यूपी चुनाव: भीम आर्मी में दो फाड़, संस्थापक सदस्य उपकार बावरा बसपा में शामिल, मायावती के भतीजे ने पार्टी में शामिल कराया
By विशाल कुमार | Published: December 2, 2021 10:45 AM2021-12-02T10:45:27+5:302021-12-02T10:49:46+5:30
बुधवार को भीम आर्मी के संस्थापक सदस्य उपकार बाबरा अपने सैंकड़ो युवा साथियों के साथ बसपा के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आंनद की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए। उन्हें दिल्ली के रकाबगंज स्थित प्रदेश कार्यालय में पार्टी में शामिल कराया गया।
नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले दलितों के बीच में तेजी से उभर रही भीम आर्मी के संस्थापक सदस्य और मुजफ्फनगर में जिलाध्यक्ष उपकार बाबरा बसपा पार्टी में शामिल हो गए।
बुधवार को भीम आर्मी के संस्थापक सदस्य उपकार बाबरा अपने दर्जनों युवा साथियों के साथ बसपा के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आंनद की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए। उन्हें दिल्ली के रकाबगंज स्थित प्रदेश कार्यालय में पार्टी में शामिल कराया गया।
आकाश आनंद ने ट्वीट कर लिखा कि आदरणीय मायावती जी के आदेशानुसार पार्टी में 50 फीसदी भागीदारी सिर्फ युवाओं की हो। आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष के इन्हीं विचारों से प्रभावित होकर हमारे महापुरुषों के शुरू किए बहुजन आंदोलन से आज कुछ और साथी जुड़ गए। उपकार बावरा जी और उनके तमाम साथियों का बसपा परिवार में स्वागत है।
आदरणीय @Mayawati जी के आदेशानुसार पार्टी में 50% भागीदारी सिर्फ युवाओं की हो। आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष के इन्ही विचारों से प्रभावित हो कर हमारे महापुरुषों के शुरु किए बहुजन आंदोलन से आज कुछ और साथी जुड़ गए। उपकार बावरा जी और उनके तमाम साथियों का @bspindia परिवार में स्वागत है। pic.twitter.com/gzuo2FPXs4
— Akash Anand (@AnandAkash_BSP) December 1, 2021
बता दें कि, 2 अप्रैल, 2018 को दलित आंदोलन के दौरान हुई हिंसा को लेकर बाबरा को गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन पर एनएसए भी लगाया गया था. 13 महीने तक जेल में रहने वाले बावरा फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
उत्तर प्रदेश में पहले बसपा एकमात्र ऐसी पार्टी थी जो पूरी तरह से दलितों की राजनीति करती थी और बड़ी संख्या में दलित वोट हासिल भी करती आ रही है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में चंद्रशेखर आजाद ने एक सख्त और युवा दलित नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाबी हासिल कर ली और भीम आर्मी बनाकर राजनीति में उतर गए। अब बसपा दलित वोटों को बिखरने से रोकने के लिए भीम आर्मी पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है।