जम्मू: आठ घटों के भीतर दूसरी बार पाकिस्तानी ‘गीदड़ों के झुंड’ को भारतीय चीतों ने मार गिराया है। कल रात सवा आठ बजे ड्रोन और मिसाइलों के नाकाम हमलों के उपरांत पाकिस्तान की ओर से तड़के तीन बजे के करीब फिर से हुए हमले को पछाड़ा जा चुका है। रक्षा सूत्रों के बकौल, जम्मू सेक्टर में तैनात एयर डिफैंस के चीतों ने इन हमलों को नाकाम बनाया है। रक्षा सूत्र इन हमलों में भारतीय पक्ष को कोई क्षति नहीं होने का दावा जरूर करते थे। हालांकि वे कहते थे कि इन हमलों के उपरांत खतरा अभी टला नहीं है और पाकिस्तान की ओर से फिर से हमले करने की आशंका बनी हुई है।
1971 के भारत पाक युद्ध के उपरांत यह पहला मौका था कि पाकिस्तान की ओर से पूरे प्रदेश में शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी। वर्ष 1999 के करगिल युद्ध, 2001 में संसद पर हुए हमले के उपरांत युद्ध के करीब हालात, उड़ी और फिर पुलवामा हमले के उपरांत भारतीय स्ट्राइक के दौरान भी जम्मू कश्मीर की जनता ने ऐसे हमलों को नहीं देखा था। इतना जरूर था कि एलओसी पर पाक सेना के तोपखानों के मुंह कभी बंद ही नहीं हुए थे।
अधिकारियेां ने जनता को निर्देश दिया है कि ब्लैकआउट के सायरन के बाद न ही कोई रोशनी की जाए और न ही इन निर्देशों का उल्लंघन किया जाए। वे कहते थे कि दुश्मन को कमजोर नहीं समझा जाना चाहिए क्योंकि वह जख्मी सांप की तरह है जो किसी भी समय फिर से डसने की कोशिश करेगा।
जानकारी के लिए जम्मू का एयरफोर्स हवाई अड्डा पूरी तरह से पाक सेना के 105 एमएम के तोपखानों की मार के भीतर है। और सभी युद्धों के दौरान पाक का सारा जोर इस हवाई अड्डे को क्षति पहुंचाने का रहा है। यही नहीं तीन युद्धों के दौरान उसने तवी दरिया पर बने पुलों को कई बार उड़ा देने की नापाक कोशिश की पर कभी कामयाब नहीं हो पाया। ऐसे मंें अधिकारी कहते थे कि खतरा अभी टला नहीं है।