UP: हाथरस मामले में रिपोर्टिंग करने पहुंचे केरल के पत्रकार सहित 4 लोगों पर देशद्रोह के आरोप, हुआ 14 दिनों की न्यायिक हिरासत

By भाषा | Published: October 7, 2020 06:41 PM2020-10-07T18:41:45+5:302020-10-07T18:51:26+5:30

मथुरा पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि सोमवार की रात यमुना एक्सप्रेस-वे से हाथरस जाते समय मांट टोल पुलिस चौकी पर वाहनों की जांच के दौरान एक कार में सवार चार युवकों को उनकी संदिग्ध गतिविधियों को आधार पर पहले हिरासत में लिया गया।

UP: 4 people, including Kerala journalist, accused of sedition, reporting 14 days judicial custody | UP: हाथरस मामले में रिपोर्टिंग करने पहुंचे केरल के पत्रकार सहित 4 लोगों पर देशद्रोह के आरोप, हुआ 14 दिनों की न्यायिक हिरासत

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

Highlightsपीएफआई जैसे संदिग्ध संगठनों से जुड़े होने का पता चलने तथा उनके कब्जे से संदिग्ध साहित्य और अन्य सामग्री प्राप्त हुआ।इससे पूर्व चारों युवकों को शांति भंग करने के आरोप में जिलाधिकारी मांट की अदालत में पेश किया गया।आरोप है कि ये लोग हाथरस की घटना की रिपोर्टिंग करने के बहाने वहां जातीय और सांप्रदायिक दंगा भड़काने चाहते थे।

मथुरा/लखनऊ: दिल्ली से हाथरस जाते समय सोमवार को मांट टोल चौकी पर तलाशी के दौरान हिरासत में लिए गए केरल के एक पत्रकार सहित चार संदिग्ध युवकों के खिलाफ देशद्रोह सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद बुधवार को उन्हें मथुरा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जिला कारागार भेज दिया गया।

मथुरा पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि सोमवार की रात यमुना एक्सप्रेस-वे से हाथरस जाते समय मांट टोल पुलिस चौकी पर वाहनों की जांच के दौरान एक कार में सवार चार युवकों को उनकी संदिग्ध गतिविधियों को आधार पर पहले हिरासत में लिया गया।

बाद में, उनके पीएफआई जैसे संदिग्ध संगठनों से जुड़े होने का पता चलने तथा उनके कब्जे से संदिग्ध साहित्य और अन्य सामग्री प्राप्त होने पर उनके खिलाफ देशद्रोह, भड़काऊ सामग्री रखने और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने जैसे गंभीर मामलों में मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

इससे पूर्व चारों युवकों को शांति भंग करने के आरोप में जिलाधिकारी मांट की अदालत में पेश किया गया, जिन्होंने उन्हें चौदह दिन के लिए जेल भेज दिया था। मथुरा के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्रीचन्द्र ने कहा, "तलाशी के दौरान इन लोगों के कब्जे से एक लैपटॉप, छह मोबाइल फोन और शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला संदिग्ध साहित्य भी मिला है।

आरोप है कि ये लोग हाथरस केस की घटना की रिपोर्टिंग करने के बहाने वहां जातीय और सांप्रदायिक दंगा भड़काने चाहते थे। उन्होंने बताया कि बुधवार को सभी आरोपियों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिन्होंने उन्हें अगले चौदह दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

श्रीचंद्र ने कहा, "इन सभी आरोपियों के खिलाफ मांट थाने में भादंवि की धारा 153 (ए), 295 (ए) व 124 (ए); गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धारा 17/18 एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं 65/72 व 76 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है।’’ गिरफ्तार लोगों में केरल के मलप्पुरम निवासी पत्रकार सिद्दीक कप्पन, मुजफ्फरनगर निवासी अतीक उर रहमान, बहराइच निवासी मसूद अहमद और रामपुर निवासी आलम शामिल हैं।

इस बारे में पुलिस का कहना है कि इन लोगों का संबंध पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों से है। पुलिस का दावा है कि जांच में यह पाया गया है कि यह चारों लोग एक साजिश के तहत हाथरस जा रहे थे और उनका इरादा माहौल को खराब करने का था। यह भी पाया गया है कि वे एक वेबसाइट चला रहे थे जिसके जरिए चंदा इकट्ठा किया जाता था और इसके जरिए वे जातीय तथा सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे थे।

पुलिस के मुताबिक जांच में यह भी सामने आया है कि इस वेबसाइट के जरिए चंदा मांगने का काम भी वैध तरीके से नहीं किया जा रहा था। वेबसाइट द्वारा इकट्ठा किए गए धन का इस्तेमाल समाज में हिंसा भड़काने में किया जा रहा था। पुलिस सूत्रों का दावा है कि पकड़े गए चारों लोगों के पास से बरामद पर्चों में लिखी बातों से जाहिर होता है कि उनका इस्तेमाल माहौल को खराब करने और हाथरस मामले में सामूहिक बलात्कार की अफवाह फैलाने में किया गया।

इसके अलावा वेबसाइट का इस्तेमाल भी युवाओं के बीच राष्ट्र विरोधी भावना पैदा करने में किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि इस बात की जांच की जा रही है कि यह वेबसाइट कहां से और क्यों संचालित की जा रही है। इसके जरिए अभी तक कितना धन इकट्ठा किया जा चुका है।

उसका कहां इस्तेमाल किया गया है और कौन-कौन इसके लाभार्थी हैं। पीएफआई पर राजधानी लखनऊ में पिछले साल 19 दिसंबर को संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में हिंसा फैलाने का आरोप लगा था और प्रदेश पुलिस ने उस पर पाबंदी लगाने की मांग की थी। 

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