त्रिपुरा में भांग की जगह ‘याबा टैबलेट’ की तस्करी कर रहे हैं तस्कर: बीएसएफ
By भाषा | Published: November 29, 2019 02:44 PM2019-11-29T14:44:59+5:302019-11-29T15:06:52+5:30
बीएसएफ के आईजी ने कहा, ‘‘‘याबा टैबलेट’ म्यांमा की सीमा से पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा आते हैं और फिर इनकी तस्करी बांग्लादेश में होती है।’’
त्रिपुरा में सीमा पार सक्रिय तस्कर भांग की पैदावार के खिलाफ मुहिम के चलते अब इसके बजाय ‘याबा टैबलेट’ की ओर रुख कर रहे हैं। बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), त्रिपुरा फ्रंटियर के महानिरीक्षक (आईजी) सोलोमन यश कुमार मिंज ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों की राज्य में भांग की पैदावार के खिलाफ सख्त कार्रवाई को देखते हुए तस्कर अब ‘याबा टैबलेट’ पर नजर टिकाए हैं।
‘याबा’ एक ‘थाई’ शब्द है जो ‘‘नशीली दवाओं’’ के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह मेथमफेटामाइन का टैबलेट रूप है जो एक शक्तिशाली उत्तेजक एवं कैफीन है। कृत्रिम रूप से तैयार ये टैबलेट अनार, संतरा और वनीला सहित अलग-अलग फ्लेवर में मौजूद हैं और ये अधिकतर लाल रंग या हरे रंग में पाये जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अब तस्करों की रूचि ‘याबा’ टैबलेट की तस्करी में बढ़ गयी है क्योंकि इससे अच्छे पैसे मिल जाते हैं और इसकी तस्करी करना भी आसान है।’’ बीएसएफ ने इस साल त्रिपुरा की सीमा के जरिये तस्करी कर लायी गयी 32.92 करोड़ रुपये की सामग्री जब्त की जिनमें 17.57 करोड़ रुपये के ‘याबा टैबलेट’ थे।
बीएसएफ के आईजी ने कहा, ‘‘‘याबा टैबलेट’ म्यांमा की सीमा से पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा आते हैं और फिर इनकी तस्करी बांग्लादेश में होती है।’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग यह नहीं बता सकते कि ‘याबा टैबलेट’ का निर्माण कहां होता है। त्रिपुरा में ऐसे टैबलेट के निर्माण की कोई फैक्ट्री नहीं है।’’