यूपी चुनाव: लाल टोपी को लेकर बढ़ा समाजवादी पार्टी के समर्थकों में क्रेज! बिक्री में इजाफा, आखिर क्या है वजह?
By भाषा | Published: January 28, 2022 04:12 PM2022-01-28T16:12:26+5:302022-01-28T16:12:26+5:30
यूपी विधानसभा चुनाव के बीच समाजवादी पार्टी के समर्थकों में हाल में लाल टोपी को लेकर उत्साह काफी बढ़ा है। इसकी बिक्री में भी काफी उछाल आया है।
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के 'लाल टोपी वाले उप्र के लिये खतरा हैं' और 'लाल टोपी वाले गुंडे' वाले बयान का असर है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिये यह टोपी “बदलाव और क्रांति का प्रतीक बन गयी है” और इसी वजह से इसकी बिक्री में इजाफा हुआ है। चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के नेता कार्यकर्ता अब अधिक से अधिक लाल टोपी पहन रहे हैं और इसी वजह से इसकी बिक्री में भारी इजाफा हुआ है।
समाजवादी पार्टी के समर्थकों के लिए लाल टोपी बना 'स्टेटस सिम्बल'
समाजवादियों के लाल टोपी पहनने से दो बाते हो रही हैं एक तो वह बिना चुनाव आयोग की नजरों में आए पार्टी का प्रचार कर रहे हैं और दूसरे 'लाल टोपी वाले उप्र के लिये खतरा हैं' और 'लाल टोपी वाले गुंडे' वाले बयान का खामोश रहकर विरोध कर रहे हैं। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव द्वारा हमेशा लाल टोपी पहनने से यह समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए यह अब एक स्टेटस सिम्बल बन गया हैं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और विधानपरिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने पीटीआई से कहा, ''आज गांव-गांव, गली-गली में सपा का हर नेता और कार्यकर्ता लाल टोपी लगाकर चुनाव प्रचार कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने समाजवाद के लाल रंग को 'उप्र के लिये खतरा' और लाल टोपी वाले गुंडे' के बयान के बाद अब पार्टी नेता और कार्यकर्ता प्रदेश में समाजवाद को वापस लाने और सरकार के बदलाव के लिए लाल टोपी पहन रहे हैं।''
वह कहते हैं कि हम भाजपा नेताओं को दिखा देना चाहते हैं कि लाल टोपी पहनने वाले समाजवादी कार्यकर्ता गुंडे नहीं बल्कि जनता के सेवक हैं और हम विधानसभा चुनाव में क्रांति लाकर इस सरकार को बदल कर ही दम लेंगे।
लाल टोपी: प्रचार का आसान तरीका
लखनऊ के चुनाव प्रचार सामग्री के थोक विक्रेता शीला इंटरप्राइजेज के राजू शुक्ला बताते हैं कि इस विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग के रैलियों और जुलूस पर पाबंदी के कारण प्रचार सामग्री के बैनर पोस्टर की बिक्री तो बहुत कम है लेकिन समाजवादी पार्टी की 'लाल टोपी' की बिक्री में काफी उछाल आया है।
उन्होंने कहा कि यह टोपी पहनने पर किसी की कोई बंदिश नहीं है और न ही इसे दूर दराज के इलाकों में ले जाने पर पुलिस की कार्रवाई का खतरा। शुक्ला बताते हैं कि उनके पास बिक्री के लिये कई तरीके की 'लाल टोपियां' हैं जिन्हें आमतौर पर नेता और कायकर्ता पहनते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक और लाल टोपी है जिसकी एक तरफ समाजवादी पार्टी का चुनाव चिह्न साइकिल बना हुआ है और दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी या अखिलेश यादव का नाम लिखा हुआ है।
प्रचार सामग्री की एक अन्य दुकान सक्सेना बंधु के नरेंद्र बताते हैं कि समाजवादी पार्टी की टोपियों के साथ समाजवादी मास्क की बिक्री में भी इजाफा देखने को मिला है। वह बताते हैं कि सायकिल निशान वाले मास्क ज्यादातर युवा कार्यकर्ता खरीद रहें हैं क्योंकि इनको लगाकर कोरोना से बचाव के साथ साथ पार्टी का प्रचार भी हो रहा है।
ऐसा ही विचार आयुष पब्लिसिटी सेंटर के अमित और बाला जी इंटरप्राइजेज के आलोक कुमार का भी था। गौरतलब है कि सात दिसंबर को गोरखपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर हमला करते हुए कहा था कि लाल टोपी वाले उत्तर प्रदेश के लिए रेड एलर्ट 'खतरे की घंटी' हैं और वे आतंकवादियों को जेल से छुड़ाने के लिए सत्ता हासिल करना चाहते हैं।