‘झूठ की दीवार’ जल्द गिरेगी, कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के जल्द समाधान की उम्मीद : तोमर

By भाषा | Updated: December 28, 2020 17:50 IST2020-12-28T17:50:09+5:302020-12-28T17:50:09+5:30

The 'wall of lies' will fall soon, hope for early resolution of the deadlock over agricultural laws: Tomar | ‘झूठ की दीवार’ जल्द गिरेगी, कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के जल्द समाधान की उम्मीद : तोमर

‘झूठ की दीवार’ जल्द गिरेगी, कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के जल्द समाधान की उम्मीद : तोमर

नयी दिल्ली, 28 दिसंबर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के बीच ‘‘सुनियोजित तरीके से’’ ‘‘झूठ की दीवार’’ खड़ी की गई है, लेकिन ऐसा लंबे समय तक नहीं चलेगा है और प्रदर्शनकारी किसानों को जल्द सच्चाई का अहसास होगा।

मंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गतिरोध का जल्द समाधान ढूंढ लिया जाएगा।

एक महीने से अधिक समय से पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों के किसान तीनों नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं।

उन्होंने चेतावनी दी है कि आगामी दिनों में अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगे।

अभी तक केंद्र और किसान संगठनों के बीच पांच दौर की औपचारिक वार्ता हुई है जो बेनतीजा रही है। केंद्र द्वारा गतिरोध को समाप्त करने के लिए वार्ता बहाल करने के लगातार आग्रह के बाद किसान संगठनों ने बातचीत के लिए 29 दिसंबर का समय दिया है।

सरकार ने जवाब में किसान संगठनों को पत्र लिखकर वार्ता के लिए 30 दिसंबर को आमंत्रित किया है।

तोमर ने कन्फेडरेशन ऑफ एनजीओ ऑफ रूरल इंडिया (सीएनआरआई) की तरफ से आयोजित डिजिटल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जल्द ही कुछ रास्ता निकलेगा और हम समाधान तक पहुंचेंगे। हर कोई जानता है कि झूठ की दीवार कभी मजबूत नहीं होती। सच्चाई सच्चाई होती है। समय आएगा जब लोग सच्चाई स्वीकार करना शुरू करेंगे।’’

मंत्री ने निराशा जताई कि कुछ लोगों ने आंदोलनकारी किसानों के दिलों में ‘‘सुनियोजित तरीके से गलतफहमी पैदा कर दी है।’’ बहरहाल, सरकार इस तरह के किसान संगठनों के साथ लगातार वार्ता कर रही है।

उन्होंने कहा कि नये कृषि कानूनों के लाभ किसानों तक पहुंचने शुरू हो गए हैं। कई किसान इन कानूनों के बारे में ‘‘सकारात्मक सोचने’’ लगे हैं लेकिन किसानों के कुछ धड़े में ‘‘भ्रम’’ बना हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि हम इन चिंताओं को दूर करने में सफल होंगे।’’

तोमर ने कहा कि सरकार लोकतांत्रिक ढांचे के तहत वार्ता के लिए हमेशा तैयार है और तैयार रहेगी। सरकार का मानना है कि मुद्दों के समाधान के लिए वार्ता ही एकमात्र हथियार है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस पर जोर दे रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि 1990 में आर्थिक उदारीकरण के बाद से कृषि क्षेत्र में सुधार की चर्चा चल रही थी। मंत्री ने कहा कि कई समितियों का गठन हुआ और देश भर में विचार-विमर्श हुआ। पूर्ववर्ती सरकारों ने भी चर्चा की और सहमति तक पहुंचे लेकिन किसी तरह से इसे लागू नहीं किया।

उन्होंने कहा कि लेकिन मोदी सरकार ने पहल की और तीनों कृषि कानूनों को लागू किया, जिसे संसद के दोनों सदनों में चार घंटे की चर्चा के बाद पारित किया गया।

कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘मैं खुश हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भविष्य को ध्यान में रखते हुए कृषि कानूनों के माध्यम से आंदोलनकारी बदलाव लाए हैं। मुझे विश्वास है कि इन कानूनों से देश भर के गरीब, छोटे और सीमांत किसानों को फायदा होगा।

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