टूलकिट मामला: शांतनु को अदालत से अग्रिम जमानत, पुलिस ने दिशा रवि की गिरफ्तारी को उचित ठहराया

By अनुराग आनंद | Published: February 17, 2021 07:22 AM2021-02-17T07:22:34+5:302021-02-17T07:27:26+5:30

कांग्रेस की छात्र शाखा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के कार्यकर्ताओं ने ‘टूलकिट’ मामले में पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी के खिलाफ मंगलवार को बेंगलुरु में प्रदर्शन किया। उन्होंने नारेबाजी करते हुए उसे रिहा करने की मांग की।

Toolkit case: Shantanu gets anticipatory bail from court, police justifies Disha Ravi's arrest | टूलकिट मामला: शांतनु को अदालत से अग्रिम जमानत, पुलिस ने दिशा रवि की गिरफ्तारी को उचित ठहराया

दिशा रवि (फाइल फोटो)

Highlightsपुलिस सूत्रों ने दावा किया कि शांतनु 20 जनवरी से 27 जनवरी के बीच राष्ट्रीय राजधानी में था लेकिन इस संबंध में विस्तार से नहीं बताया। पुलिस ने कहा था कि वे ‘‘टूलकिट’’ के संबंध में पीटर फ्रेडरिक की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं।

नयी दिल्ली/मुंबई: दिल्ली पुलिस ने टूलकिट मामले में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी को मंगलवार को उचित ठहराते हुए कहा कि यह कार्रवाई कानून के अनुरूप की गई है। वहीं बम्बई उच्च न्यायालय ने इस मामले में एक अन्य संदिग्ध पुणे के इंजीनियर शांतनु मुलुक को दस दिन की अग्रिम जमानत दे दी।

दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि दिशा रवि तथा मुम्बई की वकील निकिता जैकब और शांतनु ने ‘टूलकिट’ तैयार की और दूसरों के साथ इसे साझा करके भारत की छवि ‘‘धूमिल’’ करने की कोशिश की।

दिल्ली पुलिस ने जूम मीटिंग में शामिल होने वाले लोगों की जानकारी मांगी है-

टूलकिट मामले में अपनी जांच को तेज करते हुए दिल्ली पुलिस ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मंच ‘जूम’ को पत्र लिखकर, कथित तौर पर खालिस्तान समर्थक एक समूह द्वारा 11 जनवरी को आयोजित ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए लोगों के संबंध में जानकारी मांगी है, जबकि जांचकर्ता वित्त पोषण के पहलू की भी जांच कर रहे है।

रवि को टूलकिट का कथित तौर पर निर्माण करने के लिए बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था और उसे रविवार को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया था। दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस से सोशल मीडिया पर एक ‘‘टूलकिट’’ साझा करने में संलिप्तता के लिए गिरफ्तार रवि को प्राथमिकी की एक प्रति और अन्य दस्तावेज मुहैया कराने तथा अपने परिवार से उन्हें बातचीत करने की अनुमति दे दी है।

कोर्ट ने पुलिस हिरासत के दौरान दिशा रवि को 15 मिनट परिवार वालों से मिलने व 30 मिनट वकील से बात करने की अनुमति दी-

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने मंगलवार को रवि को पुलिस हिरासत के दौरान एक दिन में 15 मिनट के लिए अपने परिवार के सदस्यों से बातचीत करने और अपने वकील से 30 मिनट की मुलाकात करने की भी अनुमति दे दी है।

अदालत ने प्राथमिकी के अलावा पुलिस को गिरफ्तारी आदेश और हिरासत से जुड़े कागजात की प्रतियां भी मुहैया कराने का निर्देश दिया है। अदालत ने रवि को गर्म कपड़े, मास्क और किताबें मंगाने की भी अनुमति दे दी है।

विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं ने रवि को गिरफ्तार करने दिल्ली लाने के तरीकों पर सवाल उठाए हैं-

हालांकि कई विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं ने रवि को गिरफ्तार करने और उसे राष्ट्रीय राजधानी लाए जाने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाये हैं। दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजकर ‘टूलकिट’ मामले में गिरफ्तार दिशा रवि को अदालत में पेश करने से पहले कथित तौर पर उनकी पसंद का वकील मुहैया नहीं कराने पर रिपोर्ट तलब की है।

आयोग ने दिल्ली पुलिस को मामले में दर्ज प्राथमिकी की प्रति देने के साथ-साथ ट्रांजिट रिमांड के लिए स्थानीय अदालत में कथित तौर पर पेश नहीं करने, यहां अदालत में पेश करने के दौरान उनके पंसद का वकील मुहैया नहीं करने की वजह बताने को कहा है।

