लाइव न्यूज़ :

दल बदलने में कोई बुराई नहीं, लेकिन सिर्फ सत्ता के लिए ऐसा नहीं किया जाना चाहिये : नायडू

By भाषा | Updated: September 28, 2021 22:32 IST

Open in App

जोधपुर, 28 सितंबर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि दल बदलने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन ऐसा सिर्फ सत्ता के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

नायडू ने यहां आईआईटी के छात्रों के साथ बातचीत में संसद और राज्य विधानसभाओं में घटते मानकों का हवाला देते हुए मूल्य आधारित राजनीति की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

नायडू ने कहा कि युवाओं को राजनीति में आना चाहिए लेकिन 'राजनीतिक तिकड़म बाजियों' के लिये नहीं।

उन्होंने कहा कि अपनी पसंद की पार्टी में शामिल हों, एक टीम के रूप में काम करें, प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करें और मूल्य आधारित राजनीति करें।

उन्होंने कहा, ''हम देखते हैं कि लोग अक्सर पार्टियां बदलते हैं, जैसे बच्चे अपने कपड़े बदलते हैं। पार्टियां बदलने में कुछ भी गलत नहीं है लेकिन आपको सत्ता के लिए पार्टियां नहीं बदलनी चाहिए। यही हो रहा है और यह चिंता का विषय है।''

उन्होंने कहा कि राजनीति के लिए 4सी (कैरेक्टर, कैपेसिटी, कंडक्ट और कैलिबर) की जरूरत होती है। दुर्भाग्य से, हमारी राजनीतिक व्यवस्था में कुछ लोगों ने इन 4सी को कास्ट, कम्युनिटी, कैश और क्रिमिनैलिटी में बदल दिया है।

उन्होंने युवाओं से चरित्र, क्षमता, योग्यता और आचरण के आधार पर एक उम्मीदवार का चयन करने का आह्वान किया, न कि केवल इसलिए कि वह एक निश्चित समुदाय से है।

उन्होंने कहा, ''कोई भी नेता एक समुदाय की सेवा नहीं कर सकता। बहुत सारे समुदाय हैं और आपमें लोगों का नेता बनने की इच्छा होनी चाहिए, न कि समुदाय का।''

उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रवाद का वर्णन करते हुए कहा कि यह केवल एक नारा नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए, जिसका अर्थ है जाति, पंथ, लिंग और धर्म के बावजूद लोगों का कल्याण।’’

इससे पहले दिन में, नायडू ने राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा की पुस्तक ''संविधान, संस्कृति और राष्ट्र' का अनावरण किया।

एक विज्ञप्ति के अनुसार, नायडू ने सभी से संविधान का पालन करने और इसके बारे में जनता में जागरूकता पैदा करने का आह्वान किया।

संविधान को सर्वोच्च बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह लोगों को अधिकार देता है और कर्तव्य भी सिखाता है।उन्होंने संविधान को शास्त्रों के समान पवित्र बताया और सभी को इसके प्रति निष्ठावान रहने पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विविधतापूर्ण है जिसमें जाति, पंथ, भाषा और धर्म के आधार पर कोई भेद नहीं है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

विश्व1 जनवरी 2026 से लागू, 20 और देशों पर यात्रा प्रतिबंध?, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा, देखिए सूची

भारतभवानीपुर विधानसभा क्षेत्रः 45,000 मतदाताओं के नाम काटे?, सीएम ममता बनर्जी लड़ती हैं चुनाव, घर-घर जाएगी TMC

भारत3 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की मसौदा मतदाता सूची में 12.32 करोड़ मतदाताओं के नाम, 27 अक्टूबर को 13.36 करोड़ लोग थे शामिल, 1 करोड़ से अधिक बाहर

भारतदिल्ली में 17 दिसंबर को ‘लोकमत पार्लियामेंटरी अवॉर्ड’ का भव्य समारोह

कारोबारShare Market Today: हरे रंग के साथ शुरू हुआ कारोबार, TCS, बजाज फाइनेंस समेत इन कंपनियों के शेयर को मुनाफा

भारत अधिक खबरें

भारतDelhi: 18 दिसंबर से दिल्ली में इन गाड़ियों को नहीं मिलेगा पेट्रोल और डीजल, जानिए वजह

भारतYear Ender 2025: चक्रवात, भूकंप से लेकर भूस्खलन तक..., विश्व भर में आपदाओं ने इस साल मचाया कहर

भारतAadhaar card update: आधार कार्ड से ऑनलाइन फ्रॉड से खुद को रखना है सेफ, तो अभी करें ये काम

भारतछत्तीसगढ़ को शांति, विश्वास और उज्ज्वल भविष्य का प्रदेश बनाना राज्य सरकार का अटल संकल्प: 34 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण पर बोले सीएम साय

भारतकौन हैं ऋतुराज सिन्हा?, नितिन नबीन की जगह दी जाएगी बड़ी जिम्मेदारी