जर्मनी सरकार के कब्जे में तीन साल की बच्ची, माता-पिता ने भारत आकर पीएम मोदी से मांगी मदद

By अंजली चौहान | Published: March 10, 2023 12:24 PM2023-03-10T12:24:57+5:302023-03-10T12:25:40+5:30

जर्मन बाल सेवा अधिकारियों को बच्ची के साथ यौन शोषण होने का शक था लेकिन ये चोट गलती से उसे लगी थी। बच्ची की मां का कहना है कि उन्होंने जांच के लिए अपने डीएनए नमूने भी अधिकारियों को दिए। डीएनए नमूने के परीक्षण, पुलिस जांच और चिकित्सा रिपोर्ट के बाद यौन शोषण का मामला फरवरी 2022 में बंद कर दिया गया था।

Three-year-old girl in custody of German government parents came to India and sought help from PM Modi | जर्मनी सरकार के कब्जे में तीन साल की बच्ची, माता-पिता ने भारत आकर पीएम मोदी से मांगी मदद

फोटो सोर्स: ANI

मुंबई: जर्मन बाल अधिकारों की देख-रेख में रह रही बच्ची को वापस पाने के लिए भारतीय दंपति मोदी सरकार के मदद की गुहार लगा रहा है। बच्ची के माता-पिता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एस. जयशंकर से मामले में दखल देने को कहा है और बच्ची को वापस पाने की मांग की है।

गुरुवार को जर्मन सरकार से बच्ची को वापस पाने की कोशिशों को तेज करते हुए दंपति मुंबई में अधिकारियों से मिलने के लिए पहुंचे। गौरतलब है कि भारतीय दंपति की तीन साल की बेटी पिछले डेढ़ साल से जर्मन अधिकारियों की देख-रेख में अपने माता-पिता से दूर है।

गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए बच्ची की मां ने कहा कि गलती से हमारी बच्ची के प्राइवेट पार्ट पर चोट लग गई और हम उसे डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने हमें यह कहकर वापस भेज दिया कि सब कुछ ठीक है। हालांकि, फिर भी हम नियमित चेकअप के लिए वापस अस्पताल गए लेकिन इस बार डॉक्टरों ने वहां बाल सेवाओं के अधिकारियों को बुला लिया और सितंबर 2021 को मेरी बेटी की कस्टडी उन्हें दे दी गई। 

जर्मन बाल सेवा अधिकारियों को बच्ची के साथ यौन शोषण होने का शक था लेकिन ये चोट गलती से उसे लगी थी। बच्ची की मां का कहना है कि उन्होंने जांच के लिए अपने डीएनए नमूने भी अधिकारियों को दिए। डीएनए नमूने के परीक्षण, पुलिस जांच और चिकित्सा रिपोर्ट के बाद यौन शोषण का मामला फरवरी 2022 में बंद कर दिया गया था।

बच्ची के पिता ने कहा कि इतना सब हो जाने के बाद हमने सोचा की हमारी बच्ची हमें वापस मिल जाएगी लेकिन जर्मन चाइल्ड सर्विसेज ने हमारे खिलाफ कस्टडी खत्म करने का मामला खोल दिया। इसके बाद हम कोर्ट गए, कोर्ट में जज ने आदेश दिया कि हमारे माता-पिता की क्षमता की रिपोर्ट बनाई जाएगी। हमें एक साल के बाद 150 पन्नों की माता-पिता की क्षमता परीक्षण रिपोर्ट मिली, इस दौरान मनोवैज्ञानिक ने हमसे केवल 12 घंटे ही बातचीत की। 

पिता का कहना है, "हमें रिपोर्ट मिलने के बाद परीक्षण की अगली तारीख दी गई। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि माता-पिता और बच्चे के बीच का बंधन बहुत मजबूत है और बच्चे को माता-पिता के पास लौट जाना चाहिए लेकिन माता-पिता को यह नहीं पता कि बच्चे को कैसे पालें।"

पिता ने कहा कि इसके लिए हमें एक परिवार के घर में रहना चाहिए जब तक कि लड़की 3 से 6 साल की उम्र की न हो जाए। उस उम्र की लड़की यह तय करने में सक्षम होगी कि वह अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है या जर्मन सरकार की देखभाल में।  

बच्ची के पिता ने कहा, "उन्होंने तर्क दिया कि हम उसे जितना चाहें उतना खाने दें, उसे खेलने दें जैसे वह चाहती है, और वे उसे पर्याप्त अनुशासित नहीं करते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बच्चे को लगाव विकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि लगाव विकार इसलिए था क्योंकि बच्चा अपने आप काम करना चाहता था।"

पीएम मोदी करें मदद- मां

बच्ची की मां ने मामले में भारत सरकार से मदद मांगी है। मां का कहना है कि हम अपनी बेटी को भारत लाना चाहते हैं। हम पीएम मोदी से अनुरोध करते हैं कि वह हमें हमारी को भारत लाने में मदद करें।

हम विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी अनुरोध करते हैं कि हमारी समस्या को देखें और हमारे बच्चे को वापस लाने में हमारी मदद करें। बच्ची की मां ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी मामले में दखल देंगे तो ये मामला सुलझ जाएगा। 

Web Title: Three-year-old girl in custody of German government parents came to India and sought help from PM Modi

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