दिल्ली महिला आयोग ने दिशा रवि के बारे में दिल्ली पुलिस को शुक्रवार तक जानकारी देने को कहा है-

दिल्ली महिला आयोग ने कार्रवाई को लेकर रिपोर्ट भी तलब की है। आयोग ने दिल्ली पुलिस को शुक्रवार तक मांगी गई जानकारी देने को कहा है। हालांकि पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव ने किसी भी चूक से इनकार किया है। दिल्ली पुलिस के प्रमुख ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ दिशा रवि की गिरफ्तारी कानून के अनुरूप की गई है, जो 22 से 50 वर्षीय की आयु के लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता।’’

श्रीवास्तव ने कि यह गलत है जब लोग कहते हैं कि 21 वर्षीय कार्यकर्ता की गिरफ्तारी में चूक हुई। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को आरोप लगाया था कि दिशा रवि और मुम्बई की वकील निकिता जैकब और पुणे के इंजीनियर शांतनु ने ‘टूलकिट’ तैयार की और दूसरों के साथ इसे साझा करके भारत की छवि ‘‘धूमिल’’ करने की कोशिश की। ‘टूलकिट’ में ट्विटर के जरिये किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है।

उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने मुलुक को दस दिनों की ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी-

मध्य महाराष्ट्र में बीड जिले के रहने वाले शांतनु मुलुक और जैकब ने दिल्ली की एक अदालत द्वारा उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने के बाद ट्रांजिट अग्रिम जमानत के अनुरोध को लेकर सोमवार को उच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।

बम्बई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ की न्यायमूर्ति विभा कांकनवाड़ी ने मुलुक को दस दिनों की ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी, जिससे वह राहत पाने के लिए दिल्ली में उपयुक्त अदालत के समक्ष अपनी याचिका दायर कर सकें।

मामले में एक अन्य संदिग्ध, वकील निकिता जैकब की इसी तरह की याचिका पर मुंबई में उच्च न्यायालय की प्रधान पीठ में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पी डी नाइक ने कहा कि वह बुधवार को आदेश पारित करेंगे। आईपीसी की धारा 124 (ए) (राजद्रोह), 153 (ए) (विभिन्न समूहों के बीच नफरत को बढ़ावा देना) और 120 (बी) (आपराधिक साजिश रचना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

‘जूम’ एप पर आयोजित बैठक में निकिता जैकब और शांतनु सहित 70 लोगों ने हिस्सा लिया था-

पुलिस ने आरोप लगाया है कि गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा से कुछ दिन पहले ‘जूम’ एप पर आयोजित बैठक में निकिता जैकब और शांतनु सहित 70 लोगों ने हिस्सा लिया था। इस हिंसा में 500 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए थे और एक प्रदर्शनकारी की मौत हुई थी।

अधिकारी ने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एप ‘जूम’ को पत्र लिख, 11 जनवरी को ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए लोगों के संबंध में जानकारी मांगी है।’’ सूत्रों ने कहा कि पुलिस के पिछले साल दिसंबर में बनाए गए 'इंटरनेशनल फार्मर्स स्ट्राइक' समूह का विवरण लेने के लिए व्हाट्सएप से संपर्क करने की भी संभावना है।

दिशा रवि ने जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को टेलीग्राम ऐप के जरिये ‘‘टूलकिट’’ भेजी थी-

एक सूत्र ने कहा, ‘‘हम टूलकिट मामले में वित्त पोषण मॉड्यूल की जांच करने की भी कोशिश कर रहे हैं।’’ पुलिस ने दावा किया था कि बेंगलुरु से शनिवार को गिरफ्तार की गई दिशा रवि ने जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को टेलीग्राम ऐप के जरिये ‘‘टूलकिट’’ भेजी थी और उस पर कार्रवाई करने के लिए उसे राजी किया था। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस को दस्तावेज पर अब तक गूगल की ओर से जांच का जवाब नहीं मिला है।

संयुक्त पुलिस आयुक्त (साइबर) प्रेम नाथ ने बताया था कि गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा से 15 दिन पहले 11 जनवरी को इन दोनों ने ‘खालिस्तान समर्थक समूह’ पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीएफजे) द्वारा ऑनलाइन जूम ऐप के माध्यम से आयोजित एक बैठक में भाग लिया था। नाथ ने कहा था कि बैठक में ‘‘ग्लोबल फार्मर स्ट्राइक’’ और ‘‘ग्लोबल डे ऑफ एक्शन, 26 जनवरी’’ शीर्षक से टूलकिट बनाने के तौर तरीकों पर फैसला लिया गया।

