SC/ST मामलाः BJP शासित तीन राज्यों की सरकारें दायर करेंगी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका
By भाषा | Published: April 17, 2018 07:20 PM2018-04-17T19:20:53+5:302018-04-17T19:20:53+5:30
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकारों ने कथित रूप से आदेश को लागू करने के लिए कदम उठाए थे, लेकिन अब उन्होंने फैसला किया है कि फैसले को अमल में नहीं लाया जाए और पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए।
नई दिल्ली, 17 अप्रैलः भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित तीन राज्यों की सरकारों ने अनुसूचित जाति / जनजाति अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय के आदेश पर फिलहाल अमल नहीं करने और उक्त निर्देश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय किया है। पार्टी के एक नेता ने आज यह जानकारी दी।
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकारों ने कथित रूप से आदेश को लागू करने के लिए कदम उठाए थे, लेकिन अब उन्होंने फैसला किया है कि फैसले को अमल में नहीं लाया जाए और पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए।
बीजेपी के एक नेता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया , 'हमने इन मुख्यमंत्रियों से बात की है और उनकी सरकारें जल्द ही अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर करेंगी। यह स्वाभाविक है कि न्यायालय द्वारा अंतिम फैसला करने तक आदेश को अमल में नहीं लाया जाएगा।'
शीर्ष अदालत ने हाल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण ) अधिनियम के कथित दुरूपयोग को रोकने के लिए दिशा निर्देश तय किए थे।
दलित संगठनों के बड़े पैमाने पर इसका विरोध किया और कहा था कि यह दिशा निर्देश कानून को कमजोर करते हैं और इससे अनुसूचित जाति और जनजाति समुदायों के प्रति अत्याचार के मामलों में इजाफा होगा। इन विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर केंद्र पहले ही उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर कर चुका है।
उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च के अपने आदेश में कहा था कि कानून का दुरूपयोग करके बेगुनाह नागरिकों को आरोपी बनाया जा रहा है और लोक सेवकों को अपनी ड्यूटी करने से रोका जा रहा है। जब अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण ) अधिनियम बनाया गया था तब इसकी यह मंशा नहीं थी। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर निशाना साधा था।
रिपोर्टों के मुताबिक , छत्तीसगढ़ , मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों ने हाल में अपने पुलिस प्रमुखों को उच्चतम न्यायालय के 20 मार्च के आदेश को लागू करने के लिए आधिकारिक आदेश जारी किए थे।
इस मुद्दे पर रामविलास पासवान और रामदास अठावले समेत भाजपा नीत राजग के बहुत से दलित सांसदों ने मोदी से मुलाकात कर चिंता जताई थी और मांग की थी कि केंद्र को इस आदेश को चुनौती देनी चाहिए. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि उनकी सरकार इस कानून को कमजोर करने की अनुमति नहीं देगी।