टूलकिट मामला: दिशा रवि को जमानत देते हुए कोर्ट, 'सरकार से असहमति पर जेल में नहीं डाल सकते', जानें मामले से जुड़ी 8 बातें

By अनुराग आनंद | Published: February 24, 2021 07:56 AM2021-02-24T07:56:41+5:302021-02-24T08:00:10+5:30

दिशा रवि को जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि मेरे विचार से, किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र में नागरिक सरकार की अंतरात्मा के संरक्षक होते हैं। उन्हें केवल इसलिए जेल नहीं भेजा जा सकता क्योंकि वे सरकार की नीतियों से असहमत हैं।

Toolkit case: Court granting bail to Disha Ravi, 'Can not put him in jail on disagreement with the government', know 8 important things related to the case | टूलकिट मामला: दिशा रवि को जमानत देते हुए कोर्ट, 'सरकार से असहमति पर जेल में नहीं डाल सकते', जानें मामले से जुड़ी 8 बातें

दिशा रवि को मिली जमानत (फाइल फोटो)

Highlightsन्यायाधीश ने कहा कि अल्प एवं अधूरे साक्ष्यों’’ को ध्यान में रखते हुए, मुझे 22 वर्षीय लड़की के लिए जमानत न देने का कोई ठोस कारण नहीं मिला।अदालत ने कहा कि किसी मामले पर मतभेद, असहमति, विरोध, असंतोष, यहां तक कि अस्वीकृति, राज्य की नीतियों में निष्पक्षता को निर्धारित करने के लिए वैध उपकरण हैं।

नयी दिल्ली: दिल्ली पुलिस को झटका देते हुए, राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने सोशल मीडिया पर किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित "टूलकिट" कथित रूप से साझा करने के मामले को लेकर देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को मंगलवार को यह कहकर जमानत दे दी कि पुलिस द्वारा पेश किए गए साक्ष्य ‘‘अल्प एवं अधूरे’’ हैं।

अदालत ने कहा कि पेश किए गए सबूत 22 वर्षीय युवती को हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त नहीं है जिसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र में नागरिक सरकार की अंतरात्मा के संरक्षक होते हैं। उन्हें केवल इसलिए जेल नहीं भेजा जा सकता क्योंकि वे सरकार की नीतियों से असहमत हैं।

1. न्यायाधीश ने पुलिस द्वारा पेश किए गए सबूतों को "अल्प और अधूरा" बताते हुए कड़ी टिप्पणियां कीं-

अदालत ने रवि को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत भरने पर यह राहत दी। 18 पृष्ठ के एक आदेश में, न्यायाधीश राणा ने पुलिस द्वारा पेश किए गए सबूतों को "अल्प और अधूरा" बताते हुए कुछ कड़ी टिप्पणियां कीं। बेंगलुरु की रहने वाली दिशा को अदालत के आदेश के कुछ ही घंटों बाद मंगलवार रात तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। एक अधिकारी ने कहा, "जेल अधिकारियों द्वारा दिशा की रिहाई से संबंधित सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।"

2. अदालत ने कहा कि दिशा रवि और ‘पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन’ (पीजेएफ) के खालिस्तान समर्थक के बीच कोई संबंध नहीं-

दिशा को दिल्ली पुलिस के साइबर सेल ने 13 फरवरी को उनके बेंगलुरु स्थित घर से गिरफ्तार किया था। साइबर सेल ने "टूलकिट" बनाने वाले "खालिस्तान समर्थकों" के खिलाफ भारत सरकार के खिलाफ एक सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ने के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी। अदालत ने कहा कि दिशा रवि और ‘पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन’ (पीजेएफ) के खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ताओं के बीच प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।

3. दिशा रवि ने किसी अलगाववादी विचार का समर्थन नहीं किया है: अदालत

अदालत ने कहा कि रत्ती भर भी सबूत नहीं है जिससे 26 जनवरी को हुई हिंसा में शामिल अपराधियों से पीएफजे या रवि के किसी संबंध का पता चलता हो। इसके अलावा, अदालत ने कहा कि प्रत्यक्ष तौर पर ऐसा कुछ भी नजर नहीं आता जो इस बारे में संकेत दे कि दिशा रवि ने किसी अलगाववादी विचार का समर्थन किया है। न्यायाधीश राणा ने कहा कि दिशा रवि और प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के बीच प्रत्यक्ष तौर पर कोई संबंध स्थापित नजर नहीं आता है। अदालत ने कहा कि अभियुक्त का स्पष्ट तौर पर कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।

4. दिल्ली पुलिस 22 वर्षीय लड़की को जमानत न देने का कोई ठोस वजह नहीं बता पा रही है: अदालत

