यह सही समय है विधेयक पारित कराने का, कई नए सांसदों को आवास मिल जाएंगेः पुरी

By भाषा | Published: July 31, 2019 07:43 PM2019-07-31T19:43:09+5:302019-07-31T19:43:09+5:30

पुरी ने बुधवार को विधेयक को लोकसभा में विचार और पारित करने के लिए पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक को पारित करने का सही समय है जबकि कई सांसद आवास मिलने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नयी सरकार बनने के बाद कई नये सांसदों को अब तक सरकारी आवास आवंटित नहीं हो पाये हैं।

This is the right time to pass the Bill, many new MPs will get accommodation: Puri | यह सही समय है विधेयक पारित कराने का, कई नए सांसदों को आवास मिल जाएंगेः पुरी

पुरी ने सदन में ‘सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) संशोधन विधेयक, 2019’ को विचार और पारित करने के लिए पेश किया।

Highlightsविधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने इसका स्वागत किया।मंत्री ने कहा, ‘‘ यह सही समय है विधेयक पारित कराने का। विधेयक पारित होने से कई नये सांसदों को आवास मिल जाएंगे।’’

कई सांसदों द्वारा आवास के लिये इंतजार करने के बीच आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी ने बुधवार को कहा कि सरकारी आवासों से अनधिकृत कब्जों को समाप्त करने के उद्देश्य से लाये गये विधेयक के पारित होने से अनेक नये सांसदों को आवास मिल जाएंगे।

पुरी ने बुधवार को विधेयक को लोकसभा में विचार और पारित करने के लिए पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक को पारित करने का सही समय है जबकि कई सांसद आवास मिलने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नयी सरकार बनने के बाद कई नये सांसदों को अब तक सरकारी आवास आवंटित नहीं हो पाये हैं।

मंत्री ने कहा, ‘‘ यह सही समय है विधेयक पारित कराने का। विधेयक पारित होने से कई नये सांसदों को आवास मिल जाएंगे।’’ पुरी ने सदन में ‘सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) संशोधन विधेयक, 2019’ को विचार और पारित करने के लिए पेश किया।

उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, सांसदों आदि के लिए चिह्नित सरकारी आवासों को समयावधि खत्म होने के बाद भी कब्जाधारियों द्वारा खाली नहीं करने के मामले सामने आते हैं जिनसे जरूरतमंद अधिकारियों या सांसदों को आवास नहीं मिल पाते।

केंद्र सरकार के पूल में 15416 आवास कम हैं और 3081 पर अदालतों में वाद चल रहे हैं

पुरी ने बताया कि केंद्र सरकार के पूल में 15416 आवास कम हैं और 3081 पर अदालतों में वाद चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त होने के बाद निश्चित अवधि में आवास नहीं छोड़ने वाले लोग अदालतों से स्थगन आदेश ले आते हैं।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में 1971 के कानून में सरकार तीन महत्वपूर्ण संशोधन लेकर आई है जिनसे अनधिकृत कब्जा करने वाले लोग स्वेच्छा से बेदखल होने के लिए विवश होंगे। पुरी के अनुसार इनमें अनधिकृत कब्जाधारियों को पहले की सात दिन की अवधि के बजाय तीन दिन का कारण बताओ नोटिस जारी किये जाने का प्रावधान रखा गया है।

इसका जवाब मिलने और अन्य चीजों का अध्ययन करने के बाद ही बेदखली आदेश जारी किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि एक और संशोधन के तहत अदालत में मामला चलने के दौरान उस समय की अनधिकृत कब्जे की क्षतिपूर्ति भरने का प्रावधान शामिल किया गया है।

विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने इसका स्वागत किया और कहा कि कई सांसद अपने आवास मिलने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक में क्षतिपूर्ति के आकलन को लेकर स्पष्ट विवरण नहीं है।

उन्होंने तीन दिन की नोटिस अवधि को कम बताया। चौधरी ने पिछली लोकसभा में अपने कार्यकाल के दौरान बंगले के आवंटन को लेकर स्वयं आई परेशानियों का जिक्र करते हुए सरकार से यह मांग भी की कि जनप्रतिनिधियों को इस तरह की समस्याएं नहीं आनी चाहिए।

जब सांसद चुनाव में जाते समय नामांकन दाखिल करें तो एक हलफनामा जमा करके यह वचन दें

भाजपा के प्रवेश वर्मा ने मांग की कि सरकार को एक व्यवस्था बनानी चाहिए कि जब सांसद चुनाव में जाते समय नामांकन दाखिल करें तो एक हलफनामा जमा करके यह वचन दें कि जब तक पद पर रहेंगे, तभी तक सरकारी आवास और सुविधाओं का लाभ उठाएंगे।

यदि चुनाव में हार जाते हैं तो एक महीने के अंदर आवास खाली कर देंगे। उन्होंने कहा कि यह सभी जनप्रतिनिधियों का नैतिक कर्तव्य है। सभी सांसदों को इसका पालन करना चाहिए। वर्मा ने कहा कि सभी अच्छे आवास चाहते हैं और इस लिहाज से ‘‘आवास समिति के अध्यक्ष के आवास और दफ्तर पर सांसदों तथा मंत्रियों तक की लाइन लगी देखी जा सकती है।’’

उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को उदाहरण पेश करने चाहिए। वर्मा ने यह मांग भी की कि सरकारी जमीनों पर बनी अवैध मस्जिदों, अवैध कब्रिस्तानों और अवैध मजारों का पता लगाने के लिए सरकार को एक एसआईटी का गठन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में ‘‘मेरे लोकसभा क्षेत्र में ऐसी करीब 500 सरकारी जमीनें हैं। जो एमसीडी की हैं, ग्रामसभाओं की हैं, डीडीए की हैं जिन पर मस्जिद, कब्रिस्तान और मजारें अवैध तरीके से बनाई गयी हैं।’’ वर्मा के इस बयान पर कांग्रेस, द्रमुक और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने विरोध दर्ज कराया।

भाजपा सांसद कहते सुने गये कि पिछले पांच साल में मुझे सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से मंदिर और गुरुद्वारे के निर्माण का एक भी मामला नहीं मिला। सदस्यों को ऐसे मामले मिलते हैं तो सरकार के संज्ञान में लाएं। जब विपक्ष के सदस्य वर्मा की बात का विरोध करते हुए इसे रिकार्ड से हटाने की मांग कर रहे थे तो पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल कहते सुने गये ‘‘कोई गलत बात नहीं की है।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘रिकार्ड में देख लेंगे। आपत्तिजनक बात होगी तो निकाली जाएगी।’’ तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि शुरू में देखने में यह विधेयक बहुत सामान्य लगता है लेकिन अध्ययन करने पर पता चलता है कि यह ‘‘दमनकारी कानून’’ है।

उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकारी आवास से बेदखली के खिलाफ अदालत जाना अपराध है? बनर्जी ने कहा कि अदालतें भी स्थगन के आदेश सोच-विचार के ही देती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अदालत में मामले चलने के दौरान क्षतिपूर्ति तय करने का अधिकार संपदा अधिकारी को दिया गया है, इसके बारे में दिशानिर्देश स्पष्ट नहीं हैं। 

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