बिहार में बच्चों की लंबाई कम होने की बात आई सामने, विभागों को किया गया सतर्क, दिए गए जांच के आदेश

By एस पी सिन्हा | Updated: May 4, 2025 22:58 IST2025-05-04T22:56:58+5:302025-05-04T22:58:02+5:30

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी कई मंचों से इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और सरकार से कार्रवाई की मांग की। लेकिन जब समाज कल्याण विभाग ने मामले की गहन समीक्षा की, तो असली सच्चाई सामने आई।

The issue of children's height decreasing in Bihar came to light, departments were alerted, orders for investigation given | बिहार में बच्चों की लंबाई कम होने की बात आई सामने, विभागों को किया गया सतर्क, दिए गए जांच के आदेश

बिहार में बच्चों की लंबाई कम होने की बात आई सामने, विभागों को किया गया सतर्क, दिए गए जांच के आदेश

Highlightsबाल विकास परियोजना की हाल ही में हुई राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आईजिसमें यह दावा किया गया कि राज्य के बच्चों की औसत लंबाई में गिरावट आई हैइस रिपोर्ट को देखते हुए कई विभागों को सतर्क किया गया और जांच के आदेश दिए गए

पटना: बिहार में समेकित बाल विकास परियोजना की हाल ही में हुई राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें यह दावा किया गया कि राज्य के बच्चों की औसत लंबाई में गिरावट आई है। इस रिपोर्ट को देखते हुए कई विभागों को सतर्क किया गया और जांच के आदेश दिए गए। 

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी कई मंचों से इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और सरकार से कार्रवाई की मांग की। लेकिन जब समाज कल्याण विभाग ने मामले की गहन समीक्षा की, तो असली सच्चाई सामने आई। विभागीय जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बच्चों की लंबाई वास्तव में कम नहीं हुई है, बल्कि आंगनबाड़ी सेविकाओं ने बिना सही माप लिए ही रिपोर्ट तैयार कर दी थी। 

इस गलत रिपोर्ट के आधार पर तैयार हुए स्टंटिंग स्टेट्स में यह झूठा आंकड़ा दर्ज हो गया कि राज्य के बच्चों की लंबाई औसतन कम हो रही है। विभाग को जब यह रिपोर्ट मिली तो इसे दूसरे संबंधित विभागों के साथ भी साझा किया गया, जिसके बाद मामला गंभीर होता चला गया। अंततः गहराई से पड़ताल करने पर पता चला कि यह आंकड़ा सेविकाओं की लापरवाही का नतीजा था। 

इस खुलासे के बाद समाज कल्याण विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि बच्चों की लंबाई और वजन का सत्यापन कराया जाए। विभाग अब यह सुनिश्चित कर रहा है कि भविष्य में ऐसी कोई लापरवाही दोबारा न हो। 26 अप्रैल को हुई राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में यह मुद्दा सबसे प्रमुख रूप से उठाया गया था। 

अब विभाग उन सेविकाओं की जिम्मेदारी तय करने की दिशा में भी काम कर रहा है जिन्होंने बच्चों का वास्तविक डेटा लिए बिना रिपोर्ट दे दी।

Web Title: The issue of children's height decreasing in Bihar came to light, departments were alerted, orders for investigation given

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