Uddhav-Raj Thackeray: संभावना बनती दिख रही, राह आसान नहीं?, दोनों दलों के नेताओं ने कहा-जानिए कहां-कहां अड़चन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 27, 2025 16:38 IST2025-04-27T16:36:29+5:302025-04-27T16:38:09+5:30

Uddhav-Raj Thackeray: मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा है कि मराठी मानुष के हित में एकजुट होना कठिन नहीं है, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयां छोड़कर आगे बढ़ने को तैयार हैं।

Uddhav-Raj Thackeray live Possibility seems emerging but path not easy Leaders both parties said Shiv Sainiks ready protect Marathi identity know where obstacle | Uddhav-Raj Thackeray: संभावना बनती दिख रही, राह आसान नहीं?, दोनों दलों के नेताओं ने कहा-जानिए कहां-कहां अड़चन

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Highlightsअलग होने के लगभग दो दशक बाद एक बार फिर हाथ मिला सकते हैं।शिवसैनिक मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए तैयार हैं।मनसे को एक भी सीट नहीं मिली।

मुंबईः उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलों के जोर पकड़ने पर, शिवसेना (उबाठा) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेताओं ने कहा है कि हालांकि इससे एक संभावना बनती दिख रही है, लेकिन व्यक्तिगत संबंध और संगठनात्मक तालमेल समेत कुछ बाधाएं हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है। ठाकरे भाइयों के बीच संभावित सुलह की चर्चा तेज हो गई है तथा उनके बयानों से संकेत मिल रहे हैं कि वे ‘‘मामूली मुद्दों’’ को नजरअंदाज कर सकते हैं तथा अलग होने के लगभग दो दशक बाद एक बार फिर हाथ मिला सकते हैं।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा है कि मराठी मानुष के हित में एकजुट होना कठिन नहीं है, वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयां छोड़कर आगे बढ़ने को तैयार हैं, बशर्ते राज्य के हितों के खिलाफ काम करने वालों को तरजीह न दी जाए। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने शनिवार को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट में बिना कोई संदर्भ दिए कहा, ‘‘मुंबई और महाराष्ट्र के लिए एकजुट होने का समय आ गया है। शिवसैनिक मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए तैयार हैं।’’ उद्धव-राज फिलहाल विदेश में हैं।

राज के अप्रैल के आखिरी हफ्ते में और उद्धव के मई के पहले हफ्ते में लौटने की उम्मीद है। सुलह की चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों पार्टियां अपने चुनावी प्रदर्शन के मामले में सबसे खराब दौर और अपने सबसे कठिन राजनीतिक दौर से गुजर रही हैं। वर्ष 2024 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना (उबाठा) ने 20 सीटें जीतीं, जबकि मनसे को एक भी सीट नहीं मिली।

हालांकि, दोनों पार्टियों के नेताओं ने कहा है कि राज के बयान पर उद्धव की प्रतिक्रिया से अटकलें लगाई जा सकती हैं, लेकिन यह कहना जितना आसान है, करना उतना ही मुश्किल है। शिवसेना (उबाठा) के एक नेता ने कहा कि दोनों चचेरे भाई अलग-अलग मिजाज के हैं। पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से पुरानी बातों के कारण उनमें एक-दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना पैदा हो गई है।

राज ने 2005 में शिवसेना छोड़ दी थी और इसके लिए उद्धव को जिम्मेदार ठहराया था। राज ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि वह बाल ठाकरे के अलावा किसी और के अधीन काम नहीं कर सकते। पिछले हफ्ते शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने कहा कि राजनीति की वजह से पारिवारिक रिश्ते नहीं टूटते। लेकिन व्यक्तिगत संबंध सिर्फ दो व्यक्तियों तक ही सीमित नहीं हैं- यह उनके परिवारों, विशेषकर दोनों चचेरे भाइयों के बेटों आदित्य (उद्धव के पुत्र) और अमित (राज के पुत्र) के बारे में भी है--जिन्हें अंततः संगठन का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया जा रहा है।

शिवसेना के इतिहास पर लिखी गई किताब ‘‘जय महाराष्ट्र’’ के लेखक प्रकाश अकोलकर ने कहा कि यह 2019 में अविभाजित शिवसेना, कांग्रेस और अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के बीच हुए गठबंधन से अलग होगा। अकोलकर ने कहा, ‘‘उद्धव और राज के बीच लड़ाई व्यक्तिगत और पारिवारिक झगड़ा है, जहां दोनों भाई पारिवारिक (बाल ठाकरे की) विरासत हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि बाल ठाकरे की पत्नी मीना परिवार की मुखिया थीं और पर्दे के पीछे रहकर पार्टी में अहम भूमिका निभाती थीं। अकोलकर ने कहा, ‘‘अब, (उद्धव और राज की) पत्नियों का अपनी-अपनी पार्टियों पर अच्छा-खासा प्रभाव है तथा अगर सुलह की कोई संभावना बनती है तो वे भी इसी तरह की भूमिका निभाएंगी।’’

महाराष्ट्र के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता नितेश राणे ने पिछले सप्ताह सवाल उठाया था कि क्या उद्धव ठाकरे ने राज के बयान पर प्रतिक्रिया देने से पहले अपनी पत्नी रश्मि से सलाह ली थी। शिवसेना (उबाठा) के एक नेता ने माना कि दोनों दलों का एक साथ आना कठिन है। उद्धव-राज के एक साथ आने की संभावना से दोनों दलों के समर्थक उत्साहित हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं के एक वर्ग के लिए यह बात शायद उतनी उत्साहजनक नहीं है। मनसे के एक नेता ने कहा, ‘‘जब हम मुंबई में सीट बंटवारे पर चर्चा करेंगे, तो सीटों का बंटवारा कैसे किया जाएगा?

जीतने योग्य और न जीतने योग्य सीटों का बंटवारा कैसे होगा? दादर और वर्ली जैसे इलाकों का क्या होगा, जहां दोनों पार्टियों का मजबूत आधार है? अन्य शहरों का क्या होगा, जहां शिवसेना (उबाठा) और मनसे का मजबूत जनाधार है।’’ उन्होंने विचारधाराओं का सवाल भी उठाया।

जहां राज खुद को मराठी-हिंदुत्व नेता के रूप में पेश कर रहे हैं, वहीं उद्धव ने पार्टी को अधिक समावेशी बनाने, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के साथ मेलजोल बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। मनसे नेता ने पूछा, ‘‘अगर उद्धव ने हमसे भाजपा से नाता तोड़ने को कहा, तो क्या वह कांग्रेस के साथ भी ऐसा ही करेंगे?’’

पिछले सप्ताह मनसे प्रवक्ता और पार्टी के मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने पूछा था कि क्या उद्धव मनसे के उन 17,000 कार्यकर्ताओं से माफी मांगेंगे, जिनपर उनके मुख्यमंत्री रहते हुए मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए पुलिस में मामले दर्ज किए गए थे।

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