पीटर फ्रेडरिक नामक एक व्यक्ति के जरिये आईएसआई के संबंधों की जांच हो रही है-

अधिकारियों ने बताया कि वे पीटर फ्रेडरिक नामक एक व्यक्ति के जरिये आईएसआई के संबंधों की जांच कर रहे हैं जिसका नाम दस्तावेज़ में है और जिसे संगठन के एक संचालक के साथ जुड़ा हुआ माना जाता है। नाथ ने कहा था कि खालिस्तानी समर्थक समूह पीएफजे के संस्थापक मो धालीवाल ने कनाडा की एक महिला पुनीत के माध्यम से उनसे संपर्क किया था।

पुलिस ने कहा था कि वे ‘‘टूलकिट’’ के संबंध में पीटर फ्रेडरिक की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं। पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि शांतनु 20 जनवरी से 27 जनवरी के बीच राष्ट्रीय राजधानी में था लेकिन इस संबंध में विस्तार से नहीं बताया। पुलिस ने बताया था कि फ्रेडरिक 2006 के अंत से भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों की रडार पर है, जब उन्हें भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी की कंपनी में देखा गया था। भिंडर आईएसआई के , के2 डेस्क से जुड़ा प्रमुख व्यक्ति है। फ्रेडरिक का जुड़ाव भिंडर से है।

दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि किसी व्यक्ति को तब गिरफ्तार नहीं किया जाएगा जब उसकी याचिका अदालत में लंबित हो-

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा था, ‘‘उसका (पीटर्स का) नाम दस्तावेज़ में क्यों है। क्या उन्होंने उसे मो.धालीवाल के माध्यम से फ्रेडरिक से संपर्क किया या सीधे उनसे संपर्क किया, यह जांच का विषय है।’’ बम्बई उच्च न्यायालय में, दिल्ली पुलिस की साइबर सेल की ओर से पेश अधिवक्ता हितेन वेनेगावकर ने पीठ को आश्वासन दिया कि कोई भी जिम्मेदार अधिकारी किसी व्यक्ति को तब गिरफ्तार नहीं करेगा जब उसकी याचिका अदालत में लंबित हो।

जैकब की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई ने दलील दी कि कथित टूलकिट कई लोगों द्वारा तैयार किया गया था और इसमें केवल प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन की बात की गई थी। देसाई ने दलील दी, “इसमें किसी भी हिंसा के बारे में या 26 जनवरी को लाल किले में हुई घटना के बारे में बात नहीं की गई है।”

जैकब के खिलाफ राजद्रोह के गंभीर आरोप लगाए गए हैं

वकील ने कहा कि जैकब जैसी व्यक्ति के खिलाफ राजद्रोह के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जो केवल एक युवा पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। हालांकि, वकील वेनेगावकर ने दावा किया कि दिशा रवि और जैकब ने कई अन्य लोगों के साथ मिलकर टूलकिट बनाया था, जो खालिस्तानी आंदोलन का हिस्सा थे। उन्होंने आरोप लगाया कि जैकब जांच में सहयोग करने के बजाय अपने आवास से फरार हो गयीं।

वेनेगावकर ने कहा, “दिल्ली पुलिस की एक टीम 11 फरवरी को एक तलाशी वारंट के साथ जैकब के घर गई थी। उससे पूछताछ की गई थी और उसका बयान स्थानीय थाना में ले जाने के बजाय उसके निवास पर ही दर्ज किया गया था।” उन्होंने कहा, “पुलिस टीम 11 फरवरी को शाम होने पर यह कहकर उसके घर से चली गई कि वे आगे की पूछताछ के लिए अगले दिन फिर आएंगे। तब से जैकब फरार है।”

छात्र संगठनों ने दिशा रवि की गिरफ्तारी का विरोध किया-

कांग्रेस की छात्र शाखा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के कार्यकर्ताओं ने ‘टूलकिट’ मामले में पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी के खिलाफ मंगलवार को बेंगलुरु में प्रदर्शन किया। उन्होंने नारेबाजी करते हुए उसे रिहा करने की मांग की। वामपंथी “ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन” ने सोमवार को यहां ऐसा ही प्रदर्शन किया था।

इस बीच हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने मंगलवार को कहा कि टूलकिट मामले पर उनके ट्वीट को लेकर उनके विरूद्ध दर्ज की जा रही पुलिस शिकायतों से वह भयभीत नहीं हैं। विज ने दावा किया, ‘‘ यहां तक ट्विटर ने भी इस ट्वीट की जांच की और उसने कहा कि कुछ भी गलत नहीं है।’’ 

(एजेंसी इनपुट)

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