न्यायाधीश ने कहा, "अल्प एवं अधूरे साक्ष्यों’’ को ध्यान में रखते हुए, मुझे 22 वर्षीय लड़की के लिए जमानत न देने का कोई ठोस कारण नहीं मिला, जिसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।" न्यायाधीश ने कहा कि उक्त 'टूलकिट' के अवलोकन से पता चलता है कि उसमें किसी भी तरह की हिंसा के लिए कोई भी अपील नहीं की गई है। अदालत ने कहा, ‘‘मेरे विचार से, किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र में नागरिक सरकार की अंतरात्मा के संरक्षक होते हैं। उन्हें केवल इसलिए जेल नहीं भेजा जा सकता क्योंकि वे सरकार की नीतियों से असहमत हैं।" अदालत ने कहा कि किसी मामले पर मतभेद, असहमति, विरोध, असंतोष, यहां तक कि अस्वीकृति, राज्य की नीतियों में निष्पक्षता को निर्धारित करने के लिए वैध उपकरण हैं।

5. जागरूक एवं प्रयासशील नागरिक निर्विवाद रूप से एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र का संकेत है

अदालत ने कहा, "उदासीन और मौन नागरिकों की तुलना में जागरूक एवं प्रयासशील नागरिक निर्विवाद रूप से एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र का संकेत है।" अदालत ने कहा, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत असंतोष व्यक्त करने का अधिकार निहित है। मेरे विचार से बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में वैश्विक आह्वान करने का अधिकार शामिल है।’’ न्यायाधीश ने कहा, "संचार पर कोई भौगोलिक बाधाएं नहीं हैं। एक नागरिक को यह मौलिक अधिकार हैं कि वह संचार प्रदान करने और प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम साधनों का उपयोग कर सके।" उन्होंने कहा कि एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाना या एक हानिरहित टूलकिट का संपादक होना कोई अपराध नहीं है।

6. दिशा के माता-पिता ने कहा कि वे बहुत राहत महसूस कर रहे हैं और बहुत ही खुश हैं

अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी को अनुकूल पूर्वानुमानों के आधार पर नागरिक की स्वतंत्रता को और प्रतिबंधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस दौरान न्यायाधीश ने ऋग्वेद को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘सभी दिशाओं से मेरे पास अच्छे विचार आए।’’ उन्होंने कहा कि "हमारी 5000 साल पुरानी सभ्यता कभी भी विभिन्न विचारों से विमुख नहीं रही है।" दिशा पहले पांच दिन की पुलिस हिरासत में और तीन दिन की न्यायिक हिरासत में रही। दिशा के माता-पिता ने कहा कि वे बहुत राहत महसूस कर रहे हैं और बहुत ही खुश हैं और बेसब्री से अपनी बेटी के घर लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जमानत मिलने से कानूनी व्यवस्था में उनका विश्वास मजबूत हुआ है।

7. दिशा रवि की मां ने कहा कि इस फैसले ने कानून व्यवस्था में हमारा विश्वास मजबूत किया है

बेंगलुरु में पत्रकारों से बातचीत में दिशा की मां मंजुला ने कहा, "मुझे खुशी है कि उसे जमानत मिल गई। इसने व्यवस्था में हमारा विश्वास मजबूत किया है।" दिशा के पिता रवि भी इस दौरान मौजूद थे। मंजुला ने कहा कि उनकी बेटी बार-बार उन्हें मजबूत रहने के लिए कह रही थी। इस बात पर जोर देते हुए कि उनकी बेटी ने कुछ भी गलत नहीं किया है, मंजुला ने उन सभी लोगों का आभार व्यक्त किया, जो संकट के समय में दिशा के साथ खड़े रहे।

8. दिशा पर कई शर्तें लगाई, जिसके अनुसार, वह जांच में सहयोग करना जारी रखेगी

अदालत ने हालांकि, दिशा पर कई शर्तें लगाई, जिसके अनुसार, वह जांच में सहयोग करना जारी रखेगी और जांच अधिकारी द्वारा समन जारी किए जाने पर जांच में शामिल होगी। अदालत ने कहा, "वह अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगी। वह संबंधित अदालत के समक्ष कार्यवाही के प्रत्येक चरण में उपस्थित होंगी ताकि मामले की प्रक्रिया में कोई रुकावट या देरी न हो।" इस बीच, टूलकिट मामले के एक अन्य आरोपी शांतनु मुलुक ने दिल्ली की एक अदालत में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की है। मामले में मुलुक, दिशा और निकिता जैकब के साथ आरोपी हैं। मुलुक और जैकब फिलहाल ट्रांजिट जमानत पर हैं। 

(एजेंसी इनपुट)

Web Title: Toolkit case: Court granting bail to Disha Ravi, 'Can not put him in jail on disagreement with the government', know 8 important things related to the case

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