Top Afternoon News: उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी को लेकर कोर्ट पहुंची सारा अब्दुल्ला, गार्गी कॉलेज में छात्राओं के साथ छेड़छाड़
By भाषा | Published: February 10, 2020 05:05 PM2020-02-10T17:05:38+5:302020-02-10T17:06:25+5:30
Top Afternoon News: दिल्ली पुलिस ने गार्गी कॉलेज की छात्राओं के साथ पिछले सप्ताह एक सांस्कृतिक उत्सव के दौरान हुई कथित छेड़छाड़ के मामले में सोमवार को प्राथमिकी दर्ज की। पढ़ें अब तक की बड़ी खबरें...
जन सुरक्षा कानून के तहत उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी को उनकी बहन ने न्यायालय में दी चुनौती
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंदी के खिलाफ उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। न्यायमूर्ति एन वी रमणा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सारा अब्दुल्ला पायलट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस याचिका का उल्लेख किया और इसे शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। सिब्बल ने कहा कि उन्होंने जन सुरक्षा कानून के तहत उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी को चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है और इस पर इसी सप्ताह सुनवाई करने का अनुरोध किया। पीठ इस याचिका को शीघ्र सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गई है। सारा अब्दुल्ला पायलट ने अपनी याचिका में कहा है कि ऐसा व्यक्ति जो पहले ही छह महीने से नजरबंद हो, उसे नजरबंद करने के लिए कोई नयी सामग्री नहीं हो सकती। याचिका में नजरबंदी के आदेश को गैरकानूनी बताते हुए कहा गया है कि इसमें बताई गईं वजहों के लिए पर्याप्त सामग्री और ऐसे विवरण का अभाव है जो इस तरह के आदेश के लिए जरूरी है। इसमें कहा गया है, ‘‘यह बिरला मामला है कि वे लोग जिन्होंने सांसद, मुख्यमंत्री और केन्द्र में मंत्री के रूप में देश की सेवा की और राष्ट्र की आकांक्षाओं के साथ खड़े रहे, उन्हें अब राज्य के लिए खतरा माना जा रहा है।’’ याचिका में कहा गया है कि उमर अब्दुल्ला को चार-पांच अगस्त, 2019 की रात घर में ही नजरबंद कर दिया गया था। बाद में पता चला कि इस गिरफ्तारी को न्यायोचित ठहराने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 107 लागू की गई है। इसके अनुसार, ‘‘इसलिए यह नितांत महत्वपूर्ण और जरूरी है कि यह न्यायालय व्यक्ति के जीने और दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा ही नहीं करे बल्कि संविधान के भाग के अनुरूप अनुच्छेद 21 के भाव की भी रक्षा करे क्योंकि जिसका उल्लंघन एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए अभिशाप है।’’ याचिका में उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंद करने संबंधी पांच फरवरी का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।
गार्गी कॉलेज में छात्राओं के साथ छेड़छाड़ के मामले में प्राथमिकी दर्ज
दिल्ली पुलिस ने गार्गी कॉलेज की छात्राओं के साथ पिछले सप्ताह एक सांस्कृतिक उत्सव के दौरान हुई कथित छेड़छाड़ के मामले में सोमवार को प्राथमिकी दर्ज की। पुलिस ने कहा कि कॉलेज अधिकारियों ने उससे शिकायत की है। हौज खास थाने में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 452 (हमला करना, या नुकसान पहुंचाने के इरादे से अनधिकृत तरीके से घुसना), धारा 354 (महिला की मर्यादा को क्षति पहुंचाने के लिए उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), धारा 509 (किसी महिला की मर्यादा का अनादर करने के आशय से कोई अश्लील शब्द कहना, हावभाव प्रकट करना या कोई कृत्य करना) और धारा 34 (साझा आपराधिक इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया है। कुछ छात्राओं ने इस घटना के संबंध में सोशल मीडिया पर जानकारी साझा की थी। सोशल मीडिया पोस्ट के अनुसार छह फरवरी को कॉलेज उत्सव ‘रेवरी’ के दौरान शाम करीब साढ़े छह बजे नशे में धुत पुरुषों के समूह ने कॉलेज के प्रवेश द्वार पर धावा बोल दिया था और वे अंदर घुस गए गए जिसके बाद उन्होंने छात्राओं के साथ कथित रूप से छेड़छाड़ की थी।
शाहीनबाग में प्रदर्शनकारी सड़क अवरुद्ध कर दूसरों के लिए असुविधा पैदा नहीं कर सकते: न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि दिल्ली के शाहीनबाग में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोग सार्वजनिक मार्ग अवरुद्ध कर दूसरों के लिए असुविधा पैदा नहीं कर सकते। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने शाहीनबाग से इन प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए दायर याचिकाओं पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद केन्द्र, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटस जारी किए। पीठ ने कहा, ‘‘एक कानून है और इसके खिलाफ लोग हैं। मामला न्यायालय में लंबित है। इसके बावजूद कुछ लोग विरोध कर रहे हैं। वे विरोध करने के हकदार हैं।’’ इसने कहा, ‘‘आप सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं कर सकते। इस तरह के क्षेत्र में अनिश्चितकाल के लिए विरोध प्रदर्शन नहीं हो सकता। यदि आप विरोध करना चाहते हैं, तो ऐसा एक निर्धारित स्थान पर होना चाहिए।’’ शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि शाहीनबाग में लंबे समय से विरोध प्रदर्शन चल रहा है लेकिन यह दूसरे लोगों के लिए असुविधा पैदा नहीं कर सकता।
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