केंद्र से नहीं मिली फंडिंग तो यूजीसी ने आधा दर्जन रिसर्च प्रोजेक्ट्स बंद किए, एससी-एसटी के भी दो प्रोजेक्ट्स बंद हुए
By विशाल कुमार | Published: January 5, 2022 11:05 AM2022-01-05T11:05:59+5:302022-01-05T11:12:42+5:30
यूजीसी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में कई योजनाओं की फंडिंग में कमी आई है क्योंकि इसे बंद घोषित किया गया है। इसके साथ ही शोध लाभार्थियों की संख्या में भी कमी आ रही है। मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट (एमआरपी) सहित करीब आधा दर्जन रिसर्च प्रोजेक्ट्स साल 2017-18 से ही बंद दिखा रहे हैं।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार से पैसा न मिलने के कारण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कई रिसर्च प्रोजेक्ट्स को या तो बंद कर दिया है या उन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, यूजीसी की वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में कई प्रोजेक्ट्स की फंडिंग में कमी आई है क्योंकि इसे बंद घोषित किया गया है। इसके साथ ही शोध लाभार्थियों की संख्या में भी कमी आ रही है। मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट (एमआरपी) सहित करीब आधा दर्जन रिसर्च प्रोजेक्ट्स साल 2017-18 से ही बंद दिखा रहे हैं।
बंद हो चुके रिसर्च प्रोजेक्ट्स की सूची में एमिरिटस फेलोशिप, डॉ. एस. राधाकृष्णन पोस्ट डॉक्टरेट फेलोशिप इन ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज, पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप टू वूमेन कैंडिडेट्स और पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप टू एससी-एसटी कैंडिडेट्स शामिल हैं। अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप को भी 2018-19 में बंद कर दिया गया है।
अखबार ने 27 दिसंबर को यूजीसी के सचिव रजनीश जैन को एक ईमेल भेजा था जिसमें शोध के लिए फंडिंग में कमी के बारे में पूछा गया था, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट की फंडिंग में पांच साल में 100 करोड़ रुपये से अधिक की कमी आ गई
एमआरपी की बात करें तो 2015-16 में जहां इसके लिए 107 करोड़ रुपये आवंटित किए गए तो वहीं, 2016-17 में यह अचानक घटकर 26.26 करोड़ रुपये और तेजी से कम होते हुए 2019-20 में 3.27 करोड़ रुपये पहुंच गया।
इसके साथ ही जहां 2015-16 में इसके शोध लाभार्थियों की संख्या 2900 थी तो वहीं तेजी से गिरते हुए यह संख्या 2019-20 में 335 रह गई।
यूजीसी एमआरपी के तहत मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्थायी, नियमित, कार्यरत या सेवानिवृत्त शिक्षकों से प्राप्त अनुसंधान प्रस्तावों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जो उन्हें अपनी नियमित नौकरियों के साथ या सेवानिवृत्ति के बाद विशिष्ट विषय क्षेत्रों में गहन अध्ययन करने में सक्षम बनाता है।
एमआरपी के तहत, प्रत्येक लाभार्थी को विज्ञान प्रोजेक्ट्स के लिए 20 लाख रुपये और मानविकी और सामाजिक विज्ञान में रिसर्च के लिए 15 लाख रुपये मिलते हैं।