दो दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों ने जताया भरोसा, अब हुवावे की तकनीक से दौड़ेगी की 5जी सेवाएं!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 16, 2020 05:08 AM2020-01-16T05:08:42+5:302020-01-16T05:08:42+5:30

जियो ने दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग के साथ 5जी परीक्षण के लिए करार करने का इरादा व्यक्त किया है. आज 5जी परीक्षण के लिए दूरसंचार कंपनियों की ओर से आवेदन देने की अंतिम तिथि थी.

Two giant telecom companies expressed confidence, now 5G services will run with Huawei's technology! | दो दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों ने जताया भरोसा, अब हुवावे की तकनीक से दौड़ेगी की 5जी सेवाएं!

अमेरिकी दबाव में 5जी परीक्षण में हुवावे को शामिल नहीं किया जा रहा है

Highlights5जी परीक्षण में शामिल होने को लेकर लंबे समय से हां-ना की स्थिति बनी हुई थीभारत की दो दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों ने भरोसा जताया है.

 चीन की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी हुवावे के 5जी परीक्षण में शामिल होने को लेकर लंबे समय से हां-ना की स्थिति बनी हुई थी. इस बीच उसकी तकनीक और उपकरण को लेकर भारत की दो दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों ने भरोसा जताया है. एयरटेल और वोडाफोन की ओर से दूरसंचार मंत्रालय को कहा गया है कि वे 5जी परीक्षण के लिए नोकिया, एरिक्सन के साथ ही चीन की जेडटीई के साथ ही हुवावे को भी अपने साथ जोड़ रहे हैं.

वहीं, जियो ने दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग के साथ 5जी परीक्षण के लिए करार करने का इरादा व्यक्त किया है. आज 5जी परीक्षण के लिए दूरसंचार कंपनियों की ओर से आवेदन देने की अंतिम तिथि थी. हुवावे को लेकर वार-पलटवार की वजह यह थी कि अमेरिका और यूरोपीय देशों का कहना है कि यह कंपनी अपने उपकरणों के जरिये जासूसी करती है. जिससे सभी डाटा और सूचनाएं चीन चली जाती हैं.

हालांकि हुवावे इसका लगातार विरोध करती रही है. उसका कहना है कि ऐसा कहने से पहले सबूत देने चाहिए. यह माना जा रहा था कि अमेरिकी दबाव में 5जी परीक्षण में हुवावे को शामिल नहीं किया जा रहा है. लेकिन, हाल ही में दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ऐलान किया था कि सरकार परीक्षण में सभी कंपनियों को शामिल होने का मौका देगी.

एक बार परीक्षण पूरा होने पर यह निर्णय किया जाएगा कि किन कंपनियों को स्थाई रूप से 5जी सेवा संचालन में आने की इजाजत दी जाएगी. वैश्विक कूटनीतिक परिदृश्य को देखते हुए सरकार ने सभी कंपनियों को शामिल होने की इजाजत दी है. भारत नहीं चाहता है कि उसके किसी भी कदम से यह संदेश जाए कि वह एक देश के साथ है और दूसरे देश के साथ नहीं है.

खासकर चीन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसके 5-जी उपकरण सस्ते और सुलभ हैं. साथ ही बिना सबूत के उस पर आरोप लगाना भी उचित नहीं है. जिसके बाद सरकार ने परीक्षण में हुवावे को भी शामिल करने का निर्णय किया. बताया जाता है कि बंगलुरु में हुवावे जहां एयरटेल के लिए परीक्षण करेगी तो वहीं उसके उपकरण दिल्ली में वोडाफोन के 5-जी परीक्षण को अंजाम देगी.

Web Title: Two giant telecom companies expressed confidence, now 5G services will run with Huawei's technology!

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