यूनीटेक के 12 हजार खरीददारों को राहत, प्रबंधकीय नियंत्रण अपने हाथ में लेगी मोदी सरकार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 20, 2020 04:27 PM2020-01-20T16:27:28+5:302020-01-20T17:13:18+5:30

उच्चतम न्यायालय ने समाधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए यूनीटेक लिमिटेड के नये बोर्ड को दो महीने का समय दिया और उसकी रिपोर्ट मांगी। 

Unitech real estate case: Supreme Court today accepted the Union of India's (UOI) proposal to take over the management of the real estate company, | यूनीटेक के 12 हजार खरीददारों को राहत, प्रबंधकीय नियंत्रण अपने हाथ में लेगी मोदी सरकार

उच्चतम न्यायालय ने 18 दिसंबर 2019 को केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वह 2017 के अपने प्रस्ताव पर विचार करने के लिये तैयार है।

Highlightsउच्चतम न्यायालय ने यूनीटेक लिमिटेड के नये बोर्ड को किसी भी तरह की कानूनी कार्यवाही से दो महीने की छूट दी है।12 हजार परेशान घर खरीदारों को राहत पहुंचाने के अपने 2017 के प्रस्ताव पर पुनर्विचार को तैयार है।

उच्चतम न्यायालय ने कानूनी विवादों में उलझी यूनिटेक लिमिटेड का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के केन्द्र के प्रस्ताव को सोमवार को मंजूरी प्रदान कर दी।

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने यूनिटेक के नये बोर्ड को कंपनी की समाधान रूपरेखा तैयार करने और इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने के लिये दो महीने का वक्त दिया है। पीठ ने यूनिटेक के नये बोर्ड को कंपनी के प्रबंधन के खिलाफ किसी भी कानूनी कार्यवाही से दो महीने की छूट भी प्रदान की है।

न्यायालय ने कहा कि बोर्ड द्वारा समाधान रूपरेखा की तैयारी की निगरानी के लिये वह शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त करेगा। केन्द्र ने शनिवार को शीर्ष अदालत से कहा था कि वह करीब 12,000 परेशान मकान खरीदारों को राहत प्रदान करने के लिये यूनिटेक की अधर में लटकी परियोजनाओं को पूरा करने और यूनिटेक लि का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के 2017 के प्रस्ताव पर फिर से विचार के लिये तैयार है।

न्यायालय में पेश छह पेज के नोट में केन्द्र ने कहा था कि वह यूनिटेक के वर्तमान प्रबंधन को हटाने और सरकार के 10 व्यक्तियों को निदेशक नियुक्त करने के दिसंबर, 2017 के अपने प्रस्ताव पर फिर से गौर करने लिये तैयार है। साथ ही केन्द्र ने कहा था कि वह कंपनी की लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिये इसमें धन नहीं लगायेगा। केन्द्र ने कहा था कि न्यायालय को 12 महीने की छूट देनी चाहिए।

केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक पीठ को छह पन्नों के नोट में बताया है कि वह यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंधन को हटाकर सरकार द्वारा नामित 10 निदेशक नियुक्त करने के दिसंबर 2017 के अपने प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को तैयार है।

उच्चतम न्यायालय ने 18 दिसंबर 2019 को केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वह 2017 के अपने प्रस्ताव पर विचार करने के लिये तैयार है, क्योंकि यूनिटेक लिमिटेड की परियोजनाओं को किसी विशिष्ट एजेंसी द्वारा अपने हाथों में लेने की तत्काल जरूरत है ताकि घर खरीदारों के हित में अटकी परियोजनाओं को तय समय के भीतर पूरा किया जा सके। केंद्र सरकार ने नये नोट में पुराने प्रस्ताव पर विचार करने की सहमति व्यक्त करने के साथ ही कहा कि वह कंपनी की अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिये इसमें पैसे नहीं लगाएगी।

सरकार ने न्यायालय से यह भी कहा कि निश्चिंतता की अवधि सुनिश्चित करते हुये उसे 12 महीने की स्थगन अवधि का निर्देश देना चाहिये। सरकार ने यूनिटेक के लिये प्रस्तावित निदेशक मंडल के लिये हरियाणा काडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी युद्धवीर सिंह मलिक को चेयरमैन व प्रबंध निदेशक बनाने का सुझाव दिया था।

सदस्यों के लिये सरकार ने एनबीसीसी के पूर्व सीएमडी ए.के.मित्तल, एचडीएफसी क्रेडिला फाइनेंस सर्विस प्राइवेट लिमिटेड की चेयरमैन रेणू सूद कर्णाड, एंबैसी ग्रुप के सीएमडी जीतू वीरवानी और हीरानंदानी ग्रुप के एमडी निरंजन हीरानंदानी का नाम सुझाया है।

सरकार ने यह भी कहा कि प्रस्तावित निदेशक मंडल द्वारा तैयार समाधान रूपरेखा के निरीक्षण के लिये न्यायालय एक सेवानिवृत्त न्यायधीश की भी नियुक्ति कर सकता है। केंद्र सरकार ने कहा, ‘‘न्यायालय प्रस्तावित निदेशक मंडल को महत्वपूर्ण प्रबंधकों तथा न्यायिक, दिवाला शोधन, वित्तीय परामर्शदाताओं, रियल एस्टेट पेशेवरों आदि की नियुक्ति करने का अधिकार दे सकता है।’’

सरकार ने न्यायालय से प्रवर्तकों, कंपनी के मौजूदा प्रबंधन, फोरेंसिक ऑडिटर्स, संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों, बैंकों, वित्तीय संस्थानों और राज्य सरकारों को प्रस्तावित निदेशक मंडल के साथ सहयोग करने का निर्देश देने का आग्रह किया।

सरकार ने कंपनी, कंपनी के मौजूदा प्रबंधन तथा प्रवर्तकों के खिलाफ देश भर में चल रहे विभिन्न मुकदमों से प्रस्तावित निदेशक मंडल को मुक्त रखने की भी मांग की। सरकार ने प्रस्तावित निदेशक मंडल को अटकी परियोजनाएं पूरा करने के लिये घर खरीदारों से बकाया राशि वसूल करने और नहीं बिक पायी संपत्तियों तथा जिम्मेदारियों से मुक्त संपत्तियों की बिक्री करने की मंजूरी देने का भी आग्रह किया।

उल्लेखनीय है कि यूनिटेक लिमिटेड के बारे में फोरेंसिक ऑडिटर द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2006 से 2014 के दौरान 29,800 घर खरीदारों से करीब 14,270 करोड़ रुपये जुटाने और छह वित्तीय संस्थानों से करीब 1,805 करोड़ रुपये जुटाने का पता चला है।

कंपनी ने 74 परियोजनाओं को पूरा करने के लिये यह राशि जुटायी थी। इसमें पता चला है कि कंपनी ने घर खरीदारों से जुटाये करीब 5,063 करोड़ रुपये और वित्तीय संस्थानों से जुटाये करीब 763 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नहीं किया। बल्कि 2007 से 2010 के दौरान कंपनी द्वारा कर चोरी के लिहाज से पनाहगाह माने जाने वाले देशा में बड़ा निवेश किये जाने का पता चलता है।

फारेंसिंक आडिट में यह सब पता चलने के बाद उच्चतम न्यायालय ने यूनिटेक लिमिटेड के प्रवर्तकों के खिलाफ मनी लौंड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया। यूनिटेक के प्रवर्तक संजय चंद्रा और उनके भाई अजय चंद्रा घर खरीदारों से प्राप्त धन की हेरा-फेरी के आरोप में फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। 

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