यूपी चुनाव: फतेहाबाद से सपा की प्रत्याशी ने ब्रिटेन से पढ़ाई की, दुबई की नौकरी छोड़कर आईं, लॉकडाउन में गरीबों को खाना मुहैया कराया
By विशाल कुमार | Published: January 24, 2022 09:24 AM2022-01-24T09:24:25+5:302022-01-24T09:36:08+5:30
उत्तर प्रदेश के फतेहाबाद से समाजवादी पार्टी की 34 वर्षीय प्रत्याशी रूपाली दीक्षित को साल 2016 में अपनी नौकरी छोड़कर घर तब वापस आना पड़ा जब साल 2015 में उनके पिता अशोक दीक्षित और परिवार के चार अन्य सदस्यों को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के फतेहाबाद से समाजवादी पार्टी की 34 वर्षीय प्रत्याशी रूपाली दीक्षित ने अपना पोस्टग्रेजुएशन और मैनेजमेंट स्टडीज ब्रिटेन में किया है और साल 2016 में वापस आगरा लौटने से पहले वह दुबई की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करती थीं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 में उन्हें अपनी नौकरी छोड़कर घर तब वापस आना पड़ा जब साल 2015 में उनके पिता अशोक दीक्षित और परिवार के चार अन्य सदस्यों को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई।
2007 में रूपाली के 75 वर्षीय पिता अशोक दीक्षित और अन्य को 2015 में फिरोजाबाद में एक सरकारी स्कूल शिक्षक सुमन यादव की हत्या में दोषी ठहराया गया था।
फिरोजाबाद के मूल निवासी अशोक के खिलाफ हत्या के तीन मामलों सहित 69 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। अशोक को 2007 में सुमन यादव हत्याकांड में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं। फिलहाल, अशोक और उनके 62 वर्षीय छोटे भाई अजय दीक्षित को छोड़कर बाकी सदस्य जमानत पर बाहर हैं।
केस लड़ने में परेशानी का सामने कर रही रूपाली ने आगरा यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल कर ली और साथ स्थानीय स्तर पर सामाजिक कार्यों और राजनीति से जुड़ गईं।
2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी जितेंद्र वर्मा के लिए प्रचार किया था जो कि फतेहाबाद सीट 34 हजार वोटों से जीते थे। वर्मा ने स्वीकार किया कि रूपाली ने उनके लिए सक्रियता से प्रचार किया था।
दो साल बाद रूपाली ने भाजपा की बैठकों में जाना छोड़कर वंचितों और कमजोरों के लिए अपना कर्मा संगठन बनाया जिसने उनके लिए कोविड के दौरान खाने की व्यवस्था की।