एनजेएसी को खारिज करने के लिए न्यायालय के आदेश में दिये तर्क में त्रुटि थी: प्रसाद

By भाषा | Published: October 12, 2019 06:05 AM2019-10-12T06:05:25+5:302019-10-12T06:05:25+5:30

रवि शंकर प्रसाद ने मूल भारतीय संविधान में भगवान राम, कृष्ण और हनुमान के चित्रों का संदर्भ देते हुए कहा कि ये सब देश की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं।

There was an error in the reasoning given by the court order to dismiss NJAC:ravisankar Prasad | एनजेएसी को खारिज करने के लिए न्यायालय के आदेश में दिये तर्क में त्रुटि थी: प्रसाद

एनजेएसी को खारिज करने के लिए न्यायालय के आदेश में दिये तर्क में त्रुटि थी: प्रसाद

Highlightsरविशंकर ने हैरानी जताते हुए कहा, ‘‘यदि आज संविधान में इन चित्रों को उकेरा जाता तो न जाने किस तरह का हंगामा शुरू हो जाता। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग कहते हैं कि हम संवैधानिक राष्ट्रवाद को मानते हैं, मोदी या भाजपा के राष्ट्रवाद को नहीं।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका को अधिक अधिकार देने की मांग करने वाले एक कानून को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के 2015 के फैसले को स्वीकार किया था। लेकिन आदेश में दिये गये त्रुटिपूर्ण तर्क पर उन्हें सख्त ऐतराज है। प्रसाद ने मूल भारतीय संविधान में भगवान राम, कृष्ण और हनुमान के चित्रों का संदर्भ देते हुए कहा कि ये सब देश की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं।

उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा, ‘‘यदि आज संविधान में इन चित्रों को उकेरा जाता तो न जाने किस तरह का हंगामा शुरू हो जाता। ’’ उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को शीर्ष अदालत ने रद्द करते हुए कहा था कि कानून मंत्री की उपस्थिति से न्यायाधीशों के चयन में संस्था की आजादी से समझौता होगा।

एक किताब के लोकार्पण के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रसाद ने कहा कि जब प्रधानमंत्री पर देश के परमाणु हथियार और संवैधानिक पदों- जैसे कि मुख्य चुनाव आयुक्त, मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्तियों को लेकर भरोसा किया जा सकता है, तो अच्छे न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एनजेएसी में उनके प्रतिनिधि पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘‘ फैसले में दिए त्रृटिपूर्ण तर्क को लेकर मुझे काफी ऐतराज है... सरकार ने फैसले को स्वीकार किया और उसका सम्मान किया। ’’

उन्होंने कहा कि 1991 में कॉलेजियम प्रणाली आने से पहले भी अच्छे न्यायाधीशों की नियुक्ति होती थी। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग कहते हैं कि हम संवैधानिक राष्ट्रवाद को मानते हैं, मोदी या भाजपा के राष्ट्रवाद को नहीं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या उन्होंने संविधान की मूल प्रति देखी है... उसमें भगवान राम, कृष्ण, हनुमान, शिवाजी, भगवान बुद्ध, महात्मा गांधी,अकबर के चित्र उकेरे गये हैं, न कि बाबर या औरंगजेब के... इस पर (संविधान की मूल प्रति) पर राजेंद्र प्रसाद और जवाहर लाल नेहरू ने हस्ताक्षर किए हैं... ये भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं।’’ भाषा धीरज सुभाष सिम्मी सिम्मी

Web Title: There was an error in the reasoning given by the court order to dismiss NJAC:ravisankar Prasad

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