कपट, प्रलोभन, बलपूर्वक या गलत तरीके से प्रभाव डालकर विवाह या किसी कपट रीति से एक धर्म से दूसरे धर्म में लाने के लिए किया जा रहा हो। राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह बताया कि इसे गैर जमानती संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखने और उससे संबंधित मुकदमे को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचारणीय बनाए जाने का प्रावधान किया जा रहा है।
सिंह ने बताया कि सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामले में संबंधित सामाजिक संगठनों का पंजीकरण रद्द कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि कोई धर्मांतरण छल, कपट, जबरन या विवाह के जरिए नहीं किया गया है, इसके सबूत देने की जिम्मेदारी धर्म परिवर्तन कराने वाले तथा करने वाले व्यक्ति पर होगी।
उन्होंने बताया के अध्यादेश का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल कैद तथा 15,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जबकि नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के मामले में यह सजा तीन साल से 10 वर्ष तक की कैद और 25,000 रुपये जुर्माने की होगी। इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में अधिकतम 10 साल की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।