उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों पर गठित समिति के सदस्यों पर आक्षेप लगाए जाने को लेकर नाराजगी जताई

By भाषा | Published: January 20, 2021 05:01 PM2021-01-20T17:01:47+5:302021-01-20T17:01:47+5:30

The Supreme Court expressed displeasure over the objections imposed on the members of the Committee on Agricultural Laws. | उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों पर गठित समिति के सदस्यों पर आक्षेप लगाए जाने को लेकर नाराजगी जताई

उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों पर गठित समिति के सदस्यों पर आक्षेप लगाए जाने को लेकर नाराजगी जताई

नयी दिल्ली, 20 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने नये कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म करने के लिए गठित की गई समिति के सदस्यों पर कुछ किसान संगठनों द्वारा आक्षेप लगाए जाने को लेकर बुधवार को नाराजगी जाहिर की। साथ ही, शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि उसने समिति को फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं दिया है, बल्कि यह शिकायतें सुनेगी तथा सिर्फ रिपोर्ट देगी।

उल्लेखनीय है कि शीर्ष न्यायालय ने 12 जनवरी को नये कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी तथा केंद्र और दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के बीच गतिरोध खत्म करने के सिलसिले में सिफारिशें करने के लिए चार सदस्यीय एक समिति गठित की थी।

इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रदर्शनकारी किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को रोकने के लिए एक न्यायिक आदेश पाने की दिल्ली पुलिस की उम्मीदों पर पानी फिर गया। दरअसल, शीर्ष न्यायालय ने केंद्र को (इस संबंध में दायर) याचिका वापस लेने का निर्देश देते हुए कहा कि यह ‘‘पुलिस का विषय’’ है और ऐसा मुद्दा नहीं है कि जिस पर न्यायालय को आदेश जारी करना पड़े।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजस्थान के किसान संगठन किसान महापंचायत की एक अलग याचिका पर नोटिस जारी किया और अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल का जवाब मांगा। याचिका के जरिए शीर्ष न्यायालय द्वारा नियुक्त चार सदस्यीय समिति के शेष तीन सदस्यों को हटाने और समिति से खुद को अलग कर लेने वाले भूपिंदर सिंह मान की जगह किसी अन्य को नियुक्त करने का अनुरोध किया गया है।

मान, भारतीय किसान यूनियन (मान) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

पीठ ने समिति के सदस्यों के बारे में एक वकील की दलील पर कहा, ‘‘आप बेवहज आक्षेप लगा रहे हैं। क्या अन्य संदर्भ में विचार प्रकट करने वाले लोगों को समिति से बाहर कर दिया जाए?’’

दरअसल, वकील ने यह दलील दी कि समिति के सदस्यों के बारे में राय नये कृषि कानून के समर्थन में उनके (सदस्यों के) विचारों के बारे में मीडिया में खबरों के आधार पर बनी है।

पीठ ने कहा, ‘‘हर किसी के अपने विचार हैं। यहां तक कि न्यायाधीशों के भी अपने-अपने विचार हैं। यह एक संस्कृति बन गई है। जिसे आप नहीं चाहते, उनका गलत चित्रण करना नियम बन गया है। हमने समिति को फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं दिया है।’’

पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल हैं।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से से हुई सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि समिति में सदस्यों की नियुक्ति नये कानूनों से प्रभावित हुए पक्षों की शिकायतों पर गौर करने के लिए की गई है तथा ‘‘हम कोई विशेषज्ञ नहीं हैं। ’’

नाराज नजर आ रहे सीजेआई ने टिप्पणी की, ‘‘ इसमें (समिति के सदस्यों के) पक्षपाती होने का प्रश्न ही कहां हैं? हमने समिति को फैसला सुनाने का अधिकार नहीं दिया है। आप पेश नहीं होना चाहते, इस बात को समझा जा सकता है, लेकिन किसी ने अपनी राय व्यक्त की थी केवल इसलिए उस पर आक्षेप लगाना उचित नहीं। आपको किसी का इस तरह से गलत चित्रण नहीं करना चाहिए।’’

गौरतलब है कि यह विवाद उस वक्त पैदा हुआ, जब न्यायालय ने चार सदस्यीय एक समिति गठित की। हालांकि, इसके कुछ सदस्यों ने पूर्व में विवादास्पद नये कृषि कानूनों का समर्थन किया था, जिसके बाद एक सदस्य (मान) ने इससे (समिति से) खुद को अलग कर लिया था।

एक किसान संगठन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अयज चौधरी ने समिति के सदस्यों के विचारों के बारे में खबरों का हवाला दिया।

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘क्या आपको लगता है कि हम अखबारों के मुताबिक चलें। जन विचार कोई आधार नहीं है। आप इस तरह से किसी की छवि को धूमिल कैसे कर सकते हैं? प्रेस में जिस तरह के विचार प्रकट किये जा रहे हैं उन्हें लेकर मुझे बहुत दुख है। ’’

कुछ किसान संगठनों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि उनके मुवक्किलों ने एक रुख अख्तियार किया कि वे समिति की बैठकों में हिस्सा नहीं लेंगे क्योंकि वे चाहते हैं कि कृषि कानून रद्द किये जाएं । दरअसल, उनका यह दृढ़ता से मानना है कि ये कानून उनके हितों के खिलाफ हैं।

पीठ ने भूषण को किसानों को सलाह देने को कहा और टिप्पणी की, ‘‘मान लीजिए, हम कानून को कायम रख देते हैं तब भी आप प्रदर्शन करेंगे। आप उन्हें उचित सलाह दीजिए। एकमात्र र्श्त यह है कि दिल्ली में लोगों की शांति सुनिश्चित करें।’’

पीठ ने इस बात पर और याचिका पर कड़ा संज्ञान लिया कि समिति के सभी सदस्यों को बदल दिया जाए।

पीठ ने किसान संगठन के एक वकील से कहा, ‘‘आप कहते हैं कि सभी सदस्यों को हटा दिया जाए। ये चार लोग, जिन्होंने विचार प्रकट किये हैं वे आलोचकों से कहीं अधिक अनुभवी हैं। वे विशेषज हैं...।’’

उल्लेखनीय है कि हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

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Web Title: The Supreme Court expressed displeasure over the objections imposed on the members of the Committee on Agricultural Laws.

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