वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगा यूपी की जेल में बंद कैदियों का ट्रायल, योगी सरकार जल्द प्रस्ताव कर सकती है मंजूर
By मेघना सचदेवा | Published: March 9, 2023 05:34 PM2023-03-09T17:34:43+5:302023-03-09T17:40:35+5:30
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक यूपी के कई जेलों में ऐसे कैदी बड़ी संख्या में हैं जिन्हें तबादले या किसी और कारण से अदालत द्वारा पेशी के लिए नहीं बुलाया जा रहा है। इन कैदियों की सुनवाई न हो पाने के चलते अदालत में कई केस लंबित हैं इसलिए विभाग ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इनका ट्रायल चलाने की सिफारिश की है। कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग द्वारा मुख्य सचिव के समक्ष एक प्रस्ताव पेश किया गया है।
लखनऊ: अदालत में लंबित पड़े मामलों के जल्द निपटारे के मकसद से योगी सरकार बंदियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई शुरू करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए एक प्रस्ताव कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग द्वारा मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद जो बंदी एक साल से अधिक समय से अदालत में पेश नहीं हुए हैं उनकी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई हो पाएगी।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हो सकेगा ट्रायल
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक यूपी के कई जेलों में ऐसे कैदी बड़ी संख्या में हैं जिन्हें तबादले या किसी और कारण से अदालत द्वारा पेशी के लिए नहीं बुलाया जा रहा है। इन कैदियों की सुनवाई न हो पाने के चलते अदालत में कई केस लंबित हैं इसलिए विभाग ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इनका ट्रायल चलाने की सिफारिश की है।
232 कैदी एक साल या इससे ज्यादा समय से कोर्ट में पेश नहीं हुए
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि विभाग की ओर से पेश आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश की विभिन्न जेलों में कुल 232 ऐसे कैदी बंद हैं, जो एक साल या इससे ज्यादा समय से कोर्ट में पेश नहीं हुए हैं। इनमें अयोध्या जोन के 16, लखनऊ के 55, कानपुर के 8, वाराणसी के 10, प्रयागराज के 5, मेरठ के 41, गोरखपुर के 24, बरेली के 28 और आगरा जोन के 45 कैदी शामिल हैं।
3 माह से 7 वर्ष तक की सजा पाए बंदियों की जमानत की सिफारिश
इन बंदियों को एक जेल से दूसरी जेल में स्थानांतरित करने के कारण न्यायालय ने एक वर्ष से अधिक समय तक पेशी के लिए नहीं बुलाया है, जिससे इनके मामलों की सुनवाई बाधित हो रही है। ऐसे में सरकार की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ट्रायल की पहल पर इनके रुके हुए मामलों की सुनवाई दोबारा शुरू की जा सकती है जिससे अदालत के कई मामले निपट सकते हैं। वहीं कारागर प्रशासन एवं सुधार विभाग ने भी सिफारिश की है कि अदालत द्वारा 3 माह से 7 वर्ष तक की सजा पाए ऐसे बंदियों को थानों से जमानत दी जाए।
जानकारी के मुताबिक प्रदेश की जेलों में 2,371 ऐसे कैदी हैं जिन्हें कोर्ट ने 3 साल से 7 साल की सजा सुनाई है।ऐसे कैदियों में सबसे ज्यादा मथुरा जेल में हैं जहां 395 कैदी जमानत का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा गाजियाबाद जेल में 235 अलीगढ़ जेल में 213 और नैनी-प्रयागराज जेल में 160 कैदी हैं। जबकि मुजफ्फरनगर जेल में 107 को जमानत का इंतजार है।