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अयोध्या विवादः SC के फैसले से पहले बोले शरद पवार, नहीं दोहराई जानी चाहिए 1992 जैसे स्थिति, राज्य सरकारें रहें सतर्क   

By रामदीप मिश्रा | Updated: November 6, 2019 19:00 IST

दिसंबर 1992 में मस्जिद का ढांचा ढहाये जाने के बाद मुंबई सहित देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इसी को मद्देनजर रखते हुए एनसीपी प्रमुख ने चिंता जाहिर की है।

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ठळक मुद्देराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में इस महीने फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है।एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को कहा कि किसी को भी कानून का हाथ अपने हाथ में लेना चाहिए, जो भी इसका बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में इस महीने फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है। इस बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को कहा कि किसी को भी कानून का हाथ अपने हाथ में लेना चाहिए, जो भी इसका बेसब्री से इंतजार कर रहा है। बता दें कि सीजेआई रंजन गोगोई को 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इस वजह से उम्मीद जताई जा रही है कि उससे पहले फैसला आ सकता है।

पवार ने कहा कि समाज के किसी भी वर्ग को फैसले के खिलाफ नहीं जाना चाहिए। साथ ही साथ उन्होंने जोर देकर कहा कि लगभग 27 साल पहले 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद जो स्थिति हुई थी उसका दोहराव नहीं होना चाहिए। ज्ञात हो कि दिसंबर 1992 में मस्जिद का ढांचा ढहाये जाने के बाद मुंबई सहित देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे।

पवार ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा कि समाज के किसी भी वर्ग को अयोध्या के फैसले के खिलाफ नहीं जाना चाहिए। यह अच्छी बात है है कि विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण चाहने वाले और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी से जुड़े लोग, जोकि मामले के पक्षकार हैं, अदालत के फैसले को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि फैसला जो भी हो किसी को भी कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिए। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जो स्थिति बनी उसे दोहराया नहीं जाना चाहिए। मैं राज्य सरकारों से भी सतर्क रहने का आग्रह करूंगा।

इधर, अयोध्या विवाद पर आने वाले फैसले से पहले मुंबई पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं, खासकर शहर के संवेदनशील इलाकों में। यहां निषेधाज्ञा पहले से ही लागू है और शहर में फैसले का जश्न मनाने या इस पर दुख प्रकट करने के लिए किसी तरह के कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

मुंबई पुलिस आयुक्त संजय बर्वे ने पत्रकारों एवं धर्म गुरुओं समेत मुस्लिम समुदाय के कुछ प्रमुख सदस्यों के साथ एक बैठक की और उनसे शीर्ष अदालत के फैसले को स्वीकार करने की अपील की। संवेदनशील इलाकों में ज्यादा एहतियात के साथ सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा उपायों के तहत पुलिस ने चार से 18 नवंबर तक निषेधाज्ञा लागू कर दी है जो लोगों के गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने को प्रतिबंधित करता है। 

अधिकारी ने कहा कि शहर पुलिस का सोशल मीडिया निगरानी प्रकोष्ठ एवं साइबर सेल फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और इस तरह के अन्य मंचों पर होने वाली गतिविधियों पर नजर रखेगा।

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