त्रिपुरा हिंसा : न्यायालय ने पत्रकारों और मीडिया घराने के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाई

By भाषा | Updated: December 8, 2021 18:36 IST2021-12-08T18:36:43+5:302021-12-08T18:36:43+5:30

Tripura Violence: Court stays criminal proceedings against journalists and media houses | त्रिपुरा हिंसा : न्यायालय ने पत्रकारों और मीडिया घराने के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाई

त्रिपुरा हिंसा : न्यायालय ने पत्रकारों और मीडिया घराने के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाई

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को त्रिपुरा में कथित सांप्रदायिक हिंसा की रिपोर्टिंग के लिए राज्य पुलिस द्वारा दो महिला पत्रकारों और मीडिया घराने के खिलाफ दर्ज मामले में आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी।

शीर्ष अदालत ने उसी मीडिया घराने में एक तीसरे पत्रकार, एक एसोसिएट एडिटर के खिलाफ कार्यवाही पर भी रोक लगा दी, जिसे हाल ही में पुलिस ने हिंसा पर खबरों के संबंध में तलब किया था।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने त्रिपुरा सरकार को नोटिस जारी किया। पीठ ने मीडिया घराने और पत्रकारों की उस याचिका पर चार सप्ताह में राज्य सरकार से जवाब मांगा जिसमें उनके खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

पीठ ने कहा, “अगले आदेशों तक, (i) त्रिपुरा के उनाकोटी के फातिक्रोय पुलिस थाने में 14 नवंबर 2021 की प्राथमिकी संख्या 39 पर और (ii) त्रिपुरा के गोमती के काकारापार उदयपुर पुलिस थाने में 14 नवंबर 2021 को दर्ज 2021 की प्राथमिकी संख्या 82 पर आगे की कार्यवाही पर रोक रहेगी।”

शीर्ष अदालत ने इस याचिका को उसके समक्ष लंबित ऐसी ही एक और याचिका के साथ संलग्न कर दिया।

पुलिस ने दो पत्रकार समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा और उनके मीडिया घराने थियो कनेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मीडिया घराने में एसोसिएट एडिटर आरती घरगी को हाल ही में पुलिस ने हिंसा पर कवरेज के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया था।

सुनवाई की शुरुआत में पत्रकारों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि प्राथमिकी के सिलसिले में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था और उन्हें जमानत भी मिल गई लेकिन एक और प्राथमिकी है।

उन्होंने कहा, “कठिनाई यह है कि आप समाचार की खबर करते हैं, और एक प्राथमिकी दर्ज की जाती है और फिर दूसरी यह कहने के लिए दर्ज की जाती है कि पहली प्राथमिकी में यह स्थापित किया गया है कि पत्रकार गलत हैं। यह गलत है और इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।”

पुलिस ने नवंबर में दो प्राथमिकी दर्ज की थीं जिसमें आरोप लगाया गया कि पत्रकारों की खबरों ने समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया और हिंसक घटनाओं के बारे में कथित आधारहीन खबर प्रकाशित करके सांप्रदायिक नफरत फैलाई।

याचिकाकर्ताओं ने प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि यह कानून की आपराधिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है क्योंकि वे हिंसा के शिकार लोगों के बयानों के आधार पर अपना काम कर रहे थे।

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Web Title: Tripura Violence: Court stays criminal proceedings against journalists and media houses

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