तृणमूल, 'आप' और उद्धव की सेना करना चाहती है 'खेला', अखिलेश ने नायडू और नीतीश को टटोला, लगे हैं प्रधानमंत्री की कुर्सी से मोदी को खिसकाने में, जानिए पूरी कवायद
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 7, 2024 09:43 AM2024-06-07T09:43:59+5:302024-06-07T09:55:08+5:30
इंडिया गठबंधन में शामिल कुछ दल, विशेष रूप से तृणमूल, शिवसेना (यूबीटी) और 'आप' नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री की गद्दी खिसकाने की जुगत में लगे हुए हैं।
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के बाद भले ही विपक्षी गठबंधन इंडिया बहुमत के आंकड़े से काफी पीछे रह गया हो लेकिन उसमें शामिल दल इंतजार करने और एनडीए खेमे में होने वाली हलचलों पर बारीकी से निगाह बनाये हुए हैं। विपक्षी गठबंधन का मानना है कि 'उचित समय पर उचित कदम' उठाया जाएगा।
लेकिन पर्दे के पीछे विपक्षी गठबंधन में शामिल कुछ दल, विशेष रूप से तृणमूल, शिवसेना (यूबीटी) और 'आप' नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री की गद्दी खिसकाने की जुगत में लगे हुए हैं और भाजपा को मात देने के लिए वो बहुमत जुटाने के विकल्प पर जोर दे रहे हैं।
समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव नतीजों के दिन ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव से बात की थी और उनसे अपने दिवंगत पिता मुलायम सिंह यादव के साथी टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू तक पहुंचने के लिए कहा था। 1990 के दशक के मध्य में संयुक्त मोर्चा के दिनों से जदयू के नीतीश कुमार का भी सपा के दिग्गज नेताओं के साथ अच्छा समीकरण रहा है।
बीते गुरुवार को ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी और पार्टी सहयोगी डेरेक ओ ब्रायन ने दिल्ली में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की थी।
सूत्रों ने कहा कि विपक्षी गठबंधन की एक अन्य घटक दल आम आदामी पार्टी का भी मानना है कि इंडिया ब्लॉक में और अधिक पार्टियों को लाने के विकल्प तलाशे जाने चाहिए। इसके लिए 'आप' नेता संजय सिंह और राघव चड्ढा ने भी अभिषेक बनर्जी से मुलाकात की। उसके बाद दोनों 'आप' नेता अलग-अलग शिवसेना नेता संजय राउत के आवास पर भी गए।
इसके बाद अभिषेक बनर्जी और ओ'ब्रायन मुंबई के लिए रवाना हो गए, जहां उनकी मुलाकात शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे से हुई। तृणमूल नेताओं से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि लोकतंत्र में उम्मीदें हमेशा बढ़नी चाहिए।
उन्होंने कहा, “जब लोगों को खुश करने से सरकार बन रही है तो खुश कोई और भी कर सकता है। लोकतंत्र में गिनती होती है। इसलिए आशाएं और अपेक्षाएं कभी खत्म नहीं होनी चाहिए। आशा और उम्मीदें हमेशा बनी रहनी चाहिए।”
हालांकि, सपा के सूत्रों ने कहा कि अखिलेश यादव को चंद्रबाबू नायडू या नीतीश कुमार से इतनी जल्दी पाला बदलने की उम्मीद नहीं है, लेकिन वे तृणमूल नेताओं से सहमत हैं कि इंडिया ब्लॉक को भाजपा को अपने साथ रखना चाहिए।
वहीं कांग्रेस आक्रामक रूप से संख्या बल जुटाने के मूड में नहीं है क्योंकि इंडिया गुट सरकार बनाने का दावा करने की स्थिति में नहीं है। वामपंथी नेताओं का भी मानना है कि दावेदारी के लिए एक अलग गठबंधन बनाया जाना चाहिए।
कांग्रेस में सोच यह है कि गठबंधन को नीतीश कुमार और नायडू के लिए विकल्प और दरवाजे खुले रखने चाहिए। तृणमूल के एक नेता ने कहा, “नरेंद्र मोदी की बीजेपी ने 10 साल तक सरकार चलाई है। उन्हें और उनकी सरकार को खारिज कर दिया गया है। वह शुरुआती बिंदु है, जहां से हम आगे बढ़ रहे हैं।”
तृणमूल के सूत्रों ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल से भाजपा के तीन नवनिर्वाचित सांसद अभिषेक बनर्जी के संपर्क में हैं। दूसरी ओर दो निर्दलीय, जिनमें बिहार के पूर्णिया से जीते राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव और महाराष्ट्र के सांगली से चुने गए विशाल पाटिल कांग्रेस का समर्थनदेने के लिए तैयार हैं।