लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पीएम नरेंद्र मोदी इन चेहरों को दे सकते हैं मंत्रिमण्डल में जगह
By सतीश कुमार सिंह | Published: January 12, 2023 03:56 PM2023-01-12T15:56:33+5:302023-01-12T15:59:41+5:30
Union Cabinet reshuffle 2023: आगामी चुनावों की रणनीति के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जहां अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की तैयारियों में जुटी है, वहीं इसी महीने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल की संभावनाओं को भी बल मिल रहा है।
नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक नई दिल्ली में 16-17 जनवरी को होगी। इस बीच चर्चा तेज है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल विस्तार कर सकते हैं। 2024 के आम चुनावों से पहले केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल की संभावना तेज हो गई है।
अगले साल आम चुनाव (2024) से पहले नौ राज्य हैं और जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में 2023 में चुनाव होने हैं। कर्नाटक में भाजपा सत्ता में है और तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। 31 जनवरी को संसद के बजट सत्र की शुरुआत से पहले इस महीने किसी भी समय मंत्रिमंडल में फेरबदल होने की संभावना है।
धर्मेंद्र प्रधान, अनुराग ठाकुर और भूपेंद्र यादव को अहम जिम्मेदारी मिल सकती है
मंत्रालय में इन दिनो हलचल तेज है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम फेरबदल हो सकता है। यह फेरबदल संभवत: आखिरी बार होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव में अब केवल 15 महीने का समय बचा है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, अनुराग ठाकुर और भूपेंद्र यादव को अहम जिम्मेदारी मिल सकती है।
गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी की शानदार जीत गुजरात प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को दिल्ली में अहम भूमिका में लाया जाएगा। बिहार के आरा के सांसद और केंद्रीय मंत्री को नई जगह तलाशी जा रही है। सूत्रों ने बताया कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मध्य प्रदेश में बदलाव पर विचार कर रहा है, लेकिन अभी तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।
दलित नेता रामविलास पासवान के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता
लेकिन फेरबदल में तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नए चेहरे केंद्रीय परिषद में आ सकते हैं। एक राय यह भी है कि भाजपा चिराग पासवान को पुरस्कृत कर सकती है, जिन्हें उनके पिता और बिहार के दिग्गज दलित नेता रामविलास पासवान के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है।
वर्तमान में, उनके चाचा पशुपति कुमार पारस केंद्रीय मंत्री हैं, जिन्होंने मूल पार्टी के छह सांसदों में से पांच के समर्थन से एक अलग गुट बनाया है। बिहार और पश्चिम बंगाल की संख्या कम हो सकती है, लेकिन प्रदर्शन करने वाले कुछ मंत्रियों को बनाए रखा जा सकता है। सहकारिता के लिए एक पूर्णकालिक मंत्री भी विचाराधीन है।
जम्मू-कश्मीर के नेता पर विचार किया जा सकता
फेरबदल में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को प्रतिनिधित्व मिलने की संभावना है, जिसे शिवसेना के अधिकांश सांसदों का समर्थन प्राप्त है। मंत्रिमंडल में एक अल्पसंख्यक चेहरे को भी शामिल किया जा सकता है और सूत्रों ने संकेत दिया है कि जम्मू-कश्मीर के नेता पर विचार किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में जुलाई 2021 में केवल एक बार अपनी मंत्रिपरिषद में फेरबदल किया है, जबकि अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने तीन बार अपनी मंत्रिपरिषद में फेरबदल और विस्तार किया था। हालांकि इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि यह फेरबदल 31 जनवरी को संसद का बजट सत्र शुरू होने से पहले किसी भी दिन हो सकता है।
पीएम मोदी की मंत्रिपरिषद में बदलाव हमेशा चौंकाने वाले रहे हैं
बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में उभरते राजनीतिक समीकरण भी फेरबदल में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। इसी तरह, ऐसी चर्चा है कि पार्टी के संगठन में भी बदलाव लाया जा सकता है। मोदी की मंत्रिपरिषद में बदलाव हमेशा चौंकाने वाले रहे हैं, क्योंकि कभी-कभी ऐसे मंत्रियों को हटाया गया।
ऐसे लोगों को मंत्री बनाया गया, जिसके बारे में किसी ने दूर-दूर तक सोचा भी नहीं था। मौजूदा मंत्रियों के विभागों में बदलाव के लिए भी मोदी के मंत्रिमंडल में फेरबदल सुर्खियों में रहे हैं। पिछली बार प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था, जबकि पूर्व आईएएस अधिकारी अश्विनी वैष्णव को शामिल किया गया था।