दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा-दिशा रवि खालिस्तान समर्थकों के संपर्क में थी
By भाषा | Published: February 20, 2021 05:25 PM2021-02-20T17:25:20+5:302021-02-20T21:01:58+5:30
दिल्ली की अदालत ने दिशा रवि की जमानत अर्जी पर आदेश मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रखा। बचाव पक्ष ने दिशा रवि की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अदालत से कहा कि लाल किला हिंसा मामले में गिरफ्तार किसी भी व्यक्ति ने यह नहीं कहा है कि वह टूलकिट से प्रेरित था।
नई दिल्लीः ‘टूलकिट’ मामले में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने शनिवार को यहां एक अदालत में आरोप लगाया कि वह खालिस्तान समर्थकों के साथ यह दस्तावेज (टूलकिट) तैयार कर रही थी।
साथ ही, वह भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में देश में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश का हिस्सा थी। पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के समक्ष कहा, ‘‘यह महज एक टूलकिट नहीं है। असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और यहां (देश में) अशांति पैदा करने का था।’’
Toolkit Case: Hearing underway in Disha Ravi bail plea case, before additional sessions Judge Dharmendra Rana at Patiala House Court
— ANI (@ANI) February 20, 2021
Delhi Police says that Sikhs for Justice, a banned org announced on Jan 11 a reward for anyone who hoists Khalistani flag on India Gate, Red Fort
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि रवि ने व्हाट्सऐप पर हुई बातचीत (चैट), ईमेल और अन्य साक्ष्य मिटा दिये तथा वह इस बात से अवगत थी कि उसे किस तरह की कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। पुलिस ने अदालत के समक्ष दलील दी कि यदि दिशा ने कोई गलत काम नहीं किया था, तो उसने अपने ट्रैक (संदेशों) को क्यों छिपाया और साक्ष्य मिटा दिया।
पुलिस ने आरोप लगाया कि इससे उसका नापाक मंसूबा जाहिर होता है। दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया, ‘‘वह (दिशा) भारत को बदनाम करने, किसानों के प्रदर्शन की आड़ में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश के भारतीय चैप्टर का हिस्सा थी। वह टूलकिट तैयार करने और उसे साझा करने को लेकर खालिस्तान समर्थकों के संपर्क में थी। ’’
पुलिस ने अदालत से कहा, ‘‘इससे प्रदर्शित होता है कि इस टूलकिट के पीछे एक नापाक मंसूबा था।’’ ‘टूलकिट’ ऐसा दस्तावेज होता है, जिसमें किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए विस्तृत सुझाव दिये होते हैं। आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले लोगों को इसमें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं।
इसका उद्देश्य किसी खास वर्ग या लक्षित समूह को जमीनी स्तर पर गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश देना होता है। गौरतलब है कि एक निचली अदालत ने दिशा की पांच दिनों की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद शुक्रवार को जलवायु कार्यकर्ता को तीन दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। दिशा को दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने पिछले शनिवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। दिशा पर राजद्रोह और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।