कृषि कानूनों को दोबारा ला सकती है नरेंद्र मोदी सरकार, केंद्रीय कृषि मंत्री ने दिए संकेत, जानिए क्या कहा...
By विशाल कुमार | Published: December 25, 2021 01:40 PM2021-12-25T13:40:04+5:302021-12-25T15:32:28+5:30
नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा कि सरकार इससे निराश नहीं है। हम एक कदम पीछे हटे और हम फिर आगे बढेंगे क्योंकि किसान भारत की रीढ़ की हड्डी है।
नागपुर: करीब एक साल तक दिल्ली की सीमाओं पर चले किसान आंदोलन के कारण तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार बाद में कानून दोबारा ला सकती है।
नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा, ‘‘हम कृषि संशोधन कानून लाए। किंतु कुछ लोगों को ये कानून पसंद नहीं आए जो आजादी के करीब 70 वर्ष बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाया गया एक बड़ा सुधार था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन सरकार इससे निराश नहीं है। हम एक कदम पीछे हटे और हम फिर आगे बढेंगे क्योंकि किसान भारत की रीढ़ की हड्डी हैं।’’
तोमर यहां कृषि उद्योग प्रदर्शनी ‘एग्रोविजन’ के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में बड़े निवेश की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी इस मौके पर मौजूद थे। गडकरी इस पहल के मुख्य संरक्षक हैं।
तोमर ने कहा, ‘‘एक क्षेत्र जहां सबसे कम निवेश हुआ है, वह कृषि क्षेत्र है ।’ तोमर ने कहा कि निजी निवेश अन्य क्षेत्रों में आया जिससे रोजगार पैदा हुए और सकल घरेलू उत्पाद में इन उद्योगों का योगदान बढ़ा। केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि इस क्षेत्र में मौजूदा निवेश से व्यापारियों को फायदा होता है न कि किसानों को।
कृषि कानूनों को खत्म करने से दो दिन पहले सरकार ने एक नोट जारी किया था। तोमर द्वारा हस्ताक्षरित और संसद सदस्यों को जारी किए गए नोट में किसानों के एक समूह को किसानों की स्थिति में सुधार के प्रयास के रास्ते में खड़े होने के लिए दोषी ठहराया गया था और कहा गया था कि सरकार ने किसानों को कृषि कानूनों का महत्व समझाने के लिए कड़ी मेहनत की।
पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी ने अच्छी खासी किसान आबादी वाले उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव से ठीक तीन महीने पहले घोषणा करते हुए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की बात की थी।
इसके बाद बिना किसी चर्चा के संसद के दोनों से पास कराए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने वाले विधेयक को भी सरकार ने उसी तरह बिना किसी चर्चा के संसद के दोनों से सदनों से पास करा लिया था।