150 फीट गहरे बोरवेल में गिरे 2 साल के बच्चे को 109 घंटे बाद निकाला गया, लेकिन नहीं बच सकी जान
By भाषा | Published: June 10, 2019 03:35 PM2019-06-10T15:35:54+5:302019-06-11T13:05:01+5:30
बचाव दल रविवार को उसके करीब पहुंच गया था लेकिन उसे निकाला नहीं जा सका क्योंकि कुछ तकनीकी समस्याएं सामने आ गईं थीं। अधिकारियों ने बताया कि बच्चे को खाना पीना तो नहीं दिया गया है लेकिन ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है।
डेढ़ सौ फुट गहरे बोरवेल में गिरे दो साल के बच्चे फतेहवीर सिंह को 109 घंटे बाद निकाल लिया गया लेकिन दुर्भाग्य से बच्चा मृत निकला। जिले के भगवानपुरा गांव में अपने घर के पास सूखे पड़े इस बोरवेल में गुरूवार शाम को फतेहवीर गिर गया था और उसे बाहर निकालने में 109 घंटे लगे। पंजाब पुलिस और एनडीआरएफ की टीम की लगातार कोशिशों के बावजूद बच्चा को जिंदा नहीं बचाया जा सका।
अधिकारियों ने बताया कि यह बोरवेल एक कपड़े से ढंका हुआ था। फतेहवीर खेलते हुये वहां पहुंचा और उसमें गिर गया। उसकी मां ने अपनी इस इकलौती संतान को बचाने की बहुत कोशिशें की लेकिन वह इसमें नाकामयाब रही।
बचाव दल रविवार को उसके करीब पहुंच गया था लेकिन उसे निकाला नहीं जा सका क्योंकि कुछ तकनीकी समस्याएं सामने आ गईं थीं। अधिकारियों ने बताया कि बच्चे को खाना पीना तो नहीं दिया गया था लेकिन ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही थी।
Very sad to hear about the tragic death of young Fatehveer. I pray that Waheguru grants his family the strength to bear this huge loss. Have sought reports from all DCs regarding any open bore well so that such terrible accidents can be prevented in the future.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) June 11, 2019
बचाव दल में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), पुलिस, नागरिक प्रशासन, ग्रामीण और स्वयं सेवी लोग शामिल थे। ये लोग तपती गर्मी की परवाह किए बगैर पूरी मेहनत से बचाव अभियान चला रहे थे।
बच्चे को बचाने के लिए बोरवेल के समांतर एक दूसर बोरवेल खोदा गया है और उसमें कंक्रीट के बने 36 इंच व्यास के पाइप डाले गए हैं। घटना की जानकारी फैलते ही बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम जमा हो गया और बच्चे को बचाने की प्रार्थनाओं का अनवरत सिलसिला चल रहा है।
घटना स्थल पर कैम्प लगा कर राहत अभियान पर नजर रख रहे पंजाब के सार्वजनिक निर्माण विभाग मंत्री विजय इंदर सिंगला ने कहा कि हमारा मकसद केवल बच्चे को सकुशल बाहर निकालना है। इस घटना से कुरूक्षेत्र में 2006 में गिरे बच्चे प्रिंस को बचाने की याद ताजा हो गई हैं।
प्रिंस को करीब 48 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाल लिया गया था।