बिहार में थमने का नाम नहीं ले रहा है पुलों के गिरने का सिलसिला, एक के बाद एक, कई ने ले ली जल समाधि
By एस पी सिन्हा | Updated: September 23, 2024 14:43 IST2024-09-23T14:43:01+5:302024-09-23T14:43:01+5:30
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंगेर-हरिणमार और गोगरी को जोड़ने वाला बिचली पुल ध्वस्त हो गया। इस ब्रिज का निर्माण 2005 में पथ निर्माण विभाग द्वारा हुआ था। पुल टूटने से हरिणमार और गोगरी का आवागमन बाधित हो गया।

बिहार में थमने का नाम नहीं ले रहा है पुलों के गिरने का सिलसिला, एक के बाद एक, कई ने ले ली जल समाधि
पटना: बिहार में पुलों के गिरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अप्रैल में शुरू हुआ पुलों के गिरने के क्रम में राज्य के अलग-अलग जिलों में एक के बाद एक कई पुल धराशाई हो गए। बीती रात जहां समस्तीपुर जिले के पटोरी प्रखंड में बख्तियारपुर-ताजपुर फोरलेन सड़क पर लगूनिया रेलवे स्टेशन के पास निर्माणाधीन ओवर ब्रिज का एक स्लैब अचानक गिर गया। वहीं मुंगेर जिले के बरियारपुर प्रखंड के हरिणमार पंचायत और गोगरी के बीच गंडक नदी के बीच एक और पुल ध्वस्त हो गया। गंडक नदी के बीच एक धार पर बने हुए इस ब्रिज को बिचली पुल भी कहा जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंगेर-हरिणमार और गोगरी को जोड़ने वाला बिचली पुल ध्वस्त हो गया। इस ब्रिज का निर्माण 2005 में पथ निर्माण विभाग द्वारा हुआ था। पुल टूटने से हरिणमार और गोगरी का आवागमन बाधित हो गया। वहीं समस्तीपुर जिले में बख्तियारपुर- ताजपुर के बीच निर्माणाधीन गंगा महासेतु के संपर्क पथ में नंदनी लगुनिया रेलवे स्टेशन के पास दो पिलरों के बीच लगाया गया स्पैन गिरकर धराशाई हो गया।
यह घटना रविवार की रात को हुई और इसके परिणामस्वरूप पुल निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। इस स्पैन के गिरने से पहले, इसका निर्माण नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा किया जा रहा था। इस परियोजना की कुल लागत 1603 करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी। पुल का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था और इसे 2016 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक केवल 60 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो पाया है।
गिरने वाले स्पैन की ऊंचाई लगभग 50 फीट थी और यह दो पिलरों के बीच स्थापित किया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि स्पैन गिरने के समय तेज आवाज आई और गनीमत रही कि उस समय कोई व्यक्ति वहां नहीं था, अन्यथा यह एक बड़ा हादसा बन सकता था। स्पैन गिरने के बाद, स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि घटिया सामग्री के इस्तेमाल के कारण यह हादसा हुआ है।
निर्माण एजेंसी ने हालांकि कहा है कि हादसे की जांच की जाएगी। घटनास्थल पर जेसीबी मशीनों द्वारा मलबे को हटाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे सबूत मिटाने की कोशिशें भी सामने आई हैं। वहीं इससे पहले पुलों के गिरने पर विपक्ष ने सरकार के नाक में दम कर दिया था। नीतीश सरकार ने इस पर उच्चस्तरीय कमेटी भी बनाई थी।
उधर, नवादा में धनारजय नदी के ऊपर रजौली-बख्तियारपुर फोरलेन सड़क निर्माण के दौरान बन रहा पुल अभी से दरक गया है। इस सड़क और पुल का उद्घाटन अभी होना बाकी है। उद्घाटन से पहले ही पुल के क्षतिग्रस्त होने से हड़कंप मचा गया। पुल की बेयरिंग क्षतिग्रस्त होने से बड़े और छोटे वाहनों का परिचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
साथ ही आनन-फानन में चंडीगढ़ की अंजलि कंस्ट्रक्शन कंपनी को क्षतिग्रस्त बेयरिंग का मरम्मती का कार्य सौंपा गया है। इसी तरह से उत्तर बिहार के कई जिलों को जोड़ने वाला मुजफ्फरपुर का दादर पुल पर भी खतरा मंडरा रहा है। लंबे समय से मेंटेनेंस नहीं होने के कारण यह ब्रिज काफी जर्जर हो चुका है। इस पुल से हर रोज हजारों गाड़ियां गुजरती हैं।
वहीं, पुलों के गिरने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि सरकार को भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को पुल की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। सरकार पुल गिरने पर कार्रवाई करें और भविष्य में इस तरह से पुल ना गिरे इसको लेकर सरकार देखें। अगर भ्रष्टाचार हुआ है तो उजागर होना चाहिए।