तमिलनाडु में मंदिरों में अर्चकों की नियुक्ति में कोई उल्लंघन नहीं किया गया: मंत्री
By भाषा | Published: August 17, 2021 04:39 PM2021-08-17T16:39:12+5:302021-08-17T16:39:12+5:30
तमिलनाडु सरकार ने मंगलवार को कहा कि हिंदू धर्म एवं परमार्थ प्रदाय (एचआरसीई) विभाग द्वारा जिन मंदिरों का प्रबंधन किया जा रहा है, वहां अर्चक के रूप में सभी जातियों के लोगों की नियुक्ति करके किसी प्रकार का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है। एचआरसीई मंत्री पी के सेकर बाबू ने इस बात से भी इनकार किया कि नये अर्चकों की नियुक्ति के दौरान ब्राह्मण पुरोहितों खासकर अर्चकों एवं भट्टाचार्य को चुनिंदा ढंग से निशाना बनाया गया। मंत्री ने कहा, ‘‘ अर्चक के रूप में जिन 58 व्यक्तियों की नियुक्ति की गयी वे पूरी तरह योग्य हैं और संविधान का कोई उल्लंघन नहीं किया गया जैसा कि पुरोहितों का एक वर्ग आरोप लगा रहा है। ’’ वर्तमान ब्राह्मण पुरोहितों का एक वर्ग आरोप लगा रहा है कि सोमवार को उनकी सेवाएं अचानक खत्म कर दी गयी हैं और उनकी जगह नये अर्चक नियुक्त कर दिये गये। इस आरोप पर बाबू ने दावा किया, ‘‘ कुछ हिंदुत्व शक्तियों, जो यह नहीं चाहती हैं कि अन्य लोग जीवन में आगे बढ़ें, ने यह शरारतपूर्ण अभियान चलाया है।’’ मंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने अगम शास्त्र में प्रशिक्षण प्राप्त किया और 35 साल से कम उम्र हैं , उन्हें अर्चक नियुक्त किया गया हैं । उन्होंने कहा कि यह कदम पूर्व मुख्यमंत्री एम करूणानिधि के फैसले के अनुरूप हैं जो चाहते थे कि सभी जातियों के लोग मंदिरों के पुरोहित बनें। बाबू ने कहा, ‘‘ कलैंगनार (करूणानिधि को इस नाम से जाना जाता है) ने एचआरएंड सीई अधिनियम (1971 में) संशोधन सुनिश्चित किया एवं मंदिरों के लिए पुरोहितों की वंशानुगत नियुक्ति की पारंपरिक प्रथा को खत्म कर दी। ’’ उन्होंने कहा कि यदि दबे-कुचले वर्गों के उत्थान के लिए संघर्ष करना गलती है तो ‘ वर्तमान मुख्यमंत्री एम के स्टालिन उस गलती को बार बार करेंगे।’’ उन्होंने दावा किया कि किसी भी ब्राह्मण पुरोहित की सेवा खत्म नहीं की गयी है और आश्वासन दिया कि यदि कोई शिकायत सामने आती है कि उन्हें मंदिर छोड़ने को कहा गया है, तो सरकार उसकी जांच कराएगी